उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी और सपा दोनों की पार्टी पूरी तैयारी में जुटी है। लेकिन, बीजेपी का इस बार का पूरा फोकस मुस्लिम वोटरों पर है, यही कारण है कि घोसी विधानसभा सीट पर बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा से लेकर मंत्री तक मैदान में उतर गए। वहां मुस्लिम समुदाय के बीच में सरकार के किए गए कामों को लेकर पहुंच रहे। सीट पर 5 सितंबर को वोटिंग होगी। आठ सितंबर को रिजल्ट आएगा। आज अखिलेश यादव घोसी सीट पर चुनाव प्रचार करेंगे तो 2 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चुनाव-प्रचार में शामिल होंगे।
घोसी सीट पर बीजेपी और सपा की अग्नि परीक्षा
घोसी सीट पर होने वाले उपचुनाव बीजेपी और सपा के लिए अग्नि परीक्षा बन चुकी है। लोकसभा चुनाव से पहले घोसी के उपचुनाव को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। यही कारण है कि जहां एक तरफ बीजेपी की पसमांदा वोटर को रिझाने को लेकर कवायद चल रही है और बीजेपी के मंत्री और अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा घोसी विधानसभा सीटों में प्रबुद्ध सम्मेलन किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए की परीक्षा है।
घोसी विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण
कुल 4.25 लाख मतदाताओं वाली घोसी सीट पर मुस्लिम वोटर करीब 90 हजार हैं, दलित 70 हजार, यादव 56 हजार, राजभर 52 हजार और चौहान वोटर करीब 46 हजार हैं। जातीय समीकरण के कारण ही सपा को जीत की उम्मीद है, लेकिन दारा सिंह चौहान की पूर्वांचल में पिछड़ी जाति में आने वाले लोनिया, चौहान बिरादरी में अच्छी पकड़ है। साथ ही बीजेपी पिछले दो सालों से पूरा फोकस पसमांदा मुसलमान पर है। वहीं सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर भी अब एनडीए का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में घोसी सीट पर दोनों ही पार्टियों में कांटे की टक्कर है।
2022 विधानसभा चुनाव के परिणाम
2022 विधानसभा चुनाव में घोसी सीट पर दारा सिंह चौहान ने सपा से जीत हासिल की थी। दारा सिंह चौहान को कुल 1,08,430 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के विजय राजभर को 86,214 मत प्राप्त हुए थे। इसके साथ ही बीएसपी के प्रत्याशी वसीम इकबाल 54,248 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।
पसमांदा मुसलमानों पर बीजेपी लगा रही दांव
भाजपा पसमांदा समाज में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए लगातार उत्तर प्रदेश में पसमांदा मुसलमानों के बीच कार्यक्रमों को करा रही है। इसमें बीजेपी की मुसलमानों से जुड़ी पॉलिसी के बारे में बताया जा रहा है। पिछले 1 सालों के दौरान बीजेपी मुसलमानों के लिए तमाम कार्यक्रम को अंजाम दिया है, जिनमें से एक कार्यक्रम प्रधानमंत्री की मन की बात भी रहा। पीएम मोदी के मन की बात की किताब का उर्दू अनुवाद करके बांटा भी गया।
यूपी में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी ने 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। जिसमें बीजेपी के 61 मुस्लिम कैंडिडेट ने जीत भी हासिल की थी। चेयरमैन सभी 5 सीटों पर बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली थी। बीजेपी लगातार मुस्लिम उम्मीदवारों पर अपने विश्वास जता रही है। निकाय चुनाव के बाद ही बीजेपी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रहे तारीख को भाजपा कोटे से विधान परिषद का सदस्य भी चुना।
क्यों पसमांदा पर बीजेपी लगा रही दांव?
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में लगभग 70 से ज्यादा सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। पूरे प्रदेश में करीब चार करोड़ मुसलमान हैं और उन में सबसे अधिक आबादी पसमांदा मुसलमानों की है। वेस्ट यूपी में मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे अधिक मानी जाती है। यहां की सहारनपुर, मेरठ, कैराना, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बुलंदशहर और अलीगढ़, आजमगढ़, मऊ की सीटें हैं। अभी तक मुस्लिम वोटर्स परंपरागत रूप से इस सपा और बसपा के वोटर का रहा है, लेकिन यूपी में हुए निकाय चुनाव से बीजेपी को यह लगने लगा है कि दोनों ही पार्टियों के कोर वोटर में सेंध आसानी से लगाई जा सकती है। लिहाजा बीजेपी पसमांदा नेताओं पर दांव लगा रही है।
पसमांदा समाज में 20 से अधिक जातियां शामिल
भाजपा पसमांदा मुसलमानों पर पूरी तरह से फोकस बनाए हैं, क्योंकि पसमांदा में 20 से अधिक जातियां जिसमें सैफी, अंसारी, अल्वी, कुरैशी, मंसूरी, इदरीसी, सलमानी, रायन, भटियारा, मोची, मनिहार, पैमादी, गुर्जर, राजगीर, गद्दी, मेवाली, रंगरेज, भड़भूजा, नालबंद, धोभी, शाह, फकीर, हम्माल, जुलाहा और शिशगर जातियां प्रमुख हैं।
देश के कई राज्यों में पसमांदा मुसलमान बाहुल्य
अगर देश भर की बात करें तो उत्तर प्रदेश के साथ ही पसमांदा मुसलमानों की संख्या बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, आंध्र प्रदेश, असाम शामिल है। इन सभी जगहों पर लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए मुस्लिम वोटर्स का साथ होना जरूरी माना जाता है।
नए पसमांदा वोटर्स को जोड़ने के लिए बीजेपी की रणनीति
भाजपा पिछले एक दशक से नए वोटर्स को जोड़ने के लिए लगातार रणनीतियां तैयार कर रही है, यही कारण है कि बीजेपी में मुस्लिम वोटर तक पहुंचने के लिए पसमांदा मुसलमानों को चुना है। भाजपा ने पसमांदा नेताओं पर जो दांव खेला है। उसका फायदा यूपी की 29 लोकसभा क्षेत्र में मिल सकता है, जो अभी तक बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के लिए वोट करते आए हैं।
2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने यूपी 80 सीटों पर जीत हासिल करने में कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती है। शायद यही कारण है कि बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को रिझाने में लगी है। यूपी में बीते दिनों हुए निकाय चुनाव में बीजेपी ने 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। जिसमें बीजेपी के 61 मुस्लिम कैंडिडेट ने जीत भी हासिल की थी। बीजेपी लगातार मुस्लिम उम्मीदवारों पर अपने विश्वास जता रही है ।