Ghaziabad: कुत्ते के काटने के डेढ़ महीने बाद 14 साल के बच्चे की मौत, 25 साल बाद भी लौट सकता है रेबीज, 72 घंटे में इंजेक्शन लेना जरूरी

Ghaziabad: कुत्ते के काटने के डेढ़ महीने बाद 14 साल के बच्चे की मौत, 25 साल बाद भी लौट सकता है रेबीज, 72 घंटे में इंजेक्शन लेना जरूरी

गाजियाबाद का एक दर्दनाक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में एक 14 साल का बच्चा रेबीज से तड़पता हुआ नजर आ रहा है। इस बच्चे को करीब डेढ़ महीने पहले कुत्ते ने काट लिया था और AIIMS समेत तमाम बड़े अस्पतालों ने लाइलाज घोषित कर दिया। वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्चा एम्बुलेंस में तड़प-तड़पकर अपने पिता की गोद में ही दम तोड़ देता है।

बच्चे के पिता की माने तो 1 सितंबर को अचानक उनके बेटे की हरकतें अजीब हो गईं। जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि बच्चे को रेबीज हो गया है। रेबीज का पता चलने के बाद बच्चे को GTB और AIIMS दिल्ली में दिखाया लेकिन इलाज नहीं हो सका। बच्चे ने डांट पड़ने के डर से कुत्ते के काटने वाली बात घर में नहीं बताई थी।

लखनऊ, नोएडा और गाजियाबाद में कुत्तों के काटने के ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। बीते साल ही लखनऊ का पिटबुल केस काफी चर्चा में रहा था। कैसरबाग में हुई ये घटना काफी दर्दनाक थी, जिसमें कुत्ते ने 80 साल की रिटायर्ड महिला टीचर को काटा और मांस भी अलग कर दिया। जिसके बाद महिला की मौत हो गई।

एक बार रेबीज हो जाए तो काम नहीं आता कोई इलाज

रेबीज का वायरस दुनियाभर में हर 10 मिनट में एक व्यक्ति की जान ले रहा है। मेडिकल साइंस करीब 4500 साल से आज तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोज पाया है। इंसानी शरीर में एक बार रेबीज का वायरस एक्टिव हो जाए तो उसे बचाया नहीं जा सकता।

इसलिए इस मामले में जानकारी ही बचाव है। रेबीज का वायरस संक्रमित जानवर की लार में रहता है। रेबीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या चमगादड़ से फैल सकता है। लेकिन रेबीज के 90 फीसदी से ज्यादा मामले कुत्ते के काटने से ही आते हैं।

रेबीज होने के लक्षण

डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव से पूछा- कुत्तों के काटने पर क्या करें? तब उन्होंने जवाब देते हुए कहा, कुत्ते के काटने पर अगर ब्लड निशान है या ब्लड आ गया है, तो तुंरत टीका लगवाना चाहिए।

जब उनसे रेबीज के लक्षण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, कुत्ते के काटने पर न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम हो सकते हैं। पीड़ित पानी नहीं पी पाता और उसे पानी से डर लगता हैं। हाथ-पैर ऐंठने लगते हैं। कभी-कभी कुत्तों के भौंकने के लक्षण भी आ जाते हैं। कई बार बेहद अजीब से लक्षण दिखाई देते हैं।

रेबीज के इन लक्षणों को भी जानें

रेबीज के लक्षण किसी में कुछ ही महीने, जब कि कुछ लोगों में सालों बाद देखने को मिलते हैं।

इस बीमारी में हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) हो जाता है। एक ग्लास पानी भी बीमार को डरा सकता है।

गले में घुटन महसूस होती है, जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी होती है।

रोगी को रौशनी से डर लगता है और वो अंधेरे में रहना पसंद करता है।

नाक और मुंह से लगातार लार गिरती है और व्यक्ति उसे कंट्रोल नहीं कर पाता है।

समय के साथ कमर, रीढ़ और फिर पूरे शरीर में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है।

ज्यादातर लोग रैबीज से उबरने में नाकामयाब होते हैं और उनकी मौत हो जाती है।

डॉक्टर की सलाह मानें, तुरंत इलाज करवाएं और इंजेक्शन लेने से न बचें।

कुत्ते के काटने पर सबसे पहले क्या करें?

