पुणे: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने एक बार फिर वामपंथी विचारधारा पर कड़ा प्रहार किया है. संघ प्रमुख ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वामपंथी नेता मार्क्सवाद के नाम पर दुनिया को बर्बाद कर रहे हैं. वामपंथी विचारधारा और राजनीति से हुए विनाश से दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी भारत पर है. वामपंथी (leftist) सिर्फ हिंदुओं या भारत के ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के विरोधी हैं. उन्होंने यह पता लगाने की शैक्षणिक कवायद को वामपंथी परिवेश का हमला बताया कि क्या केजी (किंडरगार्टन) के छात्र अपने प्राइवेट पार्ट्स के बारे में जानते हैं. वह पुणे में मराठी पुस्तक ‘जगाला पोखरणारी डावी वालवी’ (विश्व को कमजोर करने वाले वामपंथी दीमक) के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मैंने गुजरात (Gujarat) में एक स्कूल का दौरा किया जहां एक संत ने मुझे एक किंडरगार्टन स्कूल में एक निर्देश दिखाया. इसमें कहा गया है कि कक्षा शिक्षकों को यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि क्या केजी-2 के विद्यार्थियों को अपने निजी अंगों के नाम पता हैं. हमला (वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र का) यहां तक आ गया है और यह लोगों की मदद के बिना संभव नहीं है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि इस तरह के हमले “हमारी” संस्कृति की सभी शुभ चीजों पर किए जा रहे हैं.
RSS चीफ भागवत ने कहा कि इसी तरह ये वामपंथी अमेरिकी संस्कृति को भी दूषित करना चाहते हैं और वे कामयाब भी हो गए हैं, वे न केवल हिंदुओं या भारत के बल्कि पूरी दुनिया के ही विरोधी हैं.
आरएसएस प्रमुख भागवत ने यह भी कहा कि हमारी संस्कृति की सभी पवित्र चीजों पर ऐसे हमले किए जा रहे हैं. भागवत ने कहा, ‘अमेरिका में (Donald Trump के बाद) नई सरकार (US Government) बनने के बाद पहला आदेश स्कूल से संबंधित था, जिसमें शिक्षकों से कहा गया था कि वे विद्यार्थियों से उनके लिंग के बारे में बात न करें. विद्यार्थी स्वयं इसके बारे में निर्णय लें. अगर कोई लड़का कहता है कि वह अब लड़की है तो लड़के को लड़कियों के लिए बने शौचालय का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए.’
इस पुस्तक में वामपंथी विचारधारा और राजनीति पर विस्तार से चर्चा की गई है. भागवत ने कहा कि मार्क्सवाद के नाम पर वामपंथी पश्चिम में विनाश के बीज बो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वे गलत आदर्शों और सिद्धांतों को आगे बढ़ा रहे हैं, जो समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मानव स्वभाव और व्यवहार तेजी से बर्बरता की ओर बढ़ रहे हैं. न केवल समाज, बल्कि परिवार भी संकट का सामना कर रहे हैं. भागवत ने कहा कि समाज के सदस्यों के रूप में, हम सभी को इस संकट के प्रति जागृत और सतर्क रहने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि वामपंथियों ने हमारी अपनी दुनिया के बारे में जो भ्रम पैदा किया है उसे दूर करने की जरूरत है. भागवत ने कहा कि यह किताब ऐसे काम के लिए एक पाठ्यपुस्तक है. उन्होंने कहा कि किताब का अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी में किया जाना चाहिए.