भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी हिस्से में लैंड किया. इसके बाद चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से बाहर आया. दोनों लगातार 14 दिन तक लगातार चांद की सतह से डाटा भेजने के बाद 4 सितंबर 2023 को स्लीप मोड में चले गए. लैंडर विक्रम और रोवन प्रज्ञान ने 14 दिन की लंबी नींद में जाने से पहले शानदार काम किया. इसरो ने बताया कि रोवर प्रज्ञान शनिवार को और लैंडर विक्रम सोमवार को स्लीप मोड में चले गए. अब चांद पर धरती के 14 दिन तक रात रहेगी. इस दौरान चांद का तापमान माइनस 200 डिग्री से ज्यादा हो जाता है.
इसरो ने एक्स पर 4 सितंबर को लिखा कि विक्रम लैंडर भारतीय समयानुसार सुबह करीब 8 बजे स्लीप मोड में चला गया है. इससे पहले चास्ते, रंभा-एलपी और इलसा पेलोड ने नई जगहों पर प्रयोग किए. इस दौरान जुटाए गए आंकड़े धरती पर भेजे गए. अब पेलोड को बंद कर दिया गया है, लेकिन लैंडर का रिसीवर ऑन रखा गया है. इसरो ने ये भी बताया कि सौर ऊर्जा खत्म होने और बैटरी से ऊर्जा मिलना बंद होने पर लैंडर विक्रम रोवर प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में रहेगा. अगर सबकुछ ठीक रहा तो दोनों 22 सितंबर 2023 को फिर से सक्रिय हो जाएंगे. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि जब मिशन पूरा हो जाएगा तो रोवर और लैंडर का क्या होगा? क्या ये चांद पर ही रहेंगे या दोनों को वापस धरती पर लाया जाएगा?
कहां गायब हो जाते हैं लैंडर और रोवर?
इसरो ही नहीं, अमेरिका की नासा समेत दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां किसी भी दूसरे ग्रह की जानकारियां जुटाने के लिए मिशन पर भेजे गए लैंडर और रोवर पर निर्भर रहती हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि जब मिशन पूरा हो जाता है तो ये लैंडर और रोवर कहां गायब हो जाते हैं? इस पर नासा ने कहा कि किसी भी लैंडर और रोवर को धरती पर वापस नहीं लाया जाता है. ज्यादातर मिशन पूरे होने के बाद लैंडर और रोवर का धरती से संपर्क टूट जाता है. ऐसे में ये दोनों अभियान के लक्षित ग्रह पर कहीं पड़े रहते हैं.
क्या धरती पर लौंटेंगे प्रज्ञान और विक्रम?
तो क्या लापता हो जाते हैं रोवर-लैंडर?
सवाल उठता है कि क्या संपर्क टूटने के बाद लैंडर और रोवर लापता हो जाते हैं. इस पर नासा ने बताया था कि कोई भी मिशन पूरा होने के बाद लैंडर और रोवर ना तो नष्ट होते हैं और ना ही लापता होते हैं. ये संपर्क की अपनी आखिरी जगह पर ही पड़े रहते हैं. अगर चांद की बात की जाए तो धरती के इस उपग्रह का कोई वायुमंडल नहीं है. ऐसे में चंद्रमा पर छोड़ी गई कोई भी चीज सदियों तक जस की तस पड़ी रह सकती है. यहां तक कि चांद पर पहली बार पड़े इंसान के कदमों के निशान 54 साल बाद आज भी मौजूद हैं. नासा ने इसका एक वीडियो भी जारी किया था.
इसरो ने भी स्पष्ट कर दिया है कि प्रज्ञान और विक्रम को धरती पर वापस नहीं लाया जाएगा. दोनों अपने आखिरी समय तक चांद से डाटा भेजते रहेंगे. अंत में संपर्क टूटने के बाद दोनों चांद पर ही रहेंगे. इनका कोई भी हिस्सा धरती पर नहीं लाया जाएगा. बता दें कि चंद्रयान-2 का मलबा भी चांद पर जस का तस पड़ा हुआ है. बता दें कि इसरो के चंद्रयान-3 का कुल वजन 3,900 किग्रा है. प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किग्रा और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है. वहीं, काफी हल्के रोवर का वजन महज 26 किग्रा है.