मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह भाजपा राजस्थान में भी कांग्रेस से पहले अपने उम्मीदवार घोषित करने की तैयारी में है। भाजपा 200 में से 90 से 100 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर सकती है। इनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरदारपुरा और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की टोंक सहित कई सीटें हैं, जो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हैं।
सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर घोषणा दो-तीन चरणों (20, 40 व 40 सीट) में की जाएगी। कांग्रेस ने पहले टिकट घोषित करने का जो फॉर्मूला कर्नाटक में इस्तेमाल किया, वो भाजपा राजस्थान में अप्लाई करने जा रही है।
27 अगस्त को दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राजस्थान के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी सहित कई उच्च पदाधिकारी शामिल होंगे।
मीटिंग के बाद सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा का सिलसिला शुरू हो सकता है। सूत्रों के अनुसार इस मीटिंग से पहले एक बैठक और हो सकती है, जिसमें प्रदेश के शीर्ष नेताओं से केन्द्रीय नेतृत्व बात कर सकता है।
जिन 100 सीटों पर भाजपा पहले प्रत्याशी घोषित करेगी, इनमें से बहुत सी सीटों पर जिलाध्यक्षों के माध्यम से प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने फीडबैक लिया था। इन सीटों में वे विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हैं, जहां पार्टी लगातार हार रही है और वे भी शामिल हैं, जहां पार्टी लगातार जीत रही है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि इस बार दो बार हारने वाले और ज्यादा उम्र के नेताओं के लिए टिकट पाना सबसे मुश्किल साबित होगा।
भाजपा की प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया ने बताया कि कौन-कौन सी और कितनी सीटों पर पहले टिकट घोषित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा है। इस विषय में राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक लगातार काम चल रहा है।
पहले टिकट के लिए सीटों का चयन किस आधार पर किया
जहां पार्टी लगातार हार रही
भाजपा जिन सीटों पर पहले टिकट घोषित करने विचार कर रही है, उनमें वे 19 सीटें भी शामिल हैं, जहां पार्टी लगातार तीन बार चुनाव में हार रही है।
सरदारपुरा, बागीदौरा, लक्ष्मणगढ़, वल्लभनगर, नवलगढ़, झुंझुनूं, फतेहपुर, दांतारामगढ़, कोटपूतली, बस्सी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, बाड़ी, टोडाभीम, सपोटरा, सिकराय, लालसोट, बाड़मेर, सांचौर और खेतड़ी वे सीटें हैं, जहां पार्टी लगातार तीन बार से चुनाव हार रही है। इन पर भाजपा को कहीं पर कांग्रेसी तो कहीं पर बसपा या किसी निर्दलीय उम्मीदवार से हार मिली है।
जहां पार्टी लगातार जीत रही है
पहले टिकट घोषित होने वाली करीब 60-70 सीटें वे हैं, जिन पर पार्टी या तो लगातार दो, तीन, चार बार से जीत रही है या फिर किसी न किसी कारण से अच्छी स्थिति में है। यहां पहले टिकट घोषित करने की वजह है कि यहां प्रत्याशी लगभग तय हैं और टिकट को लेकर किसी तरह का कोई बड़ा विवाद भी नहीं है।
अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, सिविल लाइंस, मालवीय नगर, चाकसू, किशनपोल, मालपुरा, निवाई, जहाजपुर, मांडलगढ़, बीकानेर पूर्व, चूरू, आमेर, विद्याधर नगर, कोटा दक्षिण, कोटा उत्तर, तारानगर, चित्तौड़गढ़, रामगढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर सिटी, उदयपुर ग्रामीण, नसीराबाद, पुष्कर, जैतारण, पाली, जैसलमेर, पोकरण, शेरगढ़, सूरसागर, अनूपगढ़ सीट पर भाजपा खुद को मजबूत मान रही है। इसके अलावा नावां, लाडनूं, नागौर, मेड़ता, मावली, सवाईमाधोपुर, शाहपुरा (जयपुर), श्रीगंगानगर, परबतसर, निम्बाहेड़ा, सिरोही, सोजत, सुमेरपुर, लूणकरणसर, केकड़ी, बूंदी, सांगानेर, किशनगढ़, झालरापाटन, फुलेरा, धौलपुर, पिलानी, रामगंज मंडी, रतनगढ़, बाली, भीनमाल, नोहर सीट पर भी भाजपा का रिकॉर्ड अच्छा रहा है। ब्यावर, राजसमंद, नदबई, लाडपुरा, श्रीमाधोपुर, लोहावट, झोटवाड़ा, अलवर शहर, वैर, छबड़ा, नोखा, बेगूं, देवली-उनियारा, चौमूं व मुंडावर भी ऐसी ही सीटें हैं, जहां भाजपा लगातार दो, तीन या चार बार से चुनाव जीत रही है या फिर किसी न किसी वजह से पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत मान रही है।
सीटें जहां कांग्रेस मजबूत दिख रही
