कौन हैं जी-20 के शेरपा? ज‍िनकी शश‍ि थरूर ने भी की तारीफ, JNU से क्‍या है ल‍िंक

कौन हैं जी-20 के शेरपा? ज‍िनकी शश‍ि थरूर ने भी की तारीफ, JNU से क्‍या है ल‍िंक

जी 20 के नई द‍िल्‍ली नेता घोषणा पत्र में आम सह‍मत‍ि भारत की बड़ी कूटनीत‍िक जीत है. जी 20 के घोषणापत्र में इस आम सहमति का श्रेय शेरपा अम‍िताभ कांत और उनकी टीम को द‍िया जा रहा है. कांग्रेस नेता शश‍ि थरूर भी जी 20 के सफल आयोजन के ल‍िए व‍िदेश मंत्री जयशंकर और शेरपा अम‍िताभ कांत को द‍िया है. जी 20 के शेरपा अम‍िताभ कांत को पिछले साल जुलाई में नियुक्त किया गया था और उन्‍हें यह ज‍िम्‍मेदारी भारत को जी20 की अध्यक्षता म‍िलने के कुछ महीने पहले दी गई थी.इंड‍ियन एक्‍सप्रेस की खबर के अनुसार, जब कांत को ज‍िम्‍मेदारी म‍िली और वह सुषमा स्वराज भवन गए, जहां पर जी20 सचिवालय बनाया गया था, तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था.

जी 20 का शेरपा बनाए जाने के बाद अम‍िताभ कांत का काम घरेलू मोर्चे पर तात्कालिक कार्य अधिकारियों, सलाहकारों और डोमेन विशेषज्ञों की एक टीम बनाना था और साथ ही, राजनयिक कार्यक्रम की तैयारी शुरू करने के लिए विभिन्न हितधारकों को शामिल करना था. वैश्विक मंच पर, उनकी प्राथमिकताएं यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर ध्रुवीकृत दुनिया में देश के हितों को ध्यान में रखना था और इसको उन्‍होंन सफलतापूर्वक हास‍िल भी क‍िया.

केरल कैडर के 1980-बैच के र‍िटायर आईएएस अधिकारी, कांत को बड़ी पहलों - स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, इनक्रेडिबल इंडिया में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है. उन्हें केरल सरकार में अपने कार्यकाल के दौरान केरल: भगवान का अपना देश का नारा गढ़ने का श्रेय दिया जाता है.

कांत के ट्रैक रिकॉर्ड ने उन्हें जी-20 का शेरपा की जगह दिलाई. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में योजना आयोग को खत्म कर दिया और नीति आयोग की स्थापना की, तो कांत को 2016 में नव निर्मित थिंक-टैंक का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया. उन्होंने 30 जून 2022 तक नीत‍ि आयोग में सीईओ के रूप में कार्य किया. अपने 6 साल के कार्यकाल के दौरान कांत ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम) जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों की पहल को संभाला.

कोरोना काल के दौरान केन्‍द्र सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के र‍िस्‍पॉन्‍स देने के ल‍िए गठ‍ित की गई अधिकार‍ियों के समूह का नेतृत्व भी कांत ने क‍िया है. वह दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) के मामलों के वर‍िष्‍ठ अध‍िकार‍ी थे.

कांत का विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अच्छा तालमेल है, जो एक तरह से उनके राजनयिक प्रवास में मददगार रहा है. नौकरशाह से राजनेता बने जयशंकर 1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. जयशंकर और कांत एक ही कॉलेज - सेंट स्टीफंस और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से आते हैं.

अम‍िताभ कांत ने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से स्कूली पढ़ाई की है और उसके बाद सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने जेएनयू से एमए की पढ़ाई पूरी की. जेएनयू में अम‍िताभ कांत और जयशंकर एक ही होस्‍टल में रहते थे. कांत ने हाल ही में कहा था क‍ि जब मैं जेएनयू में एडम‍िशन ल‍िया था तो मैंने खुद को जेएनयू के उसी होस्‍टल के उसी फ्लोर पर पाया, जहां जयशंकर थे. अम‍िताभ कांत ने लुटियंस दिल्ली में बिताए गए वर्षों के दौरान, उनके ऑफ‍िस के पते सम्राट होटल से उद्योग भवन, नीति आयोग से सुषमा स्वराज भवन में बदल गए हैं, लेकिन कुछ चीजें हैं जो स्थिर बनी हुई हैं.

जी-20 के सफल सम्‍मेलन के बाद हर कोई शेरपा अम‍िताभ कांत की तारीफ कर रहा है. पर शेरपा के साथ उनके चार अध‍िकारी भी शाम‍िल हैं ज‍िनमें 2005 बैच की आईएफएस अध‍िकारी ईनम गंभीर भी शाम‍िल हैं. ईनम गंभीर स्‍पेन‍िश भाषा की अच्‍छी जानकार हैं और वह न्‍यूयॉर्क में संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय में 74वें सत्र की अध्‍यक्ष के कार्यालय में शांत‍ि और सुरक्षा के मुद्दों पर वर‍िष्‍ठ सलाहकार रहीं हैं.

1998 बैच के आईएफएस अध‍िकारी नागराज नायडू काकनूर भी शेरपा अम‍िताभ कांत की टीम में जी-20 के संयुक्‍त सच‍िव रहे. नागराज नायडू चीनी भाषा के अच्‍छे जानकार हैं और वह संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के उप प्रत‍िन‍िध‍ि भी रह चुके हैं. इसके साथ वह संयुक्‍त राष्‍ट्र के 76वीं महासभा के अध्‍यक्ष के शेफ डी कैब‍िनेट रह चुके हैं.

भारतीय व‍िदेश मंत्रालय अतिर‍िक्‍त सच‍िव अभय ठाकुर जी-20 सम्‍मेलन में सूसा-शेरपा की भूम‍िका में नजर आएं. अभय ठाकुर नाइजीरिया और मॉर‍ीशस में भारतीय राजदूत रहे हैं. इसके रूसी भाषा पर उनकी अच्‍छी पकड़ है और इसके साथ रूस को राजी करने में भी उनकी अहम भूम‍िका रही है.

2005 बैच के आईएफएस अध‍िकारी आशीष सिन्‍हा जी-20 के संयुक्‍त सच‍िव रहे. वह मैड्रिड, काटमांडू, न्‍यूयॉर्क और नैरोबी में भारतीय राजनय‍िक रहे हैं. सात सालों से बहुपक्षीय मंचों पर भारत के ल‍िए बातचीत करते रहे हैं.

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