नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग को आज कौन नही जानता है. वैसे एक वक्त ऐसा भी था जब उनको किसी भी टीम में जगह नहीं मिलती थी. यह वाकया किसी और ने नहीं बल्कि खुद सहवाग ने सुनाया था. दिल्ली की टीम की तरफ से खेलने के लिए ट्रायल्स में जाने के बाद भी वह मौका हासिल करने में नाकाम हो रहे थे फिर एक खास मैच आया जिसने उनकी जिंदगी बदल दी.
दुनिया के सबसे विस्फोटक ओपनर की लिस्ट में जगह बनाने वाले भारतीय दिग्गज वीरेंद्र सहवाग की कहानी भी हर जीनियस की तरह अलग है. टीम इंडिया में जगह बनाने से लेकर ओपनिंग में आना सबकुछ एक जोखिम ही था. सौरव गांगुली ने मिडिल ऑर्डर से ओपनिंग में भेजने का फैसला लिया तो करियर ने जोरदार टर्न ले लिया. सहवाग बचपन से ही मेहनती थे और आक्रामक बल्लेबाजी करना उनकी पहचान थी. इस धुरंधर को दिल्ली की टीम में भी मुश्किल से जगह मिली थी.
सहवाग को मिला था आखिरी मौका
वीरेंद्र सहवाग ने एक किस्सा सुनाया था जिसमें उन्होंने दिल्ली की टीम के ट्रायल्स में बिना ज्यादा मौके मिले वापस लौटने की बात बताई थी. उन्होंने बताया कि कैसे वह ट्रायल्स पर जाते थे लेकिन कुछ गेंद खेलने का ही उनको मौका दिया जाता था. इस बीच एक महीसे ने उनके लिए पहला और आखिरी मौका बनाया. दिल्ली अंडर 19 इलेवन और जामिया के बीच एक मैच रखा गया. सहवाग को साफ तौर से सज्जन ने कह दिया था यह उनके करियर का पहला और आखिरी मौका होगा अगर यहां रन नहीं बने तो फिर वो कुछ नहीं कर सकते
सहवाग ने बताया कि जामिया और दिल्ली के बीच के इस मैच में मिले मौके को दोनों हाथों से लपका था. उन्होंने इस मुकाबले में 150 रन से ज्यादा की पारी खेल डाली थी. इस पारी के दौरान सहवाग के बल्ले से 17 छक्के निकले थे. कमाल की बात यह कि सारे ही छक्के मैदान से बाहर जाकर गिरे थे. इस पारी को देखने के बाद दिल्ली के चयनकर्ता ने उनको बुलाया और फिर टीम में उनकी जगह बनी. इस एक मैच ने उनका जीवन बदल दिया और सहवाग दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाजों में शुमार हुए.