पहाड़ों और मैदानी इलाकों में हो रही झमाझम बारिश से गंगा समेत कई नदियां उफान पर हैं। कानपुर, उन्नाव और कन्नौज के कई इलाकों में बाढ़ आ गई है। कई कॉलोनियों और गांवों में सन्नाटा पसरा है। लोग अपने घर छोड़ सुरक्षित जगह जा चुके हैं। जो नहीं गए उन्होंने घर की छत पर शरण ली। लोगों को आने-जाने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा।
वहीं, लखीमपुर खीरी में गुरुवार देर रात बारिश के चलते एक कच्चे मकान की दीवार गिर गई। इसके नीचे दबकर एक किसान की मौत हो गई। जबकि लखनऊ समेत कई शहरों में कल पूरी रात तेज बारिश होती रही। शुक्रवार सुबह से बादल छाए हैं। जबकि अयोध्या, गोरखपुर समेत कई जिलों में बारिश हो रही है।
बिठूर के इलाकों में बाढ़
पहाड़ी इलाकों में बारिश और हरिद्वार व नरौरा से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण बिठूर के कटरी क्षेत्र में तटवर्ती गांवों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बैराज से शुक्लागंज के बीच के गांवों की ओर भी पानी तेज से बढ़ रहा है। गंगा के तटवर्ती क्षेत्र बनिया पुरवा, दुर्गा पुरवा, गिल्ली पुरवा, भगवादीन पुरवा, लछिमन पुरवा और मक्का पुरवा में पानी घुस गया है।
जानवरों के लिए नहीं मिल रहा चारा
इससे ग्रामीण अपना गृहस्थी का सामान बाहर निकालकर बैराज मार्ग पर आशियाना बना रहे हैं। 31 परिवारों के मवेशी भी सड़क पर बंधे हैं। चारा की दिक्कत है, क्योंकि भूसा खत्म हो गया है। लकड़ी भीगने से परिवारों में खान-पान का संकट भी बढ़ जाएगा।
बैराज मार्ग पर नहीं बनाई बाढ़ चौकी
ग्रामीणों की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने बैराज मार्ग पर अभी तक कोई बाढ़ चौकी नहीं बनाई है। यहां पॉलिथीन या तिरपाल की व्यवस्था नहीं है। पानी की व्यवस्था के लिए टैंकर भी अभी नहीं आया है। रात में बिजली या चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं है।
लेखपाल प्रतीक शुक्ला ने बताया, गंगा बैराज के पास प्राथमिक स्कूल में बाढ़ राहत केंद्र बनाया गया है। वहां 42 लोगों की व्यवस्था की जा रही है। बैराज मार्ग वाले परिवारों को भी राहत शिविर में पहुंचाया जाएगा।
बैराज मार्ग पर बना रहे आशियाना
गंगा बैराज मार्ग पर तेज रफ्तार में वाहन दौड़ते हैं। इससे मार्ग के दोनों तरफ विस्थापित परिवार के बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को खतरा है। अगर इन लोगों को कहीं और शिफ्ट नहीं किया गया तो दिक्कत तय है।
गांव में रुके हैं कुछ परिवार, छत पर बनाया चूल्हा
बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित गांव चैनपुरवा, भोपाल का पुरवा, धारमखेड़ा, बनियापुरवा हैं। इन गावों में मकान का 50 प्रतिशत हिस्सा डूब गया है। यहां पर रहना खतरे से खाली नहीं है, लेकिन इसके बावजूद कुछ परिवार गांव में ही रुके हुए हैं। उनका कहना है कि घर छोड़ देंगे तो रखवाली कौन करेगा। इन लोगों ने खाना पकाने के लिए छत पर चूल्हा बना दिया है।
अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है
गंगा बैराज में तैनात गेज रीडर उत्तम पाल ने बताया कि अभी जलस्तर कम होने की उम्मीद नहीं है। पानी और बढ़ेगा। स्थिति धीरे-धीरे भयावह होती जा रही है। अगर इसी रफ्तार से पीछे से पानी छोड़ा जाता रहा तो और गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।
गांव-गांव जाकर आपदा प्रबंधन ने अपील की
आपदा प्रबंधन की टीम ने गांव-गांव जाकर अपील की है कि अगर किसी को कोई खतरा महसूस होता है तो वह हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर सकते हैं। ग्रामीण राहत शिविर जा सकते हैं। वहां पर रहने और खाने की समुचित व्यवस्था की गई है।
कानपुर में डीएम विशाख जी के निरीक्षण के बाद व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का काम तेज किया गया है। लगातार प्रशासनिक अधिकारी स्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं। वहीं उन्नाव और कन्नौज में भी बाढ़ से हालात बेहद खराब हैं।
कानपुर में बाढ़ से प्रभावित हैं ये इलाके -कोहना चौकी के पूरब की ओर चैनपुरवा, धारमखेड़ा, दिगनीपुरवा, पहाड़ीपुर, छोटा मंगलपुर। -बैराज से सिंहपुर की ओर भोपाल का पुरवा, बनियापुरवा, बंगला, पुराना ढल्लापुरवा, गिल्ली का पुरवा, दुर्गा का पुरवा, भारत पुरवा और भगवानदीनपुरवा। -जाजमऊ से उन्नाव की ओर के गांव, छब्बूपुरवा, गुट्टीपुरवा, निहालखेड़ा, नई बस्ती, नया पीपरखेड़ा, पुराना पीपरखेड़ा, दीनकनगर, बदुवाखेड़ा, जुराखनखेड़ा।
अब उन्नाव के हालात बताते हैं...
