हरदोई जिले का हरपालपुर क्षेत्र जो आज कल बाढ़ के पानी से जूझ रहा है । यहां से ख़बर आयी है कि अदनिया नाम के गांव का एक मजदूर वेदपाल अपनी पत्नी की साड़ी का फंदा बनाकर लटक गया है । एक झोपड़ी में रहने वाले वेदपाल की पत्नी सपना बता रही है कि वो दोनो पति पत्नी और उनके चार बच्चे पिछले 3 दिनों से भूखे थे , चूंकि बाढ़ का पानी है सब तरफ सो मजदूरी काम मिलना बंद था इन दिनों वेदपाल का , गांव ज्वार वालों से मांग जांचकर खा पी रहा था ये परिवार , पर गांव वाले खुद जूझ रहे रहे बाढ़ से वो भी कब तक खिलाते , आखिर में परिवार की हालत जब नही देखी गयी वेदपाल से तब उसने आत्महत्या कर ली ।
डीएम साहब कहते हैं कि जांच करवाएंगे , खाना आदि का वितरण कराने की व्यवस्था वो खुद देख रहे हैं , इस गांव में भी वितरण कराया गया था ।
वेदपाल ने खुद की जान क्यों ली फिलहाल जांच पड़ताल की गर्त में है , इसके लिए खास लोग सरकारी मशीनरी को कोस रहे हैं पर ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी बनती है उन जनप्रतिनिधियों की जिन्होंने कुंडी खटखटाई थी इन घरों की और वोट मांगा था कुछ वायदे किये थे और जिन्हें कुछ और वायदों के साथ कुछ ही महीनों बाद फिर से मुस्काते हुए खटखटाना पड़ेगा ।
सांसद जी की भी दुर्लभ तस्वीरें इस बाढ़ वाले क्षेत्र से आई थीं कुछ दिनों पहले कुछ डिब्बों में पूड़ी सब्जी बांटने की , कुछ घण्टों का कार्यक्रम था , फ़ोटो shotoo हुई , आश्वासन दिए गए , डिब्बे बंटे , प्रेस नोट पहुंच गया अखबारों में और राहत मिशन समाप्त । अच्छा सांसद जी भी टेंशन काहे लें , उनकी इमेज बिल्डिंग , दिल्ली लखनऊ मैनेज करने का कांट्रेक्ट तो प्रोफेशनल्स ले ही चुके हैं , कोई भूखा मरे या बाढ़ में बह जाए , प्रोफेशनल्स तो रेगमाल और एशियन पेंट लेकर बैठे ही हैं चमकाने के लिए बाकी पब्लिक है , सब भूल भी जाती है , उसे तो वोट डालते समय बस सीएम पीएम का ही चेहरा याद रहता है ।
पिछले 10 दिनों से बीजेपी ने अपने विधायकों को उन राज्यों में भेज रखा है जहां चुनाव होने हैं , जायजा लेना है इन विधायकों को उन राज्यों के विधायकों के काम काज का जहां चुनाव होने हैं , अब ज़ाहिर है विधायक लोग गए हैं तो 4 स्टार , 5 स्टार से नीचे की सुविधाएं तो नही ही पा रहे होंगे वहां । संगठन गढ़े चलो , सुपंथ बढ़े चलो बात पर आदेश का पालन कर रहे हैं सभी यहां वाले विधायक भले बेमन करें या मौज में , भले उनके अपने क्षेत्र में त्राहि त्राहि मची हो , बाढ़ तांडव काट रही हो , लोग सड़क पर आ गए हों , भूख से कोई फांसी लगा रहा हो ।
तस्वीर में वेदपाल की पत्नी सपना है , उसके चार बच्चे हैं , अब शायद राशन इनके घर तक पहुंच गया होगा , कुछ रुपये पैसे भी मिल गए होंगे , भूख की बात मन मे ही रखने की बात भी मन मे ही बैठा दी गयी होगी , अफसर , विधायक , सांसद , विपक्षी नेता शायद इस झोपड़ी के आस पास दिखाई देने लगे होंगे और वेदपाल की आत्मा भी अपने बच्चों को खाना खाते हुए देख मुक्ति पा रही होगी ।
अभिनव द्विवेदी