लोकसभा में पिछले सप्ताह चंद्रयान-3 की सफलता पर चल रहे डिबेट में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की तरफ से बसपा सांसद दानिश अली पर की गई अमर्यादित टिप्पणी के बाद अब उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण बदलने के आसार नजर आ रहे हैं. लोकसभा के भीतर हुई इस शर्मनाक घटना के बाद इंडिया गठबंधन के नेताओं ने दानिश अली के समर्थन में जिस तरह की लामबंदी दिखाई उससे तो यही संकेत मिल रहे हैं. वहीं उनकी अपनी बहुजन समाज पार्टी की तरफ से दानिश अली को जिस तरह के समर्थन की उम्मीद थी वो वैसा नहीं मिला.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने जरूर ट्वीट करके घटना की निंदा की है, लेकिन अपने सांसद की धार्मिक पहचान पर सत्तारूढ़ दल के सांसद की ओर से किए गए ऐसे हमले के खिलाफ उनका तेवर थोड़ा ‘सॉफ्ट’ ही नजर आया.
राहुल गांधी ने दानिश अली के घर जाकर की मुलाकात
घटना के बाद राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, डी राजा, वृंदा करात, सुहासिनी अली, मनोज झा समेत विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेताओं ने दानिश अली के घर जाकर उनसे मुलाकात की. दूसरी तरफ बसपा से निलंबित सांसद अफजाल अंसारी के अलावा शायद ही किसी ने सांसद दानिश अली के घर जाकर लोकसभा में हुई उस घटना की निंदा की होगी.
क्या है दानिश अली का दर्द?
दानिश अली को दुख इस बात का भी है कि एक तरफ निशिकांत दुबे और रवि किशन जैसे बीजेपी के कई सांसद रमेश बिधूड़ी के समर्थन में स्पीकर को चिट्ठियां लिख रहे हैं, जबकि बीएसपी से जुड़े लोग खुलकर बयान भी नहीं दे रहे हैं. ऐसी स्थिति में दानिश अली अपने लिए एक सुरक्षित ठिकाना ढूंढ सकते हैं.
नए राजनीतिक ठिकाने की तरफ बढ़ने का इशारा
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि दानिश अली लोकसभा का अगला चुनाव अमरोहा से ही इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर लड़ सकते हैं. इसका संकेत अखिलेश यादव ने पिछले दिनों ये कहते हुए दे दिया कि दानिश अली ने 2019 का चुनाव सपा- बसपा गठबंधन उम्मीदवार की हैसियत से जीता था, वे जितने बसपा के हैं उतने सपा के भी हैं. जबकि राहुल गांधी के साथ दानिश अली के गले मिलने वाली वायरल तस्वीर भी उनके नए राजनीतिक ठिकाने की तरफ बढ़ने का इशारा कर रहा है.