आदित्य एल-1 में अहम भूमिका निभा रहे मो.हसन, लखनऊ विश्वविद्यालय से किया था B.Sc

आदित्य एल-1 में अहम भूमिका निभा रहे मो.हसन, लखनऊ विश्वविद्यालय से किया था B.Sc

लखनऊ का एक और मेधावी, ISRO के टॉप प्रोजेक्ट में बखूबी योगदान दे रहा। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे मोहम्मद हसन ISRO के आदित्य एल-1 से जुड़े हैं। ISRO मुख्यालय के साइंस प्रोग्राम ऑफिस में बतौर प्रोग्राम मैनेजर के रूप में काम कर रहे हैं।

2006 में LU से किया था B.Sc

मोहम्मद हसन ने मैथ्स, फिजिक्स, और एस्ट्रोनॉमी यानी खगोल विज्ञान विभाग से B.Sc. की डिग्री LU से हासिल की हैं। LU में एस्ट्रोनॉमी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अलका मिश्रा ने बताया कि मो. हसन बेहद ब्राइट माइंड स्टूडेंट रहे। धीर और गंभीर रहने के साथ ही वो बैच के टॉप परफॉर्मर स्टूडेंट भी रहे। शुरू से ही उनका इंटरेस्ट एस्ट्रोनॉमी में था। इसी फील्ड में वो अपना कैरियर बनाना चाहते थे। आज उनके इस मिशन से जुड़े होने के कारण LU को उनपर नाज हैं।

BHU से M.Sc और P.hd. किया

प्रो.अलका ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद वो उन्होंने वाराणसी का रुख किया। BHU से उन्होंने पहले M. Sc.और फिर बाद में P.hd की डिग्री हासिल की। इसके बाद उनका चयन ISRO में भी हुआ।

सूरज की अंगलुर डाईमीटर पर किया था वर्कआउट

प्रो.अलका कहती हैं कि मोहम्मद हसन ने 95% से ज्यादा मार्क्स के साथ एस्ट्रोनॉमी में टॉप किया था। इस विषय में उनके फंडामेंटल्स बेहद क्लियर रहे। अच्छी बात यह रही कि पढ़ाई के दौरान वो थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल पर भी बेहद फोकस किया करते थे। प्रैक्टिकल के दौरान सूर्य का अंगुलर डाईमीटर निकालने के अलावा अंतरिक्ष के तमाम पहलुओं में रुचि रखते हैं। इस मिशन में वो अपना बेस्ट देने में जरूर कामयाब होंगे।

सन लेयर्स का करेंगे अध्ययन प्रोफेसर डॉ. अलका मिश्रा ने बताया कि सूर्य की विभिन्न परतों का अध्ययन करने के लिए आदित्य-L1 सात पेलोड ले जाएगा। अंतरिक्ष यान में लगे यह पेलोड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से फोटोस्फियर, क्रोमोस्फियर और सूर्य की सबसे बाहरी परत का अध्ययन करेंगे।

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