घोसी उपचुनाव: सपा 20 हजार वोट से आगे, 15वें राउंड में सुधारक को 58 हजार तो दारा सिंह को 38 हजार वोट मिले

घोसी उपचुनाव: सपा 20 हजार वोट से आगे, 15वें राउंड में सुधारक को 58 हजार तो दारा सिंह को 38 हजार वोट मिले

घोसी के घमासान में सपा की बढ़त बरकरार है। 15 वें राउंड में भी सुधाकर सिंह की बड़ी लीड बनी हुई है। सुधाकर सिंह को 58 हजार 7 सौ 71 मत प्राप्त हुए। वो BJP प्रत्याशी दारा सिंह चौहान से 20 हजार 7 सौ 15 वोटों से आगे चल रहे हैं। दारा सिंह चौहान को अब तक 38 हजार 56 वोट मिले हैं। 15वें राउंड तक तकरीबन 90 हजार वोटों की काउंटिंग हो चुकी है। अभी लगभग 1 लाख 40 हजार वोटों की काउंटिंग बाकी है। घोसी के दंगल में 10 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन नोटा ने 7 प्रत्याशियों को पछाड़ कर तीसरे नंबर पर कब्जा जमाया है। नोटा को 827 वोट मिले हैं।

पिछले 4 चुनावों की बात करें, तो 2 बार सपा तो 2 बार बीजेपी ने बाजी मारी है। 5 सितंबर को हुई वोटिंग में 50.30% वोटर्स ने मतदान किया था। यह पिछले चुनाव से 8% कम था।

अब टेबल के जरिए जानिए किसे किस राउंड में कितने वोट मिले...

राउंड सुधाकर सिंह दारा सिंह चौहान अंतर

1 3281 3203 78

2 6844 5472 1372

3 10334 8342 1992

4 14286 10219 4067

5 18946 11927 7019

6 22785 14228 8557

7 25496 18311 7185

8 29030 22147 6883

9 34117 24885 9113

10 38635 26496 12139

11 43832 28100

15732

12 48202 29987 18215

13 51844 32400 19444

14 54963 35935 19028

15 58771 38056 20715

योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने कहा- अगर एरिया पाकिस्तान वाला है, तो बक्से जब खुलते हैं। लगता है कि पाकिस्तान जीत रहा है। जब एरिया हमारे लोगों का आता है, तो पता चला वह गायब हो जाते हैं। ​​

संजय निषाद के बयान पर शिवपाल यादव ने पटलवार किया। ​​​​​उन्होंने कहा-कोई इन्हें बताए कि ये इंडिया दैट इज भारत है, जहां हर भारतीय भारत माता की संतान है और एक सम्मानित नागरिक है।

काउंटिंग के लिए 14 टेबल बनाए गए हैं। इसमें 19 टीमें काउंटिंग करेंगी। कुल 32 राउंड काउंटिंग होगी।

सपा के सुधाकर देर रात मतगणना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा, जब तक गिनती न हो जाए और परिणाम न निकल जाए, तब तक तो निगरानी करनी पड़ती है।

योगी-अखिलेश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी

घोसी में योगी और अखिलेश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। भाजपा ने उपचुनाव में मंत्रियों की फौज उतार दी थी। बीजेपी के लिए 26 मंत्री और 60 से ज्यादा विधायक ने प्रचार किया। सीएम योगी ने भी चुनावी जनसभा की। ​​​​​

बीजेपी ने पिछड़ी जाति के वोटरों को साधने के लिए ओपी राजभर को, निषाद वोटरों को साधने के लिए संजय निषाद, कुर्मी वोटरों को साधने के लिए एके शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह, ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, मुस्लिम समाज के पसमांदा वोटरों को साधने के लिए दानिश आजाद अंसारी को घोसी के रण में उतरा गया।

इधर, सपा की तरफ से अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत कई नेता चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।​ शिवपाल तो नामांकन के बाद से ही घोसी में डटे रहें। अपने प्रत्याशी के लिए शिवपाल यादव ने डोर-टू-डोर कैंपेन किया।

6 साल में चौथी बार हुए चुनाव

घोसी विधानसभा सीट पर 6 साल के भीतर चौथी बार चुनाव हुए हैं। दिलचस्प है कि PDA (पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक) का नारा बुलंद करने वाली समाजवादी पार्टी ने क्षत्रिय बिरादरी के उम्मीदवार पर दांव लगाया है, जबकि बीजेपी की ओर से दलबदल के लिए चर्चित रहे दारा सिंह चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर है।

क्यों हुआ उपचुनाव?

सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दारा सिंह ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद यह सीट खाली हो गई। फिर 8 अगस्त को उपचुनाव का ऐलान हुआ। 10 अगस्त से नामांकन से शुरू हुआ, जिसके लिए अंतिम तिथि 17 अगस्त रखी गई थी। वहीं, चुनाव प्रचार 3 सितंबर तक चला। 5 सितंबर को वोटिंग हुई थी।

एक नजर प्रबल उम्मीदवारों के राजनीतिक करियर पर

अब बात 2022 के चुनावी नतीजे

2022 के विधानसभा चुनाव में घोसी से 11 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे, तब BJP से बागी होने वाले दारा सिंह चौहान को सपा ने टिकट दिया था। चौहान ने 108,430 वोट हासिल कर BJP के विजय कुमार राजभर को 22 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी। राजभर को 86,214 वोट मिले। वहीं, तीसरे पायदान पर रहे BSP उम्मीदवार वसीम इकबाल को 54,248 वोट मिले थे।

घोसी सीट का दिलचस्प चुनावी इतिहास, आज जुड़ेगा नया नाम

घोसी विधानसभा सीट 1951 में आजमगढ़ जिले का हिस्सा थी। तब घोसी पूर्व से सोशलिस्ट पार्टी के राम कुमार और पश्चिम घोसी से यूपी रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के झारखंड राय चुनाव जीते थे। 1957 में अस्तित्व में आई घोसी सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट से झारखंड राय को कामयाबी मिली।

राय ने इसी सीट से 1962 और 1967 में भी भाकपा उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की। साल 1968 में घोसी लोकसभा सीट से लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने। 1971 और 1980 में भी इसी संसदीय सीट से जीते, लेकिन 1977 में चुनाव हार गए।

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