खालिस्तान का जब भी जिक्र होता है तो हमारे जेहन में लाठी-डंडों और तलवारों की खौफ वाली तस्वीरें उमड़ पड़ती हैं। आज खालिस्तान के मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा भी आमने-सामने हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्यों पंजाब में हिन्दुस्तान से अलग एक देश की आवाज उठी, खालिस्तान की आवाज उठी। सवाल ये उठता है कि क्या टेरेरिज्म को सरकार और राजनीति ने खुद न्योता दिया था। इसको लेकर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व सचिव ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में कई विस्फोटक खुलासे किए हैं।
कमलनाथ और संजय गांधी ने पैसे दिए
रॉ के पूर्व विशेष सचिव जीबीएस सिद्धू ने एएनआई से बात करते हुए बताया कि उस समय भिंडरावाले खालिस्तान का इस्तेमाल किया गया। हिंदुओं को डराने के लिए भिंडरावाले का इस्तेमाल किया गया और खालिस्तान जैसा एक नया मुद्दा उभर कर सामने आया जो उस समय अस्तित्व में भी नहीं था। ताकि भारत की बड़ी आबादी यह सोचने लगे कि देश की अखंडता को खतरा है।
भिंडरावाले को कैसे चुना गया?
रॉ के पूर्व सेक्रटरी ने कहा कि मैं उस समय कनाडा में था, लोग बात करते थे कि कांग्रेस भिंडरावाले से क्यों मुहब्बत कर करती है। कमलनाथ ने कहा कि हम एक बहुत ही हाई-प्रोफाइल संत को भर्ती करना चाहते थे जो हमारी बात मान सके। इसके लिए हमने दो संतों का इंटरव्यू किया और भिंडरावाले हमारे अनुकूल फिट बैठा। कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में कांग्रेस और भिंडरावेला का जिक्र किया है। वह (कमलनाथ) भी कहते थे हम उन्हें पैसे भेजते थे। कमलनाथ और संजय गांधी ने भिंडरावाले को पैसे भेजे। भिंडरावाले ने कभी नहीं मांगा। वह केवल यही कहता था कि अगर बीबी, यानी इंदिरा गांधी मेरी झोली में डाल देगी तो ना भी नहीं करूंगा। वे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भिंडरावाले का इस्तेमाल करना चाहते थे।
पंजाब की तीन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के लिए प्रचार
सजय गांधी और ज्ञानी जैल सिंह ने भिंडरवाले के प्रचार प्रसार के लिए नई पार्टी बनवा दी। 1989 के चुनाव में भिंडरावाले ने पंजाब की तीन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार भी किया। भिंडरावाले और कांग्रेस के बीच क्या रिश्ता था इसके बारे में इंदिरा गांधी ने बीबीसी के एक कार्यक्रम में संकेत दिए थे। इंदिरा ने कहा था कि मैं किसी भिंडरावाला को नहीं जानती। हां, शायद वो चुनाव के दौरान हमारे किसी उम्मीदवार से मिलने आए थे। लेकिन मुझे उस उम्मीदवार का नाम याद नहीं है।
दल खालसा का सहयोग
ज्ञानी जैल सिंह ने एक अन्य ग्रुप दल खालसा का सहयोग लेने की सोची। ओरमा होटल में जैल सिंह के साथ उनकी मुलाकात हुई। इसके कुछ दिन बाद ही दल खालसा ने आजाद सिख देश की मांग करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया।