भारत ने 21 सितंबर को कनाडा के नागरिकों का भारत के लिए वीसा कैंसिल कर दिया है. फिलहाल ये सेवाएं स्थगित रहेंगी. भारत और कनाडा के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच ये कदम दोनों देशों के तनावग्रस्त होते संबंधों के बारे में साफ साफ बता रहा है. इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने साफतौर पर भारत को उसके नागरिक और सिख अलगाववादी निज्जर की हत्या के लिए आरोपी बताया है. दोनों देशों के संबंध पिछले कुछ समय से लगातार तनावपूर्ण तो रहे हैं लेकिन ये अब चरम पर पहुंच गए लगते हैं. ऐसे में कई बातें हैं जिनका असर साफतौर पर पड़ता हुआ दीख रहा है.
भारत और कनाडा के खराब हो चुके संबंधों का असर जिन बातों पर पड़ेगा, उसमें वहां बड़े पैमाने पर पढ़ने गए छात्र. परमानेंट रेजीडेंट्स प्रमाणपत्र, भारतीय समुदाय और व्यापार पर पड़ सकता है. कनाडा ऐसा देश है जो भारतीय समुदाय की तादाद के लिहाज से सातवां बड़ा देश है.
जो खबरें आ रही हैं, वो कहती हैं कि इस समय कनाडा में पढ़ने और नौकरी करने भारतीय समुदाय चिंतित है. लंबे समय से कनाडा में परमानेंट रेजीडेंसी आवेदन करने वाले भी अब आशंका से भर गए हैं कि अब उनके आवेदन पर कनाडा सरकार का रवैया क्या होगा. हम ऐसी ही 05 चीजों के बारे आपको बताते हैं, जिसका असर इन बिगड़ते संबंधों के कारण पड़ सकता है.
कनाडा पढ़ने गए छात्र आशंकित
आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका, ब्रिटेन के बाद सबसे ज्यादा भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए कनाडा जाते हैं. एमीग्रेशन रेफूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा के आंकड़े कहते हैं कि वर्ष 2002 में 2,26,450 भारतीय छात्र कनाडा के विभिन्न संस्थानों में पढ़ने के लिए गए. ये आंकड़े इसलिए ज्यादातर असरदार लगते हैं क्योंकि इस साल में कुल 5,51,405 छात्र दुनियाभर से वहां पढने गए.
इस लिहाज से जाहिर है वहां पढ़ने आए कुल छात्रों में भारत से गए छात्रों की तादाद 40 फीसदी है. वहां सबसे ज्यादा छात्रों की संख्या भारतीयों की ही है. दूसरे नंबर पर चीन के छात्र होते हैं तो तीसरे नंबर पर फिलिपींस से गए स्टूडेंट्स.
ये तबका आशंकित है कि अगर दोनों देशों के संबंध बिगड़े तो उनका क्या होगा. उनकी शिक्षा पर तो इसका कोई असर तो नहीं पड़ेगा. कुछ भारतीय छात्रों ने वहां के लिए अप्लाई किया हुआ है. उनके टेस्ट होने वाले हैं, उनका क्या होगा. वैसे जो स्टूडेंट्स वहां पढ़ने जाते हैं वो कनाडा की इकोनामी में 30 फीसदी का योगदान करते हैं.
ये तबका आशंकित है कि अगर दोनों देशों के संबंध बिगड़े तो उनका क्या होगा. उनकी शिक्षा पर तो इसका कोई असर तो नहीं पड़ेगा. कुछ भारतीय छात्रों ने वहां के लिए अप्लाई किया हुआ है. उनके टेस्ट होने वाले हैं, उनका क्या होगा. वैसे जो स्टूडेंट्स वहां पढ़ने जाते हैं वो कनाडा की इकोनामी में 30 फीसदी का योगदान करते हैं.
