घोसी उपचुनाव के परिणाम 8 सितंबर को आने वाले है। बीजेपी के सहयोगी दलों की धड़कनें बढ़ गई हैं। दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सामने बैठकर बड़े-बड़े वादे करने वाले छोटे दलों के मुखिया और नेताओं के लिए अब घोसी का उपचुनाव जीतना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। क्योंकि इसके परिणाम के बाद ही NDA में सीटों को लेकर चर्चा होगी।
सुभाषपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) की प्रतिष्ठा दांव पर
घोसी में हुए उपचुनाव का रिजल्ट 8 सितंबर को घोषित होगा। घोसी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव जहां एक तरफ बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है, तो वहीं दूसरी तरफ इस के चुनाव के नतीजे एनडीए के सहयोगी घटक सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) की सियासी राह भी तय करेंगे। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सभी सहयोगी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों ने दिल्ली में बैठकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सामने बड़े-बड़े वादे और अपने समाज में पैठ के दावे किए थे। लेकिन अब जब घोसी में हुए उपचुनाव के परिणाम घोषित होने में महज एक दिन ही बाकी है तो इन सभी पार्टियों के अध्यक्षों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
जातीय समीकरण साधने के लिए बीजेपी ने उतारे थे 26 मंत्री और 60 से ज्यादा विधायक
बीजेपी घोसी उपचुनाव की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि घोसी प्रचार में 26 मंत्री और 60 से ज्यादा विधायक मैदान में थे। साथ ही जातीय समीकरण साधने के लिए अलग-अलग जातियों के नेताओं को घोसी के रण में उतारा गया था। यही कारण था कि पिछड़ी जाति के वोटरों को साधने के लिए सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर को, निषाद वोटरों को साधने के लिए निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद, कुर्मी वोटरों को साधने के लिए एके शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह, ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, मुस्लिम समाज के पसमांदा वोटरों को साधने के लिए दानिश आजाद अंसारी को घोसी के रण में उतरा गया था।
अब आपको बताते हैं कि घोसी सीट पर जाति समीकरण क्या कहते हैं...
घोसी विधानसभा सीट पर कुल 4.37 लाख मतदाता।
पुरुष मतदाता- 235995 और महिला मतदाता- 209948, अन्य मतदाता- 9 हैं।
मुस्लिम मतदाता: करीब 1 लाख, पसमांदा ज्यादा।
दलित मतदाता: 90 हजार
राजभर मतदाता: 60 हजार
चौहान (पिछड़े मतदाता): 50 हजार
निषाद मतदाता: 50 हजार
ठाकुर मतदाता: 15 हजार
भूमिहार मतदाता: 20 हजार
ब्राह्मण मतदाता: 17 हजार
वैश्य मतदाता: 35 हजार
अपने-अपने समाज में अपनी पैठ बताने वाले भाजपा के तीनों ही सहयोगी दलों को घोसी उपचुनाव में अपने आप को सिद्ध करना होगा। क्योंकि घोसी विधानसभा सीट पर इन तीनों ही दलों के वोटरों की संख्या काफी निर्णायक है। बीजेपी के सूत्रों की मानें तो घोसी उप चुनाव इन तीनों ही दलों की परीक्षा से कम नहीं है। घोसी के परिणाम घोषित होने के बाद एनडीए के घटक दलों ( सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल (एस) को दी जाने वाली सीटों को लेकर भी फैसला हो सकता है।
सबसे आखिरी में 2022 के विधानसभा चुनाव पर एक नजर...
2022 विधानसभा चुनाव में घोसी सीट पर दारा सिंह चौहान ने सपा से जीत हासिल की थी। दारा सिंह चौहान को कुल 1,08,430 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के विजय राजभर को 86,214 मत प्राप्त हुए थे। इसके साथ ही BSP के प्रत्याशी वसीम इकबाल 54,248 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।