मदरसों की पहचान अब तक जालीदार टोपी पहने छात्र और दाढ़ी बढ़ाए मौलवी से होती थी लेकिन अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पहचान बदलने की तैयारी में है. योगी सरकार ने फैसला लिया है कि मदरसा शिक्षा परिषद के सिलेबस में डिजिटल लिट्रेसी को बढ़ावा दिया जाएगा. मदरसे के छात्र अब कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई करेंगे.
बेसिक शिक्षा परिषद के साथ मिलकर मदरसा शिक्षा परिषद अब ये व्यवस्था लागू करने जा रहा है. इसके लिए पहले मदरसे के शिक्षकों के लिए ओरियंटेशन मॉड्यूल ऑन एआई का शुभारंभ किया जाएगा. इसकी सिफारिश नई शिक्षा नीति में भी की गई है जिसका पालन साकार कर रही है.
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि प्रदेश के कुल 16513 मदरसों में 13,92,325 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं. अभी तक कुल 1275 मदरसों में कंप्यूटर और 7442 मदरसों में विज्ञान एवं गणित के किट दिए जा चुके हैं. अल्पसंख्यक कल्याण की प्रमुख सचिव मोनिका गर्ग के नेतृत्व में विभाग ने मदरसों के शिक्षकों को एआई और कोडिंग की ट्रेनिंग देने के लिए 22 वीडियो बनाए हैं.
मदरसे के छात्र भी तकनीक के अध्ययन में पीछे न रहें. सीएम योगी की ये मंशा है कि विश्व मे वो कहीं भी हायर एजुकेशन के लिए जाएं तो तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के अध्ययन को लेकर किसी से पीछे नहीं रहें.
मदरसा शिक्षा परिषद ने मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए पिछले कुछ सालों से अभिनव प्रयोग किया है. 2017 में मदरसों में शिक्षण का माध्यम उर्दू के साथ साथ हिंदी और अंग्रेजी को भी शिक्षा का माध्यम बनाया गया.
प्रदेश के कुल 16513 मदरसों में से 560 राज्य के अनुदान से चलते हैं, जबकि 121 मदरसों में मिनी आईटीआई संचालित है. मदरसों में भी बाकी स्कूलों की ही तरह शिक्षा मिले, इसके लिए समय-समय पर योगी सरकार प्रयास कर रही है.