बेंगलुरु: ऐसे समय में जब कर्नाटक के 246 तालुकों में से 75 प्रतिशत में सूखे जैसे हालात का सामना कर रहे हैं और राज्य में वित्तीय संकट दिखाई दे रहा है, कर्नाटक सरकार ने मंत्रियों के लिए 33 आलीशान कारें खरीदने का फैसला किया है. पांच बड़े चुनावी वादे करके सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार को अभी अपनी पांच बड़ी चुनावी गारंटी भी पूरी करनी है. बहरहाल फिजूलखर्ची से बचने के उपाय करने के बजाय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार ने पूरे मंत्रिमंडल के लिए 33 हाई-एंड हाइब्रिड कारों की खरीद के लिए मंजूरी दी है.
सीएम सिद्धारमैया को लगभग दो महीने पहले ही एक फॉर्च्यूनर एसयूवी आवंटित की जा चुकी है. अब 33 मंत्रियों के लिए 17 अगस्त को जारी आदेश के मुताबिक गाड़ी खरीदने के लिए कहा गया है. इन सभी मंत्रियों के लिए 30 लाख रुपये कीमत की नई हाइब्रिड हाईक्रॉस एसयूवी की खरीद की जाएगी. इस आदेश में कहा गया है कि 33 नए मंत्रियों के लिए नई इनोवा हाइक्रॉस-हाइब्रिड एसयूवी के लिए करीब 9.9 करोड़ रुपये खर्च किए जाने वाले हैं. इसके लिए कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (DPAR) बेंगलुरु में टोयोटा-किर्लोस्कर मोटर कंपनी से सीधे सार्वजनिक खरीद में कर्नाटक पारदर्शिता अधिनियम-1999 (KTPP) की धारा 4जी के तहत छूट के लिए संपर्क करेगा. DPAR को इन गाड़ियों को खरीदने की शक्तियां हासिल हैं.
‘केटीपीपी कानून’ के मुताबिक जब भी कोई प्राकृतिक आपदा या आपातकाल घोषित किया जाता है, तो सरकार द्वारा 4जी छूट मांगी जाती है. साथ ही नई गाड़ियों की खरीद का फैसला इस आधार पर लिया जाता है कि गाड़ी या तो 1 लाख किलोमीटर चली होनी चाहिए या उसे 3 साल पुराना होना चाहिए. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि पिछले तीन साल से मंत्रियों के लिए कोई गाड़ी नहीं खरीदी गई थी. आखिरी ऑर्डर 2020 में पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के कार्यकाल के दौरान दिया गया था. आमतौर पर सत्ता में आने वाली हर नई सरकार नई गाड़ियों की खरीद का फैसला करती है.
डीपीएआर के एक अधिकारी ने कहा कि जब नए मंत्री बनते हैं, तो यह परंपरा है कि सीएम मंत्रियों को राज्य भर में उनकी आरामदायक यात्रा के लिए नई गाड़ियों की खरीद के लिए अधिकृत करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि यह दावा किया गया है कि किसी भी मंत्री ने निजी रूप से नई गाड़ी के लिए अनुरोध करने की बात कबूल नहीं की है. मगर जो पुरानी गाड़ी उन्हें दी गई हैं, उनके बदले वे दूसरी गाड़ी की मांग कर रहे हैं.