कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्या मामले में पत्नी मधुमणि समेत आजीवन कारावास की सजा काट रहे महराजगंज की लक्ष्मीपुर सीट से तत्कालीन विधायक रहे और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को जेल में अच्छे व्यवहार की वजह से उनकी शेष सजा माफ कर दी गई है।
ज्ञात हो कि 9 मई 2003 में लखनउ के निशांतगंज पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या से तत्कालीन बसपा सरकार में कोहराम मच गया था। दरअसल अमरमणि बसपा सरकार में कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई के अनुसार जांच में पता चला था कि अमरमणि त्रिपाठी और मुधुमिता शुक्ला के बीच अवैध संबंध थे। इस दौरान कवियत्री ने उनके साथ एक बच्चे को भी जन्म देने का विचार किया था। पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने बच्चे का गर्भपात कराने का दबाव बनाया।
सीबीआई ने जांच में पूर्व राज्य मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मुधुमणि को कवियत्री मुधुमिता शुक्ला की साजिश रचने और हत्या करने का दोषी ठहराया था। बाद में गवाहों को डराने के आरोप में इस मुकदमे को देहरादून कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
अमरमणि त्रिपाठी का नाम अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। पूर्वांचल के अपराध के दुनिया में पहले से ही खास था। वह राजनीतिक सीढ़ी पर चढ़ने में कामयाब रहे। और एक गैंगस्टर से राजनेता बन गये। कई सरकारों में अमरमणि त्रिपाठी मंत्री बने। कल्याण सिंह सरकार में मंत्री रहते हुए उनका नाम एक अपहरणकांड से जुड़ने पर उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था।