एक राष्ट्र, एक चुनाव समिति की पहली बैठक 23 सितंबर (शनिवार) को होगी। पूर्व राष्ट्रपति और समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा, पहली बैठक 23 सितंबर 2023 को होगी। एक राष्ट्र, एक चुनाव की घोषणा 31 अगस्त को की गई थी। कई राजनीतिक दल, राजनेता और चुनाव विशेषज्ञ तब से संसद के विशेष सत्र को बुलाने के एजेंडे की भविष्यवाणी और अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच सरकार ने 1 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए एक समिति का गठन किया। इस सिलसिले में बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने भी पहले पूर्व राष्ट्रपति से उनके आवास पर मुलाकात की थी।
चूंकि एक राष्ट्र एक चुनाव पर एक समिति का गठन किया गया है, इससे यह अटकलें और तेज हो गई हैं कि इस विधेयक को पेश करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ चुनाव के विचार के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल हैं, उन्होंने लगभग निरंतर चुनाव चक्र के कारण होने वाले वित्तीय बोझ और मतदान अवधि के दौरान विकास कार्यों को झटका लगने का हवाला दिया है। रामनाथ कोविंद ने भी मोदी के विचार को दोहराया था और 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद इस विचार के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था।
कमेटी में ये लोग शामिल
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अब इसके अन्य सदस्यों की भी घोषणा कर दी गई है। कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को जगह दी गई है। इसके अलावा पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद और अन्य को समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। इनमें एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरिश साल्वे और संजय कोठारी हैं। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हर वर्ष देश में कहीं न कहीं चुनाव होता है। इससे विकास में बाधा आती है, अधिक खर्च भी होता है। इसी के चलते एक राष्ट्र, एक चुनाव की बात सामने आई होगी...कमेटी बनी है वो अध्ययन करेगी और रिपोर्ट जमा करेगी। ये अच्छी बात है।