I.N.D.I.A. बनाम भारत की बहस के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश मूणत के ट्वीट ने एक नई बहस को हवा दे दी है। मूणत ने सोशल मीडिया पर भारत नाम का समर्थन करते हुए अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने के वकालत की है। मूणत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक बयान का जवाब देते हुए फेसबुक और ट्विटर हेंडल पर लिखा है कि भारत के प्रति आपके भाव तोड़ने वाले हैं, याद रखिये...भारत अखंड है, सर्वदा विजेता ही है।
मूणत ने अपने आगे लिखा है कि हर भारतवासी की मांग है कि अब हर मंच अपने देश को भारत ही कहना ही उपयुक्त रहेगा...भारत हमारे पूर्वजो का दिया नाम है...जबकि भारत की पहचान अंग्रेजो ने INDIA के तौर पर की थी। मूणत ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए आगे लिखा कि अगर भारत सरकार अपने पूर्वजों के सम्मान में ,अपने देश भारत को गौरवांवित करती है,तो किसी को तकलीफ नहीं बल्कि गर्व होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी की स्थापना ही एक अंग्रेज एलन आक्टेवियन ह्यूम ने की थी, आपको अंग्रेजी पंरपरा के खत्म होने से दुख तो होगा ही। .. भारत का हर नागरिक भारतीय हैं..भारत हमारा गर्व है।
इतना ही नहीं मूणत ने आगे लिखा है कि देश मे अंग्रेजी भाषा के स्थान पर हिंदी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। मेरा विश्वास है.....शुरुआत हो चुकी है... हिंदी भारत माता के माथे की बिंदी अवश्य बनेगी। मूणत के इस ट्वीट से बहस को बल मिल गया है कि भारत शब्द के साथ ही अब हिंदी भाषा को भी अनिवार्य तौर पर इस्तेमाल किये जाने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा कोई ठोस फैसला लिया जायेगा, हालाँकि इस मुद्दे पर मूणत ने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा है। लेकिन इस को भाजपा की क्रोनोलॉजी के तौर पर देखा जा सकता है। देश के गृह मंत्री के हाल ही में अपने एक आधिकारिक बयान के राजभाषा पर संसद की समिति की 38वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए इससे बेहतर समय और कोई नहीं हो सकता, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंचों पर हिंदी और अन्य सभी भारतीय भाषाओं को गर्व के साथ प्रस्तुत करते हैं।
गृह मंत्री ने कहा था कि आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने देश के सामने पंच प्रण रखे हैं, जिनमें से दो प्रण हैं विरासत का सम्मान और गुलामी के निशान मिटाना। उन्होंने कहा कि इन दोनों प्रण को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए सभी भारतीय भाषाओं और राजभाषाओं को अपनी ताकत दिखानी होगी। शाह ने कहा था कि भाषा के सम्मान के बिना विरासत का सम्मान अधूरा है और राजभाषा की स्वीकार्यता तभी मिलेगी जब सभी लोग स्थानीय भाषाओं को सम्मान देंगे। उन्होंने कहा कि राजभाषा के प्रति बिना किसी विरोध के स्वीकार्यता विकसित करने की जरूरत है, भले ही इसकी गति धीमी हो।
ज्ञात हो कि दिल्ली में होने वाले जी-20 सम्मेलन में शामिल होने वाले मेहमानों को भोज के लिए आमंत्रित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रिपब्लिक ऑफ इंडिया के स्थान पर रिपब्लिक ऑफ भारत शब्द का इस्तेमाल किया है, इसके बाद से ही देश में बहस छिड़ी हुई है कि कहीं केंद्र सरकार ने जी 20 सम्मलेन के बाद ही 18-22 सितंबर तक आयोजित होने वाले संसद के विशेष सत्र इंडिया से भारत नाम बदलने को लेकर फैसला,तो नहीं ले लेगी, जो भी हो,फ़िलहाल इस चर्चा ने NDA के परस्पर विरोधी गठबंधन I.N.D.I.A. की नींद उड़ा दी है।
मंगलवार को छत्तोसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने के बयान में कहा था कि हमें राष्ट्रपति से निमंत्रण पत्र मिला और अब तक हमें इंडिया के राष्ट्रपति से निमंत्रण पत्र मिलता था, लेकिन यह समय आ गया है भारत के राष्ट्रपति से, इंडिया से इतनी दिक्कत?... अब जब विपक्षी गठबंधन को India कहा जाता है तो इससे परहेज कर रहे हैं. तो कल को भारत के नाम पर गठबंधन बनेगा तो क्या वे (केंद्र) वह नाम भी बदल देंगे? भाजपा प्रवक्ता राजेश मूणत ने अपना बयान इसी संदर्भ में दिया है।