उदयपुर में चल रहे राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के 9वें सम्मेलन में दूसरे दिन आज लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से देश को मजबूत करने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर चर्चा शुरू हुई है।
अनंता रिसॉर्ट में राज्यों के पीठासीन अधिकारी अपनी बात को साझा कर रहे हैं। दोपहर बाद समापन सत्र होगा। सत्र में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राज्यपाल कलराज मिश्र भी मौजूद रहेंगे।
इससे पहले राज्यपाल मिश्र सोमवार की शाम को राजकीय विमान से उदयपुर पहुंच गए। मिश्र सीपीए सम्मेलन के समापन समारोह में शामिल होंगे। इधर, उप राष्ट्रपति धनखड़ दोपहर में चित्तौड़गढ़ से विशेष हेलीकॉप्टर से रवाना होकर ताज अरावली हेलीपेड पहुंचेंगे।
वहां से सड़क मार्ग से ताज अरावली रिसोर्ट पहुंचेंगे। लंच के बाद दोपहर 2.30 बजे 9वें सीपीए इंडिया क्षेत्र सम्मेलन के समापन सत्र में भाग लेंगे।
सदन पूरा नहीं चले तो लोकतंत्र का नुकसान: विधानसभा अध्यक्ष
पहले दिन लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती, जनप्रतिनिधियों को अधिक उत्तरदायी बनाने, डिजिटल सशक्तिकरण से गुड गवर्नेंस जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मंथन हुआ। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने संबोधित किया था।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ.जोशी ने सीपीए के उद्देश्यों पर बात की। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया, भैरों सिंह शेखावत ने पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी के लिए जो कार्य किए हैं वे भुलाए नहीं जा सकते। वहीं इस कॉन्फ्रेंस के लिए उदयपुर का चयन होना गौरव की बात है।
उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से हमने देश को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सदन पूरा चले और सदन प्रभावशाली होगा तो नीतियां बनेगी और राष्ट्रहित में उपयोगी साबित होगी। सदन पूरा नहीं चलता तो इससे देश और लोकतंत्र दोनों को नुकसान होता है।
सीपीए मुख्यालय के चेयरपर्सन इयान लिडेल ग्रेंजर ने कहा कि राजस्थान की धरती पर आना एक अच्छा अवसर है। हम सभी एक परिवार हैं। सीपीए सम्मेलन के दौरान हम सभी को एक दूसरे के विचारों को साझा करते हुए सीखने का अवसर मिलेगा।
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थान विविधता में एकता का संदेश देता है। देश का लोकतंत्र गत वर्षा में मजबूत हुआ है। देश की भलाई के लिए राज्यों के मध्य समन्वय जरूरी है।
संयम लोढ़ा ने सदन की परम्परा के संस्मरण बताए
सीपीए राजस्थान के सचिव संयम लोढ़ा ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का इतिहास हमारे आज के मुद्दों का भी समाधान करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कुछ उदाहरण के जरिए गौरवशाली परम्परा का स्मरण कराया।
लोढ़ा ने कहा कि सदन में सदस्यों की संख्या के अनुसार बोलने का समय तय होता है लेकिन जब भारत की लोकसभा में जनसंघ के चार सांसद थे तब विदेश नीति पर वाजपेयी बोले तब उनके लिए वह समय कम था। इसपर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अध्यक्ष से आग्रह किया कि वाजपेयी जी को बोलने का और समय दीजिए।
यह सदन की उच्च परम्परा थी, जब पंडित नेहरू का निधन हुआ तब अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में जो संबोधन दिया था उसने लोगों को रुला दिया था। यह हमारी गौरवशाली परम्परा है।