20 सीटें वे भी हैं, जहां कांग्रेस सरकार के कुछ मजबूत मंत्री-विधायक हैं या अभी-अभी बनाए गए नए जिलों से मौजूदा विधायक (कांग्रेसी या निर्दलीय) ठीक स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। भाजपा इन सीटों पर अपने उम्मीदवारों को तैयारी के लिए पूरा वक्त देना चाहती है। यही वजह है कि इन सीटों पर भी पहले टिकट घोषित करने की तैयारी है।
दूदू, टोंक, हवामहल, आदर्शनगर, मकराना, कामां, डीग-कुम्हेर, बानसूर, हिंडोली, मांडल, बायतू, मसूदा, बगरू, विराट नगर, नाथद्वारा, शाहपुरा (भीलवाड़ा), डीडवाणा, भरतपुर, सुजानगढ़, सरदारशहर, कोलायत व बालोतरा ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा बहुत सोच-विचार कर रही है। इसका कारण है यहां से कांग्रेस सरकार के मजबूत नेता मंत्री-विधायक (जैसे नाथद्वारा से सी. पी. जोशी, मांडल से राजस्व मंत्री रामलाल जाट, टोंक से सचिन पायलट, डीग से पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह आदि) के रूप में मौजूद हैं। इसके अलावा नए जिले बनाए जाने से जनता की सहानभूति कांग्रेस के पक्ष में हो सकती है। हवामहल, आदर्शनगर, मकराना, कामां, मसूदा, टोंक आदि में अल्पसंख्यक मतदाताओं की बहुलता होने से भाजपा टिकट को लेकर बहुत ज्यादा मंथन कर रही है।
शेष सीटों पर राजस्थान में निकाली जाने वाली यात्राओं के बाद तय होगी रणनीति
टिकटों की घोषणा के संबंध में पहले जिन सीटों को चुना गया है, उनके अलावा बची सीटों पर भी जल्द ही रणनीति तय की जाएगी। भाजपा की ओर से प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ सितंबर के पहले पखवाड़े में चार अलग-अलग धार्मिक स्थानों से परिवर्तन यात्राएं निकाली जाएंगी। इन यात्राओं का समापन जयपुर में होगा। जयपुर में इन यात्राओं के समापन कार्यक्रम में पीएम मोदी शामिल होंगे। शेष सीटों पर इन यात्राओं के बाद ही रणनीति तय की जाएगी। इन यात्राओं की शुरुआत 2 सितंबर को सवाई माधोपुर में होगी। यात्रा को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा हरी झंडी दिखाएंगे।
आयु और लगातार दो बार चुनाव हारना बनेगा टिकट में बाधा
पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा के टिकटों में इस बार आयु एक बहुत बड़ा मापदंड बनेगा। 70 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी उम्मीदवार को टिकट लेने में इस बार बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी। हर सर्वे, हर रिपोर्ट और पिछले चुनावों में लगातार जीत मिलने जैसे आधार के बाद ही भाजपा विधायक का टिकट देगी।
पार्टी में 10-12 मौजूदा विधायक ऐसे हैं, जिनकी आयु 70 वर्ष से ज्यादा है। उनके अलावा भी कई पदाधिकारी ऐसे हैं, जिनकी आयु भी 70 से ज्यादा है, पर टिकट मांग रहे हैं। कांग्रेस की तुलना में भाजपा आयु के संबंध में ज्यादा सख्ती बरतने वाली है।
सांसदों से मिल रहे मोदी
कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश के सभी सांसदों से एक साथ मीटिंग भी की। बाद में उन्होंने प्रदेश के कुछ सांसदों राजेन्द्र गहलोत, रामचरण बोहरा, सुखबीर सिंह जौनापुरिया, सुमेधानंद सरस्वती आदि के साथ भी मीटिंग की है। वे जल्द ही सभी सांसदों से बातचीत का चरण पूरा करेंगे। इसी बीच प्रधानमंत्री को 22 से 25 अगस्त के बीच विदेश दौरे पर जाना है। सूत्रों के अनुसार 27 अगस्त को होने वाली बैठक में चुनाव समिति की बैठक में पीएम मोदी सहित सभी 15 सदस्य उपस्थित होंगे।
राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. विनोद कुमार शर्मा का कहना है कि जब भी कोई पार्टी पहले उम्मीदवार घोषित करती है तो उसे एक मनोवैज्ञानिक बढ़त स्वाभाविक रूप से मिलती है। इस बढ़त से लाभ यह होता है कि कार्यकर्ताओं को भाग-दौड़ करने का पर्याप्त समय मिल जाता है। कर्नाटक में कांग्रेस की यह रणनीति कामयाब रही और उसे जीत दिलाने में अहम भूमिका इस नीति की रही।
वरिष्ठ पत्रकार और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सन्नी सेबेस्टियन का कहना है कि कोई भी पार्टी जब टिकट की घोषणा करती है तो एक विचार जनता में यह बनता है कि यह पार्टी अपने उम्मीदवार के प्रति स्पष्ट है। पार्टी का आत्मविश्वास होता है कि वो बिना यह परवाह किए घोषणा कर दे कि सामने वाली पार्टी किसे और क्यों टिकट दे रही है। निश्चित तौर पर यह एक मजबूत कदम माना जाता है।
वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार भूपेन्द्र ओझा का कहना है कि जब भी किसी सीट पर ऐन मौके पर उम्मीदवार घोषित किए जाते हैं, तो वे चुनाव हार जाते हैं। दोनों ही पार्टियों के साथ ऐसा कई बार हो चुका है। कई बार यह रणनीति कामयाब होते देखी गई है कि अगर कोई पार्टी चुनावों से दो-तीन महीने पहले ही टिकट घोषित करती है, तो उसकी जीत की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।