बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। विरोधी दल जहां एक ओर I.N.D.I. A के बैनर तले एकत्र होकर महाराष्ट्र में 31 अगस्त और 1 सितंबर को तीसरी बार बैठक करने जा रहे हैं। वहीं बीजेपी भी लगातार अपने सहयोगी दलों के साथ बैठक कर रही है। इसके साथ ही ये सुनिश्चित कर रही है कि 2024 में तीसरी बार केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निर्वाचित कराया जा सके।
उत्तर प्रदेश से वर्तमान में ऐसे कई सांसद हैं, जो 2014 में प्रचंड मोदी लहर या उसके बाद में विभिन्न दलों को छोड़कर बीजेपी में आए। बीजेपी ने उन पर विश्वास जताते हुए पार्टी का टिकट दिया। जिसके बाद वो कमल के सिंबल से सांसद बने। 2024 में भी कई ऐसे नेता हैं जो दल बदल कर बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहते हैं जिसके लिए अभी से प्रयास शुरू हो गया हैं, हाल ही में सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दारा सिंह चौहान पर बीजेपी भरोसा जताते हुए उन्हें घोसी सीट पर उपचुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहीं हैं, 2014 व 2019 में देखा गया हैं जब अलग दल के नेता बीजेपी में शामिल हुए तो उन्हें पार्टी ने सांसद का