रोटी खिलाने के बाद भारतीय मूल की महिलाओं को ऑक्सफोर्डशायर में एटॉमिक एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट ले जाया गया था. यहां उनके रेडिएशन लेवल की जांच की गई और इसका पता लगाने की कोशिश की गई कि उनका शरीर कितना आयरन उपभोग (कंज्यूम) कर पाया है.
ब्रिटेन के विपक्षी दल लेबर पार्टी की एक सांसद ने 1960 के दशक के उस मेडिकल रिसर्च सेंटर की वैधानिक जांच की मांग की है, जिसके तहत भारतीय मूल की महिलाओं को आयरन की कमी की समस्या से निपटने के लिए रेडियोएक्टिव आइसोटोप वाली रोटियां खाने को दी गयी थीं. इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड इलाके के कोवेंट्री की सांसद ताइओ ओवाटेमी ने कहा कि इस स्टडी से प्रभावित महिलाओं और उनके परिवारों के प्रति उनकी चिंता है.
एक स्थानीय डॉक्टर के अनुसार 1969 में शहर की दक्षिण एशियाई आबादी में आयरन की स्थिति के संबंध में एक मेडिकल रिसर्च के तहत भारतीय मूल की करीब 21 महिलाओं को आयरन-59 मिली हुई रोटियां खाने को दी गयी थीं. आयरन-59 एक तरह का आयरन आइसोटोप है.
ब्रिटिश सांसद ने की जांच की मांग
सांसद ओवाटेमी ने कहा कि मेरी सबसे बड़ी चिंता उन महिलाओं और उनके परिवारों के प्रति है जिनपर इस स्टडी के दौरान एक्सपेरिमेंट किया गया था. उन्होंने कहा कि सितंबर में जब संसद की बैठक होगी तो मैं इसपर चर्चा कराने की मांग करूंगी. साथ ही इस बात की पूर्ण कानूनी जांच की मांग करूंगी. उन्होंने कहा कि आखिर यह होने कैसे दिया गया और महिलाओं की पहचान करने की एमआरसी (मेडिकल रिसर्च काउंसिल) की सिफारिश रिपोर्ट पर क्यों बाद में गौर नहीं किया गया.
21 महिलाएं थीं प्रयोग में शामिल
एमआरसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि 1995 में चैनल4 पर एक डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के बाद उठाये गये प्रश्नों की जांच की गयी थी. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह सामने आया है कि मामूली बीमारियों पर एक स्थानीय डॉक्टरों की सहायता मांगे जाने के बाद करीब 21 महिलाओं को प्रयोग में शामिल किया गया था.
खून में रेड सेल्स की कमी
दक्षिण एशियाई महिलाओं के बीच बड़े पैमाने पर एनीमिया की चिंता के कारण यह अध्ययन किया गया था और रिसर्च करने वालों को शक था कि इनके खून में रेड सेल्स की कमी की वजह पारंपरिक दक्षिण एशियाई आहार थी. रिपोर्ट के अनुसार, आयरन-59 मिली हुई रोटियां इन महिलाओं के घरों पर पहुंचाई गई थीं. आयरन-59 गामा बीटा का उत्सर्जन करने वाला आयरन एलिमेंट का आइसोटेप है.
एशियाई महिलाओं को आयरन लेना चाहिए: रिसर्च
इन महिलाओं को बाद में ऑक्सफोर्डशायर के एक रिसर्च सेंटर में बुलाया जाता था, ताकि उनमें रेडियोएक्टिव के स्तर का आकलन किया जा सके. रिपोर्ट के अनुसार, एमआरसी ने कहा कि अध्ययन से साबित हुआ कि एशियाई महिलाओं को आहार में अतिरिक्त आयरन लेना चाहिए. एमआरसी ने एक बयान में कहा कि 1995 में डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के बाद इन मुद्दों पर विचार किया गया और उस समय उठाये गये प्रश्नों की पड़ताल के लिए स्वतंत्र जांच की गयी.