एक राष्ट्र एक चुनाव समिति की पहली आधिकारिक बैठक बुधवार को दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उनके आवास पर होने की संभावना है। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द से मुलाकात की थी, जिसके तुरंत बाद उन्हें एक राष्ट्र, एक चुनाव की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक समिति का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जो कि 1967 तक यही स्थिति थी। गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बुधवार दोपहर को एक साथ चुनाव पैनल के प्रमुख राम नाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे।
कमेटी में ये लोग शामिल
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अब इसके अन्य सदस्यों की भी घोषणा कर दी गई है। कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को जगह दी गई है। इसके अलावा पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद और अन्य को समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। इनमें एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरिश साल्वे और संजय कोठारी हैं। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हर वर्ष देश में कहीं न कहीं चुनाव होता है। इससे विकास में बाधा आती है, अधिक खर्च भी होता है। इसी के चलते एक राष्ट्र, एक चुनाव की बात सामने आई होगी...कमेटी बनी है वो अध्ययन करेगी और रिपोर्ट जमा करेगी। ये अच्छी बात है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, 2014 से, एक साथ चुनाव के विचार के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल हैं, उन्होंने लगभग निरंतर चुनाव चक्र के कारण होने वाले वित्तीय बोझ और मतदान अवधि के दौरान विकास कार्यों को झटका लगने का हवाला दिया है। कोविंद ने भी मोदी के विचार को दोहराया था और 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद इस विचार के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था। पूर्व राष्ट्रपति, जो समिति का नेतृत्व करेंगे, व्यवहार्यता और तंत्र का पता लगाएंगे कि देश कैसे एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराने की स्थिति में वापस आ सकता है, जैसा कि 1967 तक होता था