उन्नाव में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से आबादी क्षेत्र में कई मार्ग कट गए हैं। गंगा का जलस्तर इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो 50 से अधिक गांवों में बाढ़ आ सकती है। बारासगवर, गंगाघाट, सफीपुर परियर में बाढ़ लगातार भयावह होती जा रही है।
गंगा की बाढ़ का पानी तटवर्ती गांव भुड्डा से मेला आलम शाह संपर्क मार्ग को ध्वस्त करते हुए साईपुर सगौड़ा और छतरापुर तक जा पहुंचा। जिससे छतरापुर, कोलिया, हसनापुर, कछियन पुरवा व बजरिया आदि सहित करीब एक दर्जन गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। बाढ़ का पानी पूराहास व उमरिया भगवंतपुर के सामने स्थित जगत नगर-सहजनी मार्ग के ऊपर से गुजरते हुए जिरिकपुर, जामड़, कछियन खेड़ा आदि गांवों में कहर बरपाता हुआ ग्राम माढ़ापुर के तालाब तक जा पहुंचा है।
बाढ़ की चपेट में चंडिका देवी स्थल
तहसील क्षेत्र के प्रमुख तीर्थ स्थल में प्रसिद्ध चंडिका देवी दरबार बक्सर घाट पर बाढ़ का भयावह रूप दिखने लगा है। बक्सर घाट पर स्नानार्थियों के लिए बनी सीढ़ियों के साथ घाट पर स्थित कुछ दुकानें भी बाढ़ की चपेट में आ गई है।
दरकने लगी है पुलिया
शुक्लागंज में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बढ़ता जा रहा है। शुक्लागंज नगर के कई मोहल्ले जलमग्न हो गई हैं। कुछ लोग सड़क के किनारे झोपड़ी बनाने लगे हैं। चंपापुरवा नेतुआ मार्ग की तीन पुलिया दरकने लगी हैं।
इस प्रकार है गंगा का जलस्तर
-114.71 मीटर बैराज पर जलस्तर (अपस्ट्रीम)
-114.58 मीटर बैराज पर जलस्तर (डाउनस्ट्रीम)
-425343 क्यूसेक पानी शुक्लागंज की ओर छोड़ा गया
-113.19 मीटर शुक्लागंज गेट पर जलस्तर
-126978 क्यूसेक पानी नरौरा डैम से छोड़ा गया
-156422 क्यूसेक पानी हरिद्वार से छोड़ा गया
अब फर्रुखाबाद के हालात बताते हैं
फर्रुखाबाद में गंगा में आई बाढ़ के पानी के तेज बहाव के चलते कड़हार मार्ग कट गया। इससे 60 से अधिक गांव का जिले से संपर्क टूट गया है। गंगा के जलस्तर में 10 सेंटीमीटर की कमी आई है। जिले में 2 दिन से रुक-रुक कर हो रही भारी बारिश ने बाढ़ पीड़ितों की दिक्कतें और बढ़ा दी हैं। जनपद में गंगा व रामगंगा की बाढ़ से अमृतपुर तहसील क्षेत्र में तबाही मची है। इससे नाव के जरिए लोगों का आना जाना हो रहा है।