72 घंटे में एंटी रेबीज इंजेक्शन बेहद जरूरी है। वर्ना दवा का असर नहीं होगा, कोई अनजान या जंगली जानवर काटे या खरोंच मारे तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। अगर पालतू कुत्ते और बिल्ली को रेबीज का टीका नहीं लगवाया है और वह काट लें, तब भी डॉक्टर से मिलें।

रेबीज से बचाव की जानकारी देते हुए डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव बताते हैं, इसका ट्रटीमेंट मुश्किल होता है। अगर कुत्ता काटे तो बिना देरी किए एन्टी रेबीज का टीका लगवाएं। ये समझना होगा कि शरीर में यदि रेबीज का अटैक हो गया तो बच पाना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए पहले से ही सावधानी बरतें और सजग रहे।

एंटी रेबीज के लगते हैं 4 इंजेक्शन

डॉक्टर ने इस संबंध में कहा, जहां पर डॉग बाइट हो, उसको आधे घंटे तक लाइफबॉय साबुन से धुलते रहे। जिस जगह पर जख्म हो, उसे बांधना नहीं है। उसको खुला रखना है। किसी एक्सपर्ट डॉक्टर से एंटी रेबीज के इंजेक्शन जरूर लगवाए। एंटी रेबीज के चार इंजेक्शन लगते हैं। पहला 0 दिन, दूसरा तीसरे दिन, तीसरा 7वें दिन और चौथा इंजेक्शन 28वें दिन में लगवाना होता है।

काटने के बाद ये सबसे महत्त्वपूर्ण बात, जिसे जानना जरूरी

कुत्ते के काटने से हुए घाव पर लाल मिर्च, गोबर और कॉफी पाउडर जैसी चीजें न लगाएं। न ही घाव को किसी चीज से सेंके। ये चीजें रेबीज से तो बचाएंगी नहीं, घाव को और घातक जरूर बना देंगी। जिस जानवर ने काटा है, संभव हो तो उस पर करीब 10 दिन तक नजर रखें। अगर वह बीमार दिखे या कुछ दिनों में ही मर जाए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। उसमें रेबीज के लक्षण दिखें तो जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के हवाले कर दें।

शरीर में क्या असर करता है रेबीज का वायरस

वायरस इंसानी शरीर में आने के बाद सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है और 3 से 12 हफ्ते में ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंच जाता है। ब्रेन में पहुंचकर वायरस तेजी से बढ़ता है। इसके बाद मरीज को लकवा मार सकता है, वह कोमा में जा सकता है और आखिर में मौत हो जाती है। कभी-कभी रेबीज के लक्षण दिखने में एक साल या उससे अधिक समय भी लग जाता है। लक्षण कितने दिन में दिखेंगे यह वायरस की सक्रियता, इंसान की इम्यूनिटी और घाव की गंभीरता पर डिपेंड करता है।

सोता रहता है वायरस, इम्यूनिटी कमजोर होने का इंतजार करता

रेबीज का वायरस इंसानी शरीर में सुप्त अवस्था में कई साल तक रह सकता है। अगर इम्यूनिटी अच्छी है तो यह तुरंत असर नहीं दिखाएगा। लेकिन उम्र बढ़ने और मगर इम्यूनिटी कमजोर होने पर रेबीज का वायरस 25 साल बाद भी असर दिखा सकता है। ऐसा एक उदाहरण 2009 में गोवा के एक मरीज में मिला था, जिसमें 25 साल बाद रेबीज के लक्षण आए और उसे बचाया नहीं जा सका।

मालिक भी रहें अलर्ट

इन सभी सावधानों के साथ ही डॉग लवर्स यानी उन्होंने पालने वाले लोगों को भी अलर्ट रहने की जरूरत है। इसकी जानकारी देते हुए डॉग ट्रेनर डॉ. एपी यादव बताते हैं कि कुत्तों के लिए पहली वैक्सीन जन्म के 90 दिन पर और दूसरी डोज 110 दिन पर लगानी चाहिए। इसके बाद हर साल एक डोज लगानी होगी। पालने वाले लोगों को भी कुत्ते को किसी स्ट्रीट डॉग के हमले से बचाए रखना जरूरी होता है।

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