कोर्ट के बाहर अक्सर हमने बड़ी संख्या में लोगों को टाइपिंग करते हुए देखा है. इन्हें स्टेनोग्राफर (Stenographer) कहते हैं, और ये कोर्टरूम में भी मौजूद होते हैं. इनकी टाइपिंग स्पीड देखकर तो यकीन ही नहीं होता है कि क्या कोई इतनी तेजी से भी टाइपिंग कर सकता है. इसके अलावा ये भी ख्याल आता है कि हमारे कीबोर्ड से इनका कीबोर्ड कैसे अलग होता है.
सबसे पहले तो ये बता दें कि स्टेनोग्राफर एक स्किल्ड फ्रीलांसर होता है, जो न सिर्फ ज्यूडिशियल सिस्टम में बल्कि कहीं भी काम कर सकता है, और ऐसे कई बिज़नेस हैं जो अपनी लाइफ को आसान बनाने के लिए इन स्किल लोगों को काम पर रखते हैं.
नॉर्मल क्वर्टी कीबोर्ड पर औसत टाइपिंग स्पीड लगभग 40 शब्द प्रति मिनट है. प्रोफेशनल टाइपिस्ट 95 शब्द प्रति मिनट की स्पीड से औसतन दोगुना टाइप तक कर सकते हैं. वहीं स्टेनोग्राफर्स 99.8% की सटीकता दर के साथ 360 शब्द प्रति मिनट की स्पीड से टाइप कर सकते हैं.
मगर सवाल ये है कि ऐसा कैसे हो पाता है?
दरअसल स्टेनोग्राफ मशीन नॉर्मल कीबोर्ड से पूरी तरह अलग होती है. रेगुलर कीबोर्ड प्रति स्ट्राइक 1 कैरेक्टर प्रोड्यूस करता है. वहीं स्नोग्राफ अलग तरह से काम करता है. इसमें पूरा शब्द लिखने के बजाए शॉर्टहैंड का इस्तेमाल किया जाता है. शॉर्टहैंड स्पेलिंग पर नहीं बल्कि साउंड पर बेस्ड होता है.
स्टेनोटाइप मशीन में केवल 22 keys दी जाती हैं, स्टेनोग्राफर अक्सर एक साथ कई कीज़ दबाते और अपना काम पूरा करते हैं. कंप्यूटर कीबोर्ड में 101 कीज़ हैं, कुछ में 102 और कुछ में 104 कीज़ भी होती हैं. कीबोर्ड पर कीज़ की 6 लाइन होती हैं. फंक्शन कीज़ F1-F12 तक हैं. हालांकि कुछ खास कीबोर्ड में F24 तक के बटन भी होते हैं.
स्टेनोग्राफ पर लिखना कीबोर्ड पर टाइप करने की तुलना में पियानो बजाने के जैसा है, क्योंकि आप अलग-अलग रेजल्ट देने के लिए एक ही समय में अलग-अलग कीज़ प्रेस कर सकते हैं.