कानपुर में किसान बाबू राम यादव सुसाइड कांड के मुख्य आरोपी भाजपा नेता आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन को 12 दिन बाद भी पुलिस अरेस्ट नहीं कर सकी है। यूपी के CM योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव, ब्रजेश से लेकर कई दिग्गज नेताओं के साथ आरोपी की तस्वीरें सामने आई हैं। अब परिवार के लोगों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। परिवार के पांच सवालों से पुलिस की पूरी कार्रवाई घेरे में आ गई है। इतना ही नहीं, भाजपा का भी आरोपी के साथ मोह से भी दामन पर दाग लग रहे हैं।
1.) STF या अन्य एजेंसी को जांच क्यों नहीं देता शासन
किसान बाबू राम यादव ने 9 सितंबर को सुसाइड किया था। इसके बाद चकेरी थाने में FIR दर्ज होने के बाद से पुलिस भाजपा नेता समेत अन्य आरोपियों की तलाश में लगी है। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, 8 टीमें, 50 से ज्यादा पुलिस कर्मी और 10 से ज्यादा जिलों में छापेमारी के बाद भी अगर पुलिस के हाथ खाली हैं, तो STF समेत अन्य किसी एजेंसी को जांच क्यों नहीं सौंपी जा रही है।
2.) पुलिस एंटीसिपेट्री बेल पर सुनवाई का कर रही इंतजार
कानपुर पुलिस कमिश्नर से लेकर अन्य अफसर एक ही जवाब दे रहे हैं कि उसकी बेल नहीं होने देंगे। जमानत याचिका खारिज कराने के लिए पुलिस पूरी कोशिश करेगी। आखिर पुलिस बेल पर सुनवाई का इंतजार क्यों कर रही है। इससे साफ है कि भाजपा नेता को पुलिस मौका दे रही है कि उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई हो जाए।
3.) कुर्की क्यों नहीं कर रही पुलिस, बुलडोजर कब चलेगा
पुलिस ने दिखावे के लिए भाजपा नेता आशु उर्फ प्रियरंजन दिवाकर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ गैर जमानतीय वारंट (NBW) कोर्ट से हासिल कर लिया है। अब आगे कुर्की की कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? धारा-82 और 83 के लिए पुलिस ने NBW मिलने के बाद पैरवी क्यों नहीं की? उसके घर पर शासन बुलडोजर क्यों नहीं चला रहा है?
4.) भाजपा ने पार्टी और बाल आयोग से क्यों नहीं निकाला
सुसाइड कांड की जांच में रसूखदार भाजपा नेता के खिलाफ सैकड़ों सबूत मिले हैं। इससे यह साफ हो गया कि भाजपा नेता ने अपने गुर्गों के साथ किसान की 10 करोड़ की जमीन धोखाधड़ी करके हड़पी है। इसके बाद भी भाजपा के पदाधिकारियों ने उसे पार्टी से बेदखल नहीं किया। इतना ही नहीं आरोपी आज भी राज्य बाल आयोग का सदस्य बना बैठा है। उसकी सदस्यता भी बर्खास्त नहीं की गई है। इससे एक बात तो तय है कि भाजपा के पदाधिकारी उसे बचाने में लगे हैं।
5.) पुलिस से लेकर सरकार तक साधे हैं चुप्पी
भाजपा नेता ने किसान की 10 करोड़ की जमीन धोखाधड़ी करके हड़प ली। किसान ने खुद को बर्बाद होता देख ट्रेन के आगे सुसाइड कर लिया। इसके बाद भी पुलिस के वरिष्ठ अफसरों से लेकर भाजपा सरकार के जिम्मेदार लोग चुप्पी साधे हैं। कानपुर पुलिस कमिश्नर डॉ. आरके स्वर्णकार और जॉइंट पुलिस कमिश्नर आरोपी भाजपा नेता का अपने बयान में एक बार नाम लेने तक से बच रहे हैं। भाजपा के कानपुर से लेकर प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व का आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन दिवाकर के खिलाफ कोई बयान नहीं आया है। इससे पुलिस और भाजपा दोनों सवालों के घेरे में आ गई है।
आइए आगे आपको बताते हैं क्या था मामला...
चकेरी गांव में रहने वाले बाबू सिंह यादव (50) किसान थे। बाबू सिंह यादव ने 9 सितंबर को घर से चंद कदम की दूरी पर ट्रेन के आगे कूदकर सुसाइड कर लिया था। चकेरी पुलिस ने जांच की तो उनके पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। किसान की पत्नी बिटान देवी ने बताया कि उनके पास इलाके के ही अहिरवा के मौजा में प्राइम लोकेशन पर साढ़े छह बीघा जमीन थी। जिसकी कीमत करोड़ों रुपए है।
18 मार्च, 2023 को चकेरी के भाजपा नेता आशु उर्फ प्रियरंजन दिवाकर से 6.5 करोड़ रुपए में सौदा हुआ था। जबकि जमीन की कीमत 10 करोड़ से ज्यादा है। इसके बाद भी आशु का लालच खत्म नहीं हुआ और आशु ने बोगस चेक देकर पूरी जमीन की रजिस्ट्री करवा दी और बाद में किसान से चेक भी छीन लिया। किसान ने चकेरी थाना से लेकर पुलिस कमिश्नर दफ्तर के चक्कर काटे, कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन भाजपा नेता के रसूख के आगे कहीं भी सुनवाई नहीं उन्होंने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी।
भाजपा नेता समेत 6 पर दर्ज है FIR
किसान की मौत के बाद कानपुर पुलिस हरकत में आई और चकेरी थाने में मृतक किसान की पत्नी बिटान की तहरीर पर चकेरी पुलिस ने 9 सितंबर की देर रात भाजपा नेता आशु उर्फ प्रियरंजन दिवाकर, आशु के गुर्गे व मैनपुर का भाजपा नेता शिवम चौहान, नोएडा में रहने वाले आशु के पार्टनर राहुल जैन, जितेंद्र, बबलू, मधुर पांडेय के खिलाफ धोखाधड़ी, आत्महत्या के लिए उकसाने, साजिश रचने और जान से मारने की धमकी देने समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
अखिलेश यादव भी कार्रवाई पर उठा चुके हैं सवाल
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, भाजपा नेता डॉ. प्रियरंजन की बदनीयत और धोखाधड़ी एक किसान बाबू सिंह की आत्महत्या का कारण बनी, इसके पर्याप्त सबूत हैं। डॉ. प्रियरंजन की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है? भाजपाइयों को अपराध में विशेष छूट क्यों मिलती है? और क्या भाजपाइयों पर कार्रवाई करने के लिए बुलडोजर को कोई विशेष ड्राइविंग लाइसेंस लेना पड़ता है? इसके बाद भी भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।