Hardik Pandya Captaincy: हार्दिक पंड्या का प्रदर्शन बैक इंजरी से लौटने के बाद चमका है. वो अब टी20 टीम की कप्तानी कर रहे हैं. लेकिन, वेस्टइंडीज के खिलाफ हालिया टी20 सीरीज में उन्हें बतौर कप्तान पहली बार हार का मुंह देखना पड़ा. 2 साल में टीम इंडिया के साथ ऐसा पहली बार हुआ कि वो द्विपक्षीय सीरीज हारी. पूरी सीरीज में हार्दिक की न तो गेंदबाजी चली..न ही बल्लेबाजी और कप्तानी में भी उन्होंने कई ऐसे फैसले किए, जो भारत की हार की वजह बने. उन्हें अबतक आधिकारिक तौर पर तो टी20 टीम का कप्तान नहीं घोषित किया गया है लेकिन ये साफ है कि उनकी अगुआई में ही भारत 2024 का टी20 विश्व कप खेलेगा. लेकिन, जो वेस्टइंडीज में हुआ, उसे देखकर तो लगने लगा है कि ऐसे कैसे हम टी20 विश्व कप जीतेंगे?
कई बार हारना भी अच्छा होता है.... वेस्टइंडीज के खिलाफ पांचवां और निर्णायक टी20 गंवाने के बाद भारतीय कप्तान हार्दिक पंड्या ने ये बात कही थी. अब हारना कैसे अच्छा होता है? ये शायद हार्दिक ही बता सकते हैं. क्योंकि ये हार टी20 की नंबर-1 टीम को सातवें पायदान पर काबिज उस टीम से मिली है, जो इतिहास में पहली बार वनडे विश्व कप के लिए भी क्वालिफाई नहीं कर पाई. जो पिछले टी20 विश्व कप में भी जैसे-तैसे ही पहुंचीं थी.
हार्दिक पंड्या भी टी20 में बतौर कप्तान पहली सीरीज हारे हैं. इससे पहले, उन्होंने पिछली पांच सीरीज में हार का मुंह नहीं देखा था. अब वो भले ही हार पर पर्दा डालने के लिए कुछ भी कहें कि युवा टीम थी, हमें इस हार से सबक मिला..और हम बड़ी तस्वीर की तरफ देख रहे. अगले साल वेस्टइंडीज और अमेरिका में ही टी20 वर्ल्ड कप खेला जाना है. ऐसे में टीम इंडिया की ये हार दिला देने वाली है
अबतक हार्दिक की कप्तानी में ऐसी कोई खामी नहीं दिखी थी, जिस पर सवाल उठाए जा सके. लेकिन, इस सीरीज में न तो उनकी बैटिंग चली..न गेंदबाजी और न ही कप्तानी. वो तीनों ही रोल में बेअसर दिखे. ऊपर से उनके अटपटे फैसलों ने रही-सही कसर पूरी कर दी. आखिरी टी20 में तो हार्दिक की कप्तानी समझ से परे रही. उन्होंने यशस्वी जायसवाल, तिलक वर्मा जैसे पार्ट टाइम गेंदबाजों से 17वां और 18वां ओवर करवा दिया. इससे तो यही लग रहा है कि हार्दिक ने 16वें ओवर में ही हार मान ली थी
इस सीरीज में बतौर बल्लेबाज और गेंदबाज उनके प्रदर्शन पर गौर करें तो आंकड़े बहुत अच्छे नहीं हैं. हार्दिक ने 5 मैच में कुल 15 ओवर गेंदबाजी की और 31 की औसत से 126 रन देकर 4 विकेट लिए. उनका इकोनॉमी रेट भी 8 से अधिक का रहा. उन्होंने कई मौकों पर पहला ओवर भी किया, ये फैसला भी समझ से परे रहा. क्योंकि टीम में अर्शदीप सिंह और मुकेश कुमार के रूप में दो तेज गेंदबाज थे, तो फिर हार्दिक ने क्यों पहला ओवर फेंका?
इतना ही नहीं हार्दिक ने आखिरी टी20 में मुख्य गेंदबाज मुकेश कुमार और अक्षर पटेल से 1-1 ओवर ही करवाया जबकि पार्ट टाइम गेंदबाज यशस्वी जायसवाल और तिलक वर्मा ने कुल मिलाकर 3 ओवर गेंदबाजी की. इतना ही नहीं, शुरुआती ओवर में युजवेंद्र चहल के महंगा साबित होने के बावजूद हार्दिक ने उनसे पूरे 4 ओवर करवाए और नतीजा ये रहा कि लेग स्पिनर ने अपने कोटे के 4 ओवर में 51 रन लुटा दिए. हार्दिक ने भी खुद 3 ओवर में 32 रन दिए, जो किसी भी लिहाज से अच्छे नहीं माने जाएंगे
इससे पहले, उन्होंने दूसरे टी20 में एक अजीब फैसला लिया था. उस मैच में चहल ने 16वें ओवर में 2 विकेट झटके थे. गेंद घूम रही थी. वेस्टइंडीज के 8 विकेट गिर चुके थे. इसके बावजूद हार्दिक ने चहल का एक बचा ओवर करवाया ही नहीं और तेज गेंदबाजों को गेंद थमा दी. भारत ये मैच हार गया था
बतौर बल्लेबाज भी हार्दिक का प्रदर्शन खराब रहा. उन्होंने 5 मैच में 77 रन बनाए. वो टीम इंडिया के लिए मैच फिनिश नहीं कर पाए. स्ट्राइक रेट भी 110 के आसपास ही रहा. भारत की हार की एक वजह ये भी रही.
इतना ही नहीं, हार्दिक के लिए महेंद्र सिंह धोनी आदर्श हैं. वो कई बार खुले तौर पर ये कह चुके हैं कि उन्होंने धोनी से ही कप्तानी करने का तरीका सीखा है. लेकिन, इस सीरीज में जब उनके पास धोनी के रास्ते पर चलने का मौका था, तो उन्होंने ऐसा कुछ किया, जिसे लेकर खेल के जानकारों ने उनकी जमकर आलोचना की. तीसरे टी20 में तिलक वर्मा 49 रन पर थे. भारत को जीत के लिए 2 रन की दरकार थी. लेकिन हार्दिक ने छक्का लगाकर तिलक को अपना अर्धशतक पूरा करने से महरुम रख दिया था. अगर हार्दिक कुछ गेंद खाली जाने देते तो कुछ नहीं बिगड़ता और युवा बैटर अपना अर्धशतक पूरा कर लेता, उससे उसका आत्मविश्वास काफी बढ़ता. धोनी ने विराट कोहली के लिए ऐसा किया था.
वेस्टइंडीज से सीरीज हारने के बाद हार्दिक ने कहा था कि वो मैदान पर कोई प्लान लेकर नहीं आते. मौके और हालात के हिसाब से फैसले लेते हैं. अब इस बात को हजम करना भी मुश्किल है. क्योंकि इंटरनेशनल क्रिकेट में शायद ही कोई कप्तान बिना प्लान के मैदान पर उतरता हो. क्योंकि कई बार हालात के हिसाब से फैसले काम कर जाते हैं लेकिन बार-बार ऐसा हो, ये संभव नहीं. ऐसे में अगर हार्दिक को स्थायी तौर पर टी20 का कप्तान देखा जा रहा तो फिर इन सब बातों पर भी गौर करना जरूरी है. वर्ना अगले साल टी20 विश्व कप जीतना दूर की कौड़ी ही साबित होगा