1941 में लेस्बियन प्रेमकथा लिखने वाली इस्मत चुगताई का आज है जन्मदिन , जानिए उनके बारे में

1941 में लेस्बियन प्रेमकथा लिखने वाली इस्मत चुगताई का आज है जन्मदिन , जानिए उनके बारे में

इस्मत चुग़ताई का नाम भारतीय साहित्य में एक चर्चित और सशक्त कहानीकार के रूप में विख्यात हैं। उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को अपनी रचनाओं में बेबाकी से उठाया और पुरुष प्रधान समाज में उन मुद्दों को चुटीले और संजीदा ढंग से पेश करने का जोखिम भी उठाया। आलोचकों के अनुसार इस्मत चुग़ताई ने शहरी जीवन में महिलाओं के मुद्दे पर सरल, प्रभावी और मुहावरेदार भाषा में ठीक उसी प्रकार से लेखन कार्य किया है, जिस प्रकार से प्रेमचंद ने देहात के पात्रों को बखूबी से उतारा है। इस्मत के अफ़सानों में औरत अपने अस्तित्व की लड़ाई से जुड़े मुद्दे उठाती है।

इस्मत चुग़ताई अपनी लिहाफ कहानी के कारण ख़ासी मशहूर हुईं। 1941 में लिखी गई इस कहानी में उन्होंने महिलाओं के बीच समलैंगिकता के मुद्दे को उठाया था। उस दौर में किसी महिला के लिए यह कहानी लिखना एक दुस्साहस का काम था। इस्मत को इस दुस्साहस की कीमत चुकानी पड़ी, क्योंकि उन पर अश्लीलता का मामला चला, हालाँकि यह मामला बाद में वापस ले लिया गया। 

आलोचकों के अनुसार उनकी कहानियों में समाज के विभिन्न पात्रों का आईना दिखाया गया है। इस्मत ने महिलाओं को असली जुबान के साथ अदब में पेश किया। उर्दू जगत् में इस्मत के बाद सिर्फ सआदत हसन मंटो ही ऐसे कहानीकार थे, जिन्होंने औरतों के मुद्दों पर बेबाकी से लिखा। इस्मत का कैनवास काफ़ी व्यापक था, जिसमें अनुभव के रंग उकेरे गए थे। ऐसा माना जाता है कि टेढ़ी लकीर उपन्यास में इस्मत ने अपने जीवन को ही मुख्य प्लाट बनाकर एक महिला के जीवन में आने वाली समस्याओं को पेश किया।

इस्मत चुग़ताई ने कागजी हैं पैरहन नाम से एक आत्मकथा भी लिखी थी। उनकी अन्य रचनाएँ इस प्रकार हैं-

उपन्यास कहानी संग्रह जंगली कबूतर, टेढी लकीर, जिद्दी, एक कतरा ए खून, मासूमा, दिल की दुनिया, बांदी, बहरूप नगर, सैदाई, चोटें, छुईमुई, एक बात, कलियाँ, एक रात

उन्हें मिले पुरस्कार-ग़ालिब अवार्ड (1974) - टेढ़ी लकीर के लिए, साहित्य अकादमी पुरस्कार, इक़बाल सम्मान , नेहरू अवार्ड , मखदूम अवार्ड ।

इस्मत चुग़ताई का निधन 24 अक्टूबर, 1991 में मुंबई (महाराष्ट्र) में हुआ।

अपने साहित्य के जरिए महिलाओं की दबी-कुचली आवाज उठाने वाली इस्मत चुग़ताई भारतीय साहित्य में पहली बार लेस्बियन प्रेम कहानी लिखी थी।

आज उनका 108वां जन्मदिन है,उनकी स्मृति को नमन !


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