Aditya L1 PSLV Rocket: आदित्य-L1 (Aditya-L1) मिशन अपनी यात्रा पर निकल चुका है. यह भारत का पहला सूर्य मिशन है. आदित्य-L1 को PSLV-XL रॉकेट अंतरिक्ष में लैंग्रेज पॉइंट 1 के पास छोड़ेगा. यह PSLV की 59 वीं उड़ान है. XL वैरिएंट की बात करें तो इसकी 25वीं उड़ान है. बता दें कि मिशन की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से हुई. रॉकेट की ऊंचाई की बात करें तो यह 145.62 फीट का है. लॉन्च के समय इसका वजन 321 टन रहा.
यह चार स्टेज का रॉकेट है. यह आदित्य-L1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ेगा, जिसकी पेरिजी 235 किलोमीटर और एपोजी 19,500 किलोमीटर होगी. मालूम हो कि पेरिजी पृथ्वी से नजदीकी दूरी को कहते हैं और एपोजी अधिकतम दूरी को कहते हैं. आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है. लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद यह रॉकेट से अलग हो जाएगा. PSLV-XL रॉकेट आदित्य-L1 को मात्र 25 मिनट में तय कक्षा में पहुंचा देगा. यह इस रॉकेट की सबसे लंबी उड़ानों में से एक है. इससे पहले इसकी इतनी लंबी यात्रा साल 2021 में ब्राजील के अमेजोनिया समेत 18 सैटेलाइट की उड़ान थी. इस उड़ान में एक घंटा 55 मिनट का समय लगा था.
उससे पहले सितंबर 2016 में इस रॉकेट ने 2 घंटे 15 मिनट की उड़ान भरी थी. तब इसने आठ सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ा था. ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार इस रॉकेट के लिए खास अरेंजमेंट ऑफ पेरिजी (AOP) का इंतजाम करना पड़ता है. इसी कारण इस रॉकेट का चौथा स्टेज एक बार में आदित्य को तय ऑर्बिट में नहीं पहुंचाएगा. यह पहले 30 सेकेंड के लिए ऑन होगा और जब तक आदित्य तय AOP हासिल नहीं कर लेता, चौथा स्टेज उसे छोड़ेगा नहीं.
आदित्य कैसे पहुंचेगा L1 प्वाइंट पर?
लॉन्चिंग के बाद आदित्य-L1 16 दिनों तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर काटता रहेगा. इस दौरान पांच ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे. ताकि इसे सही स्पीड मिल सके. इसके बाद आदित्य-L1 का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन होगा. फिर आदित्य-L1 109 दिन की यात्रा पर निकल जाएगा. जैसे ही आदित्य L1 पर पहुंचेगा वह वहां पर एक ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा. ताकि स्पेसक्राफ्ट L1 पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगा सके. आदित्य-L1 लैंग्रेज पॉइंट 1 पर 5 साल रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा और डेटा भेजेगा.