कश्मीर में पिछले सात सप्ताह से शुष्क मौसम और सामान्य से अधिक तापमान के कारण बागवानी उत्पादन, विशेषकर सेब विशेषज्ञों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। मौसम के कारण झेलम और अन्य जल निकायों के जल स्तर में भी गिरावट आई है। पर्यावरण विशेषज्ञ कहते हैं, यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण है, कश्मीर में गर्म दिन चल रहे हैं और प्रमुख नदियों में जल स्तर सबसे कम हो गया है। कश्मीर भारत का सबसे बड़ा सेब उत्पादक है, जो हर साल लगभग 20 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन करता है। उन्होंने कहा कि अगर बारिश की कमी जारी रही, तो इसका क्षेत्र में केसर और आलू के उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। घाटी में लू से लेकर भीषण लू के साथ उच्च तापमान का सामना करना पड़ रहा है।
इससे पहले हमने आपको बताया था कि उच्च घनत्व वाले सेब की खेती जम्मू-कश्मीर में इस उद्योग में क्रांति ला रही है। ऐसे सेब के बागान की मांग हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रही है। घाटी के विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादकों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कई कारणों से नुकसान देखने के बाद, उच्च घनत्व वाले सेब की खेती ने उनके चेहरे पर मुस्कान वापस ला दी है क्योंकि इससे बाजार में अच्छी कमाई हुई है। उन्होंने कहा कि सेब की नई किस्में 2019 के बाद कश्मीर में पेश की गईं और उनके बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वे अपने रोपण के एक साल बाद ही फल देना शुरू कर देते हैं और चौथे या पांचवें वर्ष में पूर्ण उत्पादन तक पहुंच जाते हैं।