करीब 50 लाख की आबादी वाला जयपुर देश का दसवां सबसे बड़ा शहर है। जनसंख्या बढ़ने के साथ यहां हर 5 साल में मतदाताओं की संख्या भी बढ़ती है।
लेकिन शहर के बीचों-बीच दो विधानसभा क्षेत्रों में कुछ ऐसा घट रहा है कि हजारों मतदाता गायब हो गए हैं। वर्ष 2018 से लेकर 2023 के बीच वोटर्स की संख्या बढ़ने के बजाय घट गई है।
इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों से अक्सर हिंदुओं के पलायन की खबरें भी चर्चा में रहती हैं। निर्वाचन विभाग की ओर से अगस्त में जारी सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची का भास्कर ने एनालिसिस किया।
पढ़िए- पूरी रिपोर्ट…
कहां गायब हो गए किशनपोल और हवा महल क्षेत्र के वोटर्स
किशनपोल और हवामहल। दोनों राजस्थान की चर्चित विधानसभा सीटें। जयपुर शहर के ऐतिहासिक परकोटे के भीतर यह दोनों सीटें आती हैं। दोनों एक-दूसरे सटी हुई हैं।
यह वो इलाका है, जहां सैकड़ों प्राचीन मंदिर, ऐतिहासिक इमारतें हैं। मेट्रो ट्रेन भी गुजरती है। किशनपोल से दो बार पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत भी विधायक रहे हैं। हवामहल में 1980 से लेकर 2003 तक लगातार भाजपा की जीत हुई। ऐसे में दोनों ही सीटों को भाजपा के गढ़ के रूप में गिना जाता था, लेकिन वर्ष 2018 दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। किशनपोल से अमीन कागजी और हवामहल से जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी वर्तमान में विधायक हैं।
किशनपोल विधानसभा क्षेत्र
वर्ष 2018 में मतदाताओं की संख्या 1 लाख 98 हजार 204 थी।
निर्वाचन विभाग ने जनवरी-2023 में मतदाता सूची जारी, उसके अनुसार मतदाताओं की संख्या करीब 5 हजार घटकर 1 लाख 93 हजार 136 हो गई।
अब निर्वाचन विभाग की 31 अगस्त-2023 को जारी अंतिम सूचियों में किशनपोल में मतदाताओं की संख्या एक लाख 90 हजार 565 रह गई है। करीब 7,639 मतदाता कम हो गए हैं।
हवामहल विधानसभा क्षेत्र
वर्ष 2018 में 2 लाख 32 हजार 751 मतदाता थे।
निर्वाचन विभाग की ओर से जनवरी-2023 में जारी मतदाता सूचियों में यहां मतदाताओं की संख्या करीब 16 हजार बढ़कर 2 लाख 48 हजार 265 थी।
लेकिन 31 अगस्त-2023 को जारी अंतिम मतदाता सूचियों में कुल वोटर संख्या 2 लाख 45 हजार 445 बताई गई है। पिछले 7 महीनों में यहां 2,820 मतदाता कम हो गए हैं।
दो अन्य सीटों पर अगले कुछ वर्षों में मतदाता कम होने की आशंका
जयपुर शहर में हवामहल और किशनपोल से ही सटकर बसे हैं मालवीय नगर और सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र। इन दोनों में मतदाता वर्ष 2018 से 2023 के बीच घटे तो नहीं, लेकिन उनमें बढ़ने की दर इतनी कम है कि यह आशंका बन रही है कि अगले पांच सालों में यहां भी मतदाता घट सकते हैं। इनमें से मालवीय नगर सीट पर तो पिछले 5 वर्षों में मात्र 245 मतदाता ही बढ़े हैं।
सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र : निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में सिविल लाइंस क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या दो लाख 36 हजार 991 थी। पांच साल बीतने पर भी 2023 में मामूली सी बढ़ोत्तरी हुई है। अब मतदाताओं की संख्या 2,765 बढ़कर दो लाख 39 हजार 756 हुई है।
मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र : वर्ष 2018 में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 13 हजार 343 थी, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 2 लाख 13 हजार 588 हुई है। मतदाताओं की संख्या में पांच सालों में केवल 245 की बढ़ोत्तरी हुई है। मालवीय नगर से वर्तमान में भाजपा के कालीचरण सराफ और सिविल लाइंस से खाद्य व आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास विधायक हैं।
क्यों घट रहे मतदाता?
