लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में बिसात बिछने लगी है। एक तरफ सियासी गठबंधन मजबूत किया जा रहा है तो दूसरी ओर अपने-अपने वोट बैंक को संगठित करने के लिए तमाम सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। एक तरफ महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के लिए कानून बना दिया गया है। इस बिल के जरिए लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी। बीजेपी इसके जरिए देश की आधी आबादी के वोट अपनी झोली में डालना चाहती है तो अयोध्या में प्रभु रामलला का मंदिर भी अगले वर्ष जनवरी में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके जरिए बीजेपी हिन्दुत्व का कार्ड खेलना चाहती है। इससे इत्तर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बैकडोर से बीजेपी को मजबूत करने की कोशिश में जुटा गया है। संघ की कोशिश हर गांव तक अपनी शाखा का विस्तार करना है। यह और बात है कि संघ अपनी तेजी को चुनाव से जोड़ने की बात से इंकार करते हुए कहता है कि वह तो अपने शताब्दी वर्ष समारोह की तैयारी कर रहा है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष समारोह 2025 में होना है। इससे पहले आरएसएस हर गांव तक अपनी पैठ बना लेना चाहता है। लखनऊ में चल रहे कार्यक्रम के दौरान इस पर विशेष विमर्श चल रहा है। रणनीति के तहत आरएसएस अपना विस्तार हर गांव तक करने की योजना पर काम कर रहा है। संघ राम मंदिर के उद्घाटन समारोह से लेकर अन्य योजनाओं को अपने तरीके से उठाने की तैयारी कर रहा है। अवध प्रांत में मोहन भागवत के चार दिवसीय दौरे को लोकसभा चुनाव के नजरिए से अहम माना जा रहा है। संगठन अपनी तैयारियों को यहां से धार देना शुरू करेगा। इस बार संघ की नजर मुस्लिम वोटरों पर भी है कि कैसे उन्हें अपने पाले में लाया जा सके, इसके लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत काफी दिनों को काम भी कर रहे हैं। वह मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं से न केवल मिलते हैं, बल्कि उनके कार्यकर्मो में भी जाते हैं।
खैर, आरएसएस की ओर से राम मंदिर के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाए जाने की तैयारी की जा रही है। अगले साल जनवरी में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बन रहे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। संघ की ओर से रणनीति तैयार की गई है कि राम मंदिर के सपने को साकार करने वाली भावनाओं के ज्वार को पूरे देश में पैदा किया जाए। संघ की कोशिश इसके जरिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की धार को पैना करने की है। इसका असर लोकसभा चुनाव 2024 में दिख सकता है। भाजपा के पक्ष में अनुकूल वातावरण के निर्माण के लिए इसे अहम माना जा रहा है।
सर संघ चालक मोहन भागवत की मुहिम को आगे बढ़ाने में हिन्दुत्व का एक बड़ा चेहरा रहे योगी आदित्यनाथ का भी सहयोग लिया जा रहा है। यह और बात है कि अब योगी अपने को यूपी के 24 करोड़ की जनता का संरक्षक बताते हुए सबके भले की बात करते हैं। भागवत और योगी की गत दिवस लखनऊ में मुलाकात हुई। करीब 45 मिनट की मुलाकात में सीएम योगी ने संघ प्रमुख को सरकार के कामकाज और उपलब्धियों की जानकारी दी। योजनाओं और उसके प्रभाव के बारे में बताया। सीएम ने सरसंघचालक को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर बन रहे मंदिर की अपडेट जानकारी दी कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा अगले वर्ष जनवरी में मकर संक्रांति के बाद होनी तय है। इस कार्यक्रम को देशभर में मनाने और राष्ट्रवाद एवं सामाजिक समरसता को धार देने की रणनीति बनाई गई है। राम मंदिर निर्माण को देखते हुए अयोध्या को नए और भव्य तरीके से विकसित करने की योजना पर चल रहे काम के बारे में भी संघ प्रमुख को बताया गया।
संघ प्रमुख मोहन भागवत का कार्यक्रम शनिवार को बैठकों के साथ शुरू हुआ। अवध प्रांत में संघ के सांगठनिक विस्तार और सेवा प्रकल्पों को लेकर बैठक के द्वारा अवध प्रांत में संघ के कामकाज की समीक्षा के साथ आगे की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। वर्ष 2025 में संघ के शताब्दी समारोह को देखते हुए आरएसएस सभी गांवों तक अपनी पहुंच बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है।