ये चांद करता है आराम जब अमावस में,
सियाह रात में तारों पे बोझ पड़ता है !!
आज तक शायरों और कवियों ने चांद और उसकी कलाओं का जिक्र अपने महबूब की अदाएं बताने में किया हो, उसी चांद की कलाओं को अपराध से जोड़ दिया यूपी के खगोलविद डीजीपी ने। चांद के इस रूप की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है।
व्हाट ऐन आईडिया सर जी! यूपी के डीजीपी साहब बता रहे हैं कि चंद्रमा की कलाओं के आधार पर कैसे अपराध पर काबू पाया जा सकता है? हिन्दुस्तान का चंद्रयान चांद पर उतरने की तैयारी कर रहा है तो वहीं यूपी के कार्यवाहक डीजीपी विजय कुमार साहब अपराधियों को पकड़ने के लिए चांद की कलाएं गिनवा रहे हैं। खैर, डीजीपी साहब का ये अवतार चर्चा का विषय बना हुआ है ।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपनी योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए नया नारा दिया था कि नए भारत का नया उत्तर प्रदेश...कार्यवाहक डीजीपी विजय कुमार खगोलविद बनकर उस नारे को मूर्त रूप देने में लगे हैं।
यूपी पुलिस पंचाग और पत्रा भी रखे
उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी साहब का खगोलविद की भूमिका निभाते एक वीडियो सामने आया है जिसमें हिंदू पंचाग का हवाला देते हुए बता रहे हैं कि किस तिथि को चंद्रमा कितने बजे उगता है, कितने बजे अस्त होता है।
पुलिस विभाग के एडीजी, आईजी, और कप्तान सहित तमाम मातहत ख्याल रखें कि पुलिसिंग करनी है तो यूपी पुलिस रिवाल्वर, पिस्टल और अत्याधुनिक हथियारों के साथ पंचाग और पत्रा भी साथ रखें। अमावस्या, द्वादशी, प्रदोष और एकादशी का भी ख्याल रखना पड़ेगा...समझे।
यही नहीं नई भूमिका में आए खगोलविद डीजीपी साहब चंद्रमा की कलाओं की जानकारी जनता को भी दे रहे हैं। अपनी खगोलविद कला का विश्लेषण करते हुए डीजीपी साहब अपराध के कारणों का राजफाश करते हुए इसका इल्जाम चंद्रमा की कलाओं के सर फोड़ते नजर आ रहे हैं। हालांकि डीजीपी द्वारा बताई गई हिंदू पंचाग की ये थ्योरी कोई नई बात नहीं है।
पहले की सरकारों में भी जारी हुए आदेश
पहले की सरकारों में भी ऐसे आदेश जारी होते रहे हैं। पूर्व में 2007, 2010 और 2011, 2016, 2022 में भी इस तरह के नोटिस जारी किए जा चुके हैं। बस फर्क ये था कि उसमें पंचाग का जिक्र नहीं किया गया था। जावीद अहमद, देवेन्द्र सिंह चौहान, सुलखान सिंह, कर्मवीर सिंह, विक्रम सिंह सहित लगभग सभी सफल डीजीपी इस तरह की चिट्ठी जारी करते थे क्योंकि अमावस्या में गांव के इलाकों में बिजली भी नहीं रहती थी जिसका फायदा क्रिमिनल उठाते थे।
कार्यवाहक डीजीपी के हाथों में है कमान
इसके अलावा घुमक्कड़,कच्छा बनियान गिरोह और बावरिया गिरोह भी अंधेरे का फायदा उठाकर जघन्य घटनाओं को अंजाम देते थे। दरअसल, राज्य में मई 2022 से कोई स्थाई डीजीपी नहीं है, तब से राज्य की कमान कार्यवाहक डीजीपी के हाथों में ही है। मुकुल गोयल राज्य के आखिरी परमानेंट डीजीपी थे।
स्थाई डीजीपी के रेस में विजय कुमार का नाम सबसे आगे
मई 2022 से लेकर अब तक राज्य को तीन कार्यवाहक डीजीपी मिल चुके हैं। देवेंद्र सिंह चौहान, आरके विश्वकर्मा और अब इस पद पर चांद की कलाएं बताने वाले विजय कुमार साहब बैठे हैं।सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट में स्थाई डीजीपी पर दाखिल याचिका के खारिज होने के बाद राज्य की योगी सरकार इस महीने के आखिर तक यूपीएससी को स्थाई डीजीपी के लिए प्रस्ताव भेज सकता है।
वरिष्ठता क्रम में चंद्रमा की कलाएं बताने वाले विजय कुमार का नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है। ऐसे वक्त में पंचाग का जिक्र और विजय कुमार साहब का चांद की कलाओं वाला वीडियो महज इत्तेफाक है या शतरंज की ऐसी चाल जो राज्य की सरकार और पार्टी के एजेंडे को बिल्कुल सूट करता है।