व्यापारी विपिन गोधा कभी जौहरी बाजार इलाके में रहते थे। लेकिन अभी उनका मकान सिद्धार्थ नगर (एयरपोर्ट के पास) है। विपिन गोधा का कहना है कि परकोटा में कार को पार्क करने के लिए भी जगह नहीं बची है। बच्चों के खेलने के लिए कोई पार्क नहीं। कोई खाली स्पेस नहीं। केवल भीड़ ही भीड़। इसी कारण उन्होंने 2020 में घर शिफ्ट किया। पहले हवा महल विधानसभा क्षेत्र लगता था, अब मालवीय नगर में वोट डलेगा।
सुभाष चौक से भांकरोटा (अजमेर रोड) स्थित नई कॉलोनी में 2021 में शिफ्ट हुए सेन परिवार के दो भाई ग्राफिक्स डिजायनर लोकेश और प्रकाश का कहना है कि स्कूल-अस्पताल की कमी, सुरक्षा की कमी, हरियाली नहीं। साफ-सफाई नहीं। पार्किंग को लेकर पड़ोसियों में झगड़े। कई ऐसे कारण हो गए हैं कि किशनपोल और हवामहल क्षेत्र में रहने वाले हजारों परिवार पिछले एक दशक में वहां से पलायन कर चुके हैं।
परकोटा के तेलीपाड़ा इलाके के ज्वेलरी कारोबारी नरेश शर्मा का कहना है कि उनके भाई अभी महेश नगर शिफ्ट हुए हैं। यहां 1992 में हुए दंगों के बाद से ही परकोटे में रहने वाले लोग धीरे-धीरे खुले और बाहरी इलाकों की ओर पलायन करने लग गए थे। लोगों ने अपनी दुकानें-मकान बेचकर नए इलाकों में कारोबार जमाया। ऐसे में लोग अब किशनपोल, सूरजपोल, गलता गेट, हवामहल, जौहरी बाजार जैसे इलाकों के मूल निवासी होते हुए भी वहां रहते नहीं हैं।
एक्सपर्ट की नजर में क्या हैं मतदाताओं के घटने के कारण?
जयपुर के वरिष्ठ इतिहासकार और लेखक जितेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि जयपुर जब बसा था तो पुराने शहर में अधिकतम एक-डेढ़ लाख लोगों के रहने की व्यवस्था संभव थी। आधुनिक समय में जयपुर का जो परकोटा है, वहां करीब 5-6 लाख लोग रहते हैं। ऐसे में जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम होते गए वे उन इलाकों को छोड़कर पुराने शहर से बाहर आधुनिक जयपुर में बसने लग गए हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार राकेश वर्मा का कहना है कि जयपुर शहर में किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बहुसंख्यक समुदाय और अल्पसंख्यक समुदाय अब संख्या के मामले में लगभग बराबर सा होता दिख रहा है।
बहुसंख्यक समुदाय इन सीटों से लगातार बाहर के क्षेत्रों की तरफ पलायन कर रहा है, जबकि अल्पसंख्यक समुदाय ऐसा नहीं कर रहा। यही अल्पसंख्यक समुदाय के वोटर बढ़ने का कारण भी है।
हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील व लेखक हुकुम सिंह का कहना है कि हमारा परिवार भी परकोटे में ही रहता था, लेकिन वर्ष 1992 में हुए दंगों और बाद में जयपुर बम धमाके (2008) और कोरोना (2020) के बाद सैकड़ों परिवार सुरक्षा की तलाश में जयपुर शहर के बाहरी इलाकों में जाने लगे। ऐसे में परकोटे के भीतर बसे इलाकों किशनपोल, हवामहल आदि में लोग कम हुए हैं।
क्या शहर की बनावट और सुविधाएं बनीं आबादी के पलायन का कारण?
