राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो गया है। आरएसएस की कार्यशैली से कोई अनभिज्ञ नहीं है। आरएसएस अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए सीधे तौर पर तो राजनीति में नहीं उतरता है, लेकिन उस नेता और पार्टी का समर्थन करने में उसे जरा भी गुरेज नहीं होता है जो उसकी विचारधारा को मानते हैं और उसे आगे ले जाने के संघ के प्रयास का हिस्सा बनते हैं। प्रत्येक चुनाव से पूर्व आरएसएस की सक्रियता बढ़ जाती है, यह स्वाभाविक तौर पर देखा गया है, लेकिन पहले और आज में विशेष अंतर यह नजर आ रहा है कि अबकी से संघ पर्दे के पीछे से नहीं खुलेआम इस बात की घोषणा कर रहा है कि संघ ने लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका तय कर ली है। लोकसभा चुनावों से पहले संघ गांव-गांव अपनी पहुंच बढ़ाने में जुट गया है। जब पूरा देश श्री गणेश उत्सव मना रहा होगा तब संघ प्रमुख मोहन भागवत 22 से 24 सितंबर तक लखनऊ में डेरा डाले होंगे। इससे पहले 19-20 सितंबर को भाजपा और संघ के बीच समन्वय बैठक में चुनाव की तैयारियों को लेकर मंथन होगा। इस बैठक में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की उपस्थित रहेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का चुनाव से पहले होने वाला दौरा अहम है। इससे पहले सर कार्यवाह और सह सरकार्यवाह भी आएंगे। दरअसल, संघ की योजना 2024 के चुनाव से पहले सियासी नब्ज भांपने के साथ अगली तैयारी में जुट जाने की है। दरअसल, भले ही सीधे तौर पर राजनीतिक बातें नहीं करता है, लेकिन संघ के कोर एजेंडे भाजपा के लिए सियासी जमीन तैयार करते हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इसी वजह से संघ प्रमुख मोहन भागवत और सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का दौरा अहम माना जा रहा है। संघ अपनी हिंदुत्व की विचारधारा को खासतौर पर दलितों और आदिवासियों के बीच पहुंचाने की तैयारी में जुटा है, जहां अब तक उसकी बात नहीं पहुंच सकी है। दलित बस्तियों में सामाजिक समरसता के कार्यक्रम और भोज भी इसी का हिस्सा हैं। इसके अलावा संघ गांवों में अपनी विचारधारा का विस्तार कर रहा है, ताकि जिन गांवों तक उसकी बात नहीं पहुंच सकी है, वहां भी माहौल बनाया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक लखनऊ में 19 और 20 को होने वाली बैठक में भाजपा की ओर से एक बजे से प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल मौजूद रहेंगे। बैठक में भाजपा और संघ के साथ मिलकर काम करने पर चर्चा होगी। खासतौर पर 26 सितंबर से शुरू हो रहे बूथ सशक्तीकरण अभियान को लेकर चर्चा होगी। इसमें नए वोटर बनवाने के लिए हर बूथ पर संघ के स्वयंसेवकों की भी मदद ली जाएगी। कुछ सूत्रों का कहना है कि यह बैठक इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि भाजपा आलाकमान निगम और आयोगों में कार्यकर्ताओं का समायोजन करने जा रही है, इसमें संघ कार्यकर्ताओं का भी समायोजन करने की योजना है। इस बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी ब्रजेश पाठक के अलावा सरकार के कुछ विभागों में मंत्रियों को भी बुलाया जा सकता है। इस दौरान संघ के आनुषांगिक संगठनों के साथ भी मंथन करके अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली संस्थाओं की समस्याओं पर चर्चा होगी।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम की बात की जाए तो वह 22 को लखनऊ पहुंचने के बाद प्रांत कार्यकारिणी, क्षेत्रीय कार्यकारिणी के साथ बैठक करेंगे इसमें अलग-अलग सत्र में जिला, विभाग प्रचारक और क्षेत्र प्रचारक मौजूद रहेंगे। इसमें वह यूपी में चल रहे संघ के कामों की समीक्षा करेंगे। संघ की योजना अब गांवों के साथ दलित और आदिवासी बस्तियों तक पहुंचने की है। बैठक का मुख्य एजेंडा यही है कि संघ के कार्यकर्ताओं को बताया जाएगा कि कैसे वह दलितों, आदिवासियों और नए गांवों तक पहुंचें। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि आरएसएस विचारधारा के जरिए भी नए लोगों तक पहुंचता है। इसमें सबसे पहले संघ अपने मुख्य काम शाखा विस्तार पर फोकस करेगा। कुछ लोग जो सीधे संघ की रोज लगने वाली शाखा में नहीं आ पाते, उन्हें सामाजिक कामों के जरिए जोड़ा जाएगा। दलितों और आदिवासियों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए वहां सामाजिक समरसता भोज, भजन संध्या, नशा मुक्ति के कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। संघ ने पहली बार घुमंतू जातियों पर भी फोकस किया गया है। इनमें नट, वनटांगिया और आदिवासियों के बीच भी नशा मुक्ति अभियान जैसे सोशल वर्क भी संघ करेगा। पहली बार आरएसएस ने हाल ही में खत्म हुए अपने ट्रेनिंग कैंपों में शताब्दी विस्तारक निकाले हैं। इन विस्तारकों के जिम्मे यही काम दिया गया है। वे रोज नए लोगों और नई जातियों से संपर्क करेंगे। संघ भले ही सीधे तौर पर बीजेपी के लिए काम नहीं कर रहा है, पर हिंदुत्व की चर्चा और दलित बस्तियों में सामाजिक समरसता के आयोजनों के जरिए वह बीजेपी के लिए माहौल ही बनाएगा।