New Delhi: BJP की नई रणनीति, कट्‌टर हिंदुत्व की छवि बदलकर दलित मुस्लिम वोट एकमुश्त कांग्रेस में जाने से रोकेगी

New Delhi: BJP की नई रणनीति, कट्‌टर हिंदुत्व की छवि बदलकर दलित मुस्लिम वोट एकमुश्त कांग्रेस में जाने से रोकेगी

राजस्थान में कांग्रेस ने जब-जब भाजपा को हटाकर सत्ता हासिल की है, तो सबसे बड़ी भूमिका मुस्लिम वोटरों की रही है। यही वजह है कि इस बार भाजपा ने इसके लिए खास तैयारी की है। भाजपा ने अब मुस्लिम बहुल 40 विधानसभा सीटों पर फाेकस करने का प्लान बनाया है।

भाजपा दरगाह-ईदगाह और मुस्लिम कमेटियों से जुड़े लोगों का राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा कार्यक्रम करने की तैयारी में है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्धिकी का कहना है कि हर जिले से कम से कम 100 प्रबुद्ध लोगों को बुलाया जाएगा। इससे देशभर में यह मैसेज जाएगा कि भाजपा मुस्लिमों के हित में काम कर रही है और मुस्लिम समाज में पार्टी की पैठ जम रही है।

यह होगी रणनीति…हर सीट पर 1-1 हजार मुस्लिम परिवार टारगेट पर हैं

चुनाव से करीब तीन महीने पहले भाजपा ने मुस्लिम बहुल हर सीट पर एक-एक हजार मुसलमान परिवारों को पार्टी से जोड़ने का काम शुरू कर दिया है। इनमें ज्यादातर केंद्र सरकार की लाभार्थी मुस्लिम महिलाएं, समाज के बुद्धिजीवी और धर्मगुरु शामिल हैं।

पार्टी से जोड़कर इन एक हजार लोगों को खुद के परिवार और रिश्तेदारों के परिवारों से कम से कम दस-दस वोट भाजपा को दिलाने का लक्ष्य दिया जाएगा। इस तरह से भाजपा की कोशिश रहेगी कि हर हाल में हर सीट पर मुसलमानों के कम से कम दस-दस हजार वोट हासिल करे। इसके लिए आरएसएस के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच को भी टास्क सौंपा गया है।

यह फॉर्मूला इसलिए…ताकि कांग्रेस को हर सीट पर 20 हजार वोट की चोट हो

भाजपा का मानना है कि अगर मुस्लिम बहुल हर सीट पर मुस्लिम वर्ग के दस-दस हजार वोट पार्टी को मिल जाते हैं तो कांग्रेस को हर सीट पर सीधे तौर पर 20 हजार वोटों का नुकसान होगा। पिछले तीन चुनाव के ट्रेंड को देखते हुए 30% से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स वाली इन 40 सीटों में से अधिकांश पर जीत-हार का आंकड़ा एक हजार से 20 हजार के बीच ही रहता आया है।

इनमें भी 10 हजार से कम अंतर वाली सीटों का आंकड़ा बड़ा है। इन 40 सीटों में से 2008 के चुनाव में 27, 2013 में 14 और 2018 में 17 सीटों पर जीत का अंतर दस हजार से कम था।

ऐसी है तैयारी…केंद्र से सीधी मॉनीटरिंग, मप्र और छत्तीसगढ़ में भी यही रणनीति

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा, मुसलमानों को लगता है कि भाजपा मुस्लिमों के लिए सही विकल्प नहीं है। हम धीरे-धीरे यही छवि धोने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए राजस्थान की मुस्लिम बहुल 40, मध्यप्रदेश की 12, तेलांगाना की 24 और छत्तीसगढ़ की 12 सीटों पर काम कर रहे हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए हर सीट पर प्रभारी-सह प्रभारी तैनात किए गए हैं। बुद्धिजीवी वर्ग, मुस्लिम महिलाओं और धर्मगुरुओं तक पार्टी के काम पहुंचाने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। पिछले दिनों पीएम मोदी ने सभी सांसदों को रक्षाबंधन पर मुस्लिम महिलाओं से राखी बंधवाने के लिए भी कहा था।

पसमंदा पर ज्यादा फोकस…क्योंकि 70% मुस्लिम आबादी इसी वर्ग से जुड़ी हुई है

मुस्लिम समाज में भाजपा का खास फोकस पसमंदा मुस्लिमों पर है। इस वर्ग में 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी आती है। पसमंदा मुसलमानों में ओबीसी और दलित वर्ग के कामकाजी मुसलमान आते हैं, जो छोटे-छोटे काम करके आजीविका चलाते हैं। बीजेपी केंद्र से चल रही योजनाओं का प्रचार इस वर्ग में जोर-शोर से कर रही है।

इन्हें मोदी सरकार की मकान, शौचालय, गैस और पेंशन जैसी स्कीम्स का ज्यादातर फायदा मिल रहा है। भाजपा यह मैसेज दे रही है कि जब सरकार के स्तर पर हिंदू-मुस्लिम में कोई भेद नहीं है तो मुसलमानों को भाजपा से नाराज क्यों रहना चाहिए।

वे 40 सीटें… जहां मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने के लिए कमर कस रही भाजपा

ये राजस्थान की ऐसी 40 सीटें हैं, जहां 30 से 50% तक मुस्लिम वोटर हैं। ये सीटें हैं- मसूदा, टोंक, कोटा उत्तर, लाडपुरा, नागौर, मकराना, डीडवाना, लाडनूं, नगर, कामां, तिजारा, किशनगढ़बास, अलवर ग्रामीण, रामगढ़, सवाईमाधोपुर, झालरापाटन, बूंदी, चूरू, धौलपुर, करणपुर, हवामहल, किशनपोल, आदर्शनगर, सिविल लाइंस, सीकर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, झुंझुनूं, मंडावा, सरदारपुरा, सूरसागर, फलोदी, पोकरण, जैसलमेर, शिव, चौहटन, बीकानेर पूर्व, बीकानेर पश्चिम, खाजूवाला और पुष्कर।

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