परमानेंट रेजीडेंट्स स्टेटस आवेदन भी परेशान
भारत में सबसे ज्यादा वीसा जिस देश के लिए आवेदन किया जाता है, उसमें सबसे शीर्ष देशों में कनाडा है, जहां बड़े पैमाने पर पंजाबी और सिख तो जाते ही हैं लेकिन अब आम भारतीय भी वहां बसने और नौकरी के सिलसिले में जाने लगे हैं. पिछले दिनों कनाडा में बड़े पैमाने पर कई क्षेत्रों में एक्सपर्ट्स को नौकरी के लिए आमंत्रित किया गया था. पिछले कई दशकों में कनाडा में जाकर बसने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 में 4.32 लाख प्रवासन आवेदन मंजूर किए गए, जिसमें सबसे ऊपर भारतीय थे. वर्ष 2021 में जब कनाडा ने परमानेंट रेजीडेंट्स के 405,000 नए आवेदन मंजूर किए तो एक लाख के आसपास आवेदन भारतीयों के थे. यानि 30 फीसदी के आसपास.
अब उन भारतीयों को डर सता रहा है जो कनाडा में पहुंच चुके हैं, वहां नौकरी या व्यापार जैसे कामों से जुड़े हैं, उन्हें लग रहा है कि भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव का असर उनके परमानेंट रेजीडेंट्स आवेदन पर पड़ेगा.
स्थायी निवास कर रहे भारतीयों में हिंसा का डर
19वीं सदी की शुरुआत में जब भारत और कनाडा दोनों ही ब्रिटेन के राज के तहत थे, तब वहां भारतीयों का जाना आसान था. तब भारतीय सिखों का वहां जाना शुरू हुआ. आमतौर पर शुरुआत में कनाडा गए पंजाबी सिखों की पृष्ठभूमि खेती वाली थी लेकिन उसके बाद वहां पंजाबी हिंदू और पंजाबी मुस्लिम भी पहुंचे. फिलहाल वहां 07 लाख से ज्यादा सिख स्थायी निवासी और नागरिक हैं. सिखों के बाद हिंदुओं का नंबर आता है. इंडो कनाडाई सोसायटी में सिख 34 फीसदी तो हिंदू 27 फीसदी हैं. हिंदू नागरिकों को अपने खिलाफ हेट क्राइम की आशंका है.
पिछले दिनों जबसे कनाडा में खालिस्तान समर्थक आंदोलनों और प्रदर्शनों ने जोर पकड़ा है, तब हिंदुओं के साथ हिंदू मंदिरों पर हमले बढ़े हैं. हाल में एक सिख अलगाववादी नेता ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की चेतावनी भी दी है.
दोनों देशों के व्यापार पर क्या असर पड़ेगा
जी20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले कनाडा ने भारत के साथ द्विपक्षीय ट्रेड मीट को कैंसिल कर दिया था. जी20 के तुरंत बाद व्यापारिक मामलों पर बात करने के लिए कनाडा से मंत्रिस्तरीय शिष्टमंडल भारत आने वाला था, जिसे भी कनाडा ने स्थगित कर दिया. इन बातों से लगता है कि भविष्य में व्यापार पर भी संकट के बादल घिर सकते हैं.
कनाडाई सरकार के अनुसार, कनाडा-भारत के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2022 में लगभग $12 बिलियन कनाडाई डॉलर ($9 बिलियन अमेरिकी डॉलर) था, जो एक साल पहले की तुलना में 57 प्रतिशत बढ़ गया. कनाडा में भारत से कोयला, कोक, उर्वरक और ऊर्जा उत्पाद भेजे जाते हैं जबकि कनाडा से उपभोक्ता वस्तुएं, वस्त्र परिधान, इंजीनियरिंग उत्पादों जैसे ऑटो पार्ट्स, विमान उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं आती हैं.
कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसने 2000 के बाद से 3.6 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जबकि कनाडाई पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय स्टॉक और ऋण बाजारों में अरबों डॉलर का निवेश किया है.
उड़ानों की संख्या पर
एक साल पहले तक भारत और कनाडा के बीच एक हफ्ते में करीब 40 उड़ानें होती थीं लेकिन पिछले साल ये समझौता हुआ था कि दोनों देश अब उड़ानों को बढ़ाएंगे और उन्होंने इसके लिए दोनों देशों में नए शहरों तक भी पहुंचने का फैसला किया था, जिस पर भी असर पड़ सकता है.