किशनपोल और हवामहल क्षेत्र पुराने ऐतिहासिक जयपुर शहर में बसे हुए हैं, वहां आबादी बढ़ने के साथ पार्किंग, पानी, बिजली, नए मकानों-दुकानों आदि का दबाव बढ़ने लगा तो लोग धीरे-धीरे वहां से जयपुर शहर के बाहरी इलाकों जैसे मानसरोवर, सांगानेर, प्रतापगनगर, वैशाली नगर, जगतपुरा, अजमेर रोड, टोंक रोड़ की तरफ शिफ्ट होते रहे हैं।
व्यापारी वर्ग लगातार अपनी दुकानें-गैराज-गोदाम आदि बेचकर पिछले 8-10 वर्षों में दूसरे इलाकों में स्थापित हुए हैं।
किशनपोल-हवामहल पुराने जयपुर के हिस्से हैं, जहां नीचे दुकान और ऊपर मकान ज्यादा हैं। व्यापारी दुकान बेचते हैं, तो मकान भी स्वत: ही बिक जाता है।
हेरिटेज सिटी होने से नया निर्माण कराने में बहुत दिक्कत होती है। कई सारे नियम-कायदे नगर निगम और जयपुर विकास प्राधिकरण के बने हुए हैं। परिवार बढ़ने से मकान की जरूरत बढ़ती है, जो पुराने जयपुर में नया निर्माण कराना मुश्किल रहता है। ऐसे में लोग बड़ी संख्या में दूसरे इलाकों में शिफ्ट हो रहे हैं।
इस क्षेत्र में स्कूल-कॉलेज, खेल के मैदान, पार्क, अस्पताल आदि भी बहुत कम हैं। ऐसे में लोग अन्य क्षेत्रों की ओर पलायन करते ही हैं।
जयपुर में 1990-92 में हुए साम्प्रदायिक दंगों, वर्ष 2008 में हुए बम विस्फोट और कोरोना काल में भी सर्वाधिक प्रभावित इन्हीं इलाकों के लोग हुए थे। आगजनी, भूकंप या बारिश आदि होने की स्थिति में इन इलाकों में जनजीवन सामान्य होने में काफी वक्त लगता है। ऐसे में लोग सुरक्षा की तलाश में अन्य इलाकों में लगातार जा रहे हैं।
जयपुर क्षेत्र में कुल 19 विधानसभा क्षेत्रों में तीन लाख से ज्यादा मतदाता बढ़े
दो विधानसभा क्षेत्रों से मतदाता घटने की पुष्टि इस बात से भी होती है कि जयपुर के बाकी विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता बढ़े हैं। जयपुर शहर में कुल 19 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। निर्वाचन विभाग के अनुसार वर्ष 2018 में मतदाताओं की संख्या 45 लाख 91 हजार 925 थी, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 49 लाख 56 हजार 342 हो गई। कुल 3 लाख 64 हजार 417 मतदाताओं की बढ़ोत्तरी हुई है।
क्या कहता है राजस्थान का निर्वाचन विभाग?
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (आईएएस) डॉ. प्रवीण कुमार गुप्ता ने बताया कि जयपुर शहर में झोटवाड़ा, विद्याधर नगर, सांगानेर आदि इलाके तेजी से प्रसार पा रहे हैं। लोगों को जो सुविधाएं चाहिए, वे सब उन्हें वहां मिल रही हैं। ऐसे में लोग निस्संदेह बेहतर जीवन शैली के लिए संकरे, भीड़-भरे और असुविधाजनक क्षेत्रों से विकसित इलाकों की ओर जाते ही हैं। ऐसे में मतदाताओं का कम होना दिखाई दे रहा है। किशनपोल में यह समस्या ज्यादा है। हवामहल में मुझे उम्मीद है आगे नए आंकड़े आएंगे तो उनमें संभवत: मतदाता बढ़े हुए मिलेंगे।
वर्ष 2026 में विधानसभा सीटों का परिसीमन होना है। मतदाताओं की संख्या को किसी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 2 लाख 50 हजार किया जाना संभावित है। ऐसे में कुछ नई विधानसभा सीटें सामने आ सकती हैं, जहां मतदाताओं की संख्या इस आंकड़े से बहुत ज्यादा हैं और जहां बहुत कम हैं, उन्हें संतुलित किया जाएगा।
इन विधानसभा सीटों का बदल सकता है आकार और नाम
जयपुर में विराटनगर, चौमूं, झोटवाड़ा, आमेर, सांगानेर, बगरू, बस्सी, चाकसू, दूदू और विद्याधर नगर का आकार बहुत विशाल है। इन सभी में मतदाताओं की संख्या ढाई लाख से लेकर चार लाख से भी ज्यादा है। झोटवाड़ा में 4 लाख से ज्यादा मतदाता हैं और वहां पांच वर्षों में 48, 560 मतदाता बढ़े हैं।
आमेर व सांगानेर में भी क्रमश: 34 हजार 192 और 27 हजार 167 मतदाता बढे़ हैं। विद्याधर नगर में भी मतदाताओं की संख्या तीन लाख से ज्यादा है। बगरू में भी करीब 43,073 और विराट नगर व चौमू में 28,077 और 26,377 मतदाता बढ़े हैं। ऐसे में अगले परिसीमन (2026 में) के दौरान संभव है कि इन सीटों के आकार और इलाकों में बड़े परिवर्तन दिखाई दें।