सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को निलंबित करने के स्पीकर के नोटिस के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को जवाब पेश करने का अंतिम मौका दिया है। आज जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने जवाब पेश नहीं करने पर कड़ी नाराज़गी जताई।
अदालत ने केन्द्र सरकार से कहा कि वे दो सप्ताह में मामले में जवाब पेश करें वर्ना उनके जवाब को स्वत: ही बंद मान लिया जाएगा। वहीं अदालत ने मोहनलाल नामा के जल्द सुनवाई के प्रार्थना पत्र को भी खारिज़ कर दिया।
दरअसल 24 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने आया था कि केन्द्र ने इस मामले में जवाब पेश नहीं किया हैं। इस पर कोर्ट ने केन्द्र को जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। लेकिन आज भी केन्द्र ने जवाब पेश नहीं किया।
साल 2020 में खड़ा हुआ था सियासी संकट
यह पूरा मामला जुलाई 2020 का है। जब सियासी संकट के समय विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने व्हिप जारी किया था लेकिन पायलट सहित 19 विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे थे। इस पर स्पीकर ने विधायकों को निलंबित करने का नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया था। जिसे पायलट सहित अन्य विधायकों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर हाई कोर्ट ने स्पीकर के आदेश पर रोक लगा दी थी। यह रोक अभी भी चली आ रही है।
स्पीकर के पावर को दी गई थी चुनौती
दरअसल इस पूरे प्रकरण में पायलट सहित अन्य विधायकों ने विधानसभा स्पीकर की पावर को चुनौती दी थी। विधायकों का कहना था कि स्पीकर के पास विधायकों को निलंबित करने का पावर नहीं है। विधायकों ने संविधान की 10वीं अनुसूची (दल-बदल कानून) के प्रावधानों को चुनौती दी थी। इस पर हाई कोर्ट ने 24 जुलाई 2020 को केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब देने के लिए कहा था। लेकिन करीब 3 साल बाद भी केन्द्र सरकार ने जवाब पेश नहीं किया।
दो विधायकों की हो चुकी है मौत
कांग्रेस सरकार में आय़ा यह सियासी संकट करीब 2 माह चला था। उसके बाद पायलट सहित अन्य विधायकों का गहलोत गुट के साथ समझौता हो गया। वहीं बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस दौरान पायलट के साथ गए वल्लभनगर विधायक गजेन्द्र सिंह शेखावत व सरदारशहर विधायक भंवरलाल शर्मा का निधन हो गया। ऐसे में अब यह मामला पायलट सहित 17 विधायकों का रह गया हैं।