महिला आरक्षण विधेयक जिसे नारी शक्ति वंदन बिल का नाम दिया गया है, इस पर लोकसभा में आज पूरे दिन चर्चा हुई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस चर्चा में भाग लिया। उन्होंने महिला आरक्षण बिल का स्वागत और समर्थन किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल में ओबीसी के आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह बिल आज ही से लागू होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि बिल को लेकर जनगणना और परिसीमन का इंतजार क्यों करना है? राहुल गांधी ने यह भी कहा कि महिला आरक्षण बिल अधूरा है। राहुल गांधी ने इसके साथ ही सवाल उठाया कि इस प्रक्रिया में राष्ट्रपति का होना जरूरी था।
इसके साथ ही राहुल गांधी ने अडानी मामले को भी उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार इस मुद्दे से ध्यान हटाना चाहती है। उन्होंने सवाल किया कि हमारी संस्थानों में ओबीसी की भागीदारी कितनी है? इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि 90 सेक्रेटरी में से सिर्फ तीन ओबीसी समुदाय से आते हैं। इसके साथ ही सरकार को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि डरो मत, हम जातीय जनगणना की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओबीसी समुदाय के सेक्रेटरी का सिर्फ 5% बजट पर अधिकार है। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने आज़ादी के आंदोलन में भी भाग लिया... लेकिन मेरे हिसाब से यह बिल अधुरा है क्योंकि इसमें OBC आरक्षण की बात नहीं है...इसमें दो बात नहीं है, पहली बात तो यह कि आपको इस बिल के लिए एक नई जनगणना और नया परिसीमन करना होगा। मेरी नजर में इस बिल को अभी से महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33% आरक्षण देकर लागू कर देना चाहिए।
सांसद राहुल गांधी ने कहा, सरकार कई मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है...इसमें से एक मुद्दा है जातिगत जनगणना। मुझे बिल्कुल समझ नहीं आता कि क्या कारण है कि जैसे ही विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है, भाजपा अन्य मुद्दों को लाकर अचानक ध्यान भटकाने की कोशिश करती है ताकि OBC समुदाय और भारत के लोग दूसरी तरफ देखने लगें। राहुल गांधी ने शुरूआत में कहा कि भारत की महिलाओं को सत्ता हस्तांतरित करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम था पंचायती राज, जहां उन्हें आरक्षण दिया गया और बड़े पैमाने पर राजनीतिक व्यवस्था में प्रवेश करने की अनुमति दी गई... हर कोई इस बात का समर्थन करेगा कि यह हमारे देश की महिलाओं के लिए बहुत बड़ा कदम है।