New Delhi: वनडे में कुंबले से बेहतर रहा इस बॉलर का औसत और इकोनॉमी, एक मैच ने खत्‍म कर दिया करियर

New Delhi: वनडे में कुंबले से बेहतर रहा इस बॉलर का औसत और इकोनॉमी, एक मैच ने खत्‍म कर दिया करियर

नई दिल्ली: टीम इंडिया का यह खिलाड़ी बेहद खास था. भारत के लिए खेलते हुए उसने कुछ मैचों में बैटिंग और बॉलिंग, दोनों में पारी की शुरुआत की. बेशक मनोज प्रभाकर (Manoj Prabhakar) गेंदबाजी में बहुत तेज नहीं थे लेकिन अपनी स्विंग और वेरिएशंस से वे विपक्षी बैटरों की कड़ी परीक्षा लेते थे. यही कारण है कि वनडे फॉर्मेट में वे टीम के लिए  ‘ट्रंप कार्ड’ थे. ऐसे समय जब महान हरफनमौला कपिल देव का गेंदबाजी में प्रदर्शन अपने ढलान पर था, प्रभाकर वर्ल्‍डकप-1992 में भारतीय टीम के सर्वश्रेष्‍ठ गेंदबाज रहे थे.

मनोज ने इस टूर्नामेंट के आठ मैचों में 245 रन देकर भारत की ओर से सर्वाधिक 12 विकेट (औसत 20.41) हासिल किए थे. यही नहीं, इस दौरान उनकी इकोनॉमी 4.28 और स्‍ट्राइक रेट 28.5 का रहा था. यह वह दौर था जब मनोज टीम की जरूरत हुआ करते थे. मुश्किल वक्‍त पर विकेट हासिल कर वे अकसर अपने कप्‍तान की अपेक्षाओं पर खरे उतरते थे. रिवर्स स्विंग में उन्‍हें महारत हासिल थी और आउट स्विंग के साथ-साथ इन स्विंग भी वे कमाल की फेंकते थे.

अपने बेवाक अंदाज के लिए जाने जाने वाले मनोज एक बेहतरीन क्रिकेटर थे लेकिन उनके वर्ल्‍डकप-1996 के एक मैच में खराब प्रदर्शन के कारण उनके करियर पर परमानेंट ब्रेक लग गया.1996 वर्ल्ड कप में श्रीलंका के खिलाफ लीग मुकाबले में प्रभाकर को खूब मार पड़ी थी. श्रीलंकाई ओपनर सनथ जयसूर्या और आर. कालूवितर्णा की ओपनर जोड़ी ने इस मैच में भारतीय गेंदबाजों के धागे खोल डाले थे. प्रभाकर की बात करें तो उनके चार ओवर में ही श्रीलंकाई बैटरों ने 47 रन ठोक दिए. मैच में मनोज को इतनी बुरी मार पड़ी थी कि अपने गेंदबाजी के आखिरी क्षणों में तो तेज गेंदबाजी छोड़कर स्पिन गेंदबाजी करने लगे थे. इस मैच में 50 ओवर में 271 रन का बड़ा स्‍कोर बनाने के बावजूद टीम इंडिया को 6 विकेट की हार का सामना करना पड़ा था. यह मैच मनोज के करियर का आखिरी मैच साबित हुआ और इसके बाद उन्‍हें टीम इंडिया के लिए फिर कभी खेलने का मौका नहीं मिला.एक तरह से यह किसी खिलाड़ी के अर्श से फर्श पर आने की कहानी रही.

वैसे, कई लोग मनोज के क्रिकेट करियर का इस तरह असमय अंत की वजह इस मैच में उनकी गेंदबाजी के साथ-साथ उनका विवादों से नाता और मुंहफट अंदाज को मानते हैं. गाजियाबाद में जन्‍मे मनोज प्रभाकर ने 39 टेस्‍ट और 130 वनडे मैचों में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया. टेस्‍ट में 37.30 के औसत से 96 और वनडे में 28.87 के औसत, 4.27 की इकोनॉमी और 40.5 के स्‍ट्राइक रेट से 157 विकेट (दो बार पारी में पांच विकेट) उनके नाम पर दर्ज है. उन्‍होंने टेस्‍ट में 32.65 के औसत से 1600 और वनडे में 24.12 के औसत से 1858 रन बनाए. वनडे में दो और टेस्‍ट में एक शतक उनके नाम पर दर्ज है. गेंदबाजी में लेग स्पिनर अनिल कुंबले को काफी ऊंचा रेट किया जाता है लेकिन प्रभाकर का वनडे में गेंदबाजी औसत, स्‍ट्राइक रेट और इकोनॉमी कुंबले से भी बेहतर रहा है. कुंबले ने 271 वनडे में 30.89 के औसत, 4.30 की इकोनॉमी और 43.0 के स्‍ट्राइक रेट से 337 विकेट लिए थे.

विवादों से मनोज का गहरा नाता रहा. उन्‍होंने कई बड़े भारतीय क्रिकेटरों पर फिक्सिंग का आरोप लगाया.प्रभाकर ने तहलका के साथ मिलकर कई भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों का स्टिंग ऑपरेशन भी किया. उन्‍होंने दावा किया था कि भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में मैच फिक्स होते थे.मनोज प्रभाकर ने कई टेप अदालत को दिए लेकिन वो उल्टा खुद ही फंस गए.मैच फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप में वर्ष 2000 में उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया थाहालांकि साल 2006 में उनके ऊपर से बैन हटा लिया गया.1996 में मनोज ने दक्षिण दिल्‍ली सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था जिसमें उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा था.

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