प्रयागराज के लूकरगंज में माफिया अतीक अहमद के कब्जे वाली जमीन पर योगी सरकार ने पहले आवास बनाया और अब झूंसी वाली जमीन को मुक्त कराने के बाद पार्क बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है. इस जमीन पर भी योगी सरकार गरीबों के लिए फ्लैट बनाना चाहती थी, लेकिन डूब क्षेत्र में होने की वजह से ऐसा संभव नहीं हुआ तो जमीन पार्क बनाने के लिए पीडीए को स्थानांतरित की जा रही है.
उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया डॉन अतीक अहमद के कब्जे वाली जमीनों का अब योगी सरकार ने सार्वजनिक हित में इस्तेमाल शुरू कर दिया है. पहले अतीक की लूकरगंज वाली जमीन पर गरीबों के लिए आवास बनाया गया और झूंसी वाली जमीन पर बच्चों के खेलने के लिए पार्क बनाया जा रहा है. झूंसी के हवेलिया स्थित 400 वर्ग गज के इस भूखंड की रजिस्ट्री अतीक अहमद के पिता हाजी फिरोज अहमद के नाम से है.
बताया जा रहा है कि यह जमीन भी अतीक ने अपने बुरे कर्मों के दम पर अर्जित की थी और उस पर पर्दा डालने के लिए इसकी रजिस्ट्री पिता के नाम पर कराई. चूंकि यह जमीन गंगा के डूब क्षेत्र में है, इसलिए यहां गरीबों के आवास नहीं बनाए जा सकते. ऐसे में योगी सरकार ने इस जमीन का इस्तेमाल बच्चों के लिए पार्क के रूप में करने का फैसला किया है. योजना के मुताबिक इस पार्क में एक मेडिटेशन सेंटर का भी निर्माण किया जाएगा, जहां तमाम लोग सुबह शाम आकर मेडिटेशन, योगा व ध्यान आदि कर सकेंगे.
इसके लिए प्रशासन ने जरूरी औपचारिकताओं को जल्द से जल्द पूरा करने की कवायद शुरू कर दी है. बता दें कि प्रयागराज में माफिया डॉन अतीक अहमद की अभी भी कई बेनामी संपत्तियां हैं. यह सारी संपत्तियां अतीक ने अपने बुरे कर्मों के दम पर अर्जित की थीं, लेकिन इन्हें अपने रिश्तेदारों या गुर्गों के नाम से रजिस्टर्ड करा दिया था. अब प्रयागराज का जिला प्रशासन और पुलिस इस तरह की सभी संपत्तियों को चिन्हित कर उन्हें कब्जा मुक्त कराने की कोशिश में जुटी हैं.
इसी क्रम में पहले प्रशासन ने लूकरगंज वाली जमीन को मुक्त कराया था. इस जमीन पर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए फ्लैट बनाकर आवंटित भी कर दिया गया. वहीं अब दूसरी जमीन झूंसी में मुक्त कराई गई है, जिस पर पार्क बनाने के लिए कागजी खानापूर्ति शुरू कर दी गई है. जिला प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक पुराने रिकार्ड के मुताबिक यह जमीन सरकारी है, लेकिन माफिया अतीक अहमद ने कोल्ड स्टोरेज बनाकर पहले इस जमीन पर कब्जा किया.
फिर बाद में अपने रसूख के दम पर रिकार्ड में इसे अपने पिता के नाम से दर्ज करा दिया. 400 वर्गगज से भी बड़ा यह भूखंड प्राइम लोकेशन पर है और बाजार में इसकी कीमत एक करोड़ से अधिक बताई जा रही है. इस जमीन को कब्जामुक्त कराने के बाद राजस्व विभाग ने इस जमीन का मालिकाना हक प्रयागराज विकास प्राधिकरण को देने की कवायद शुरू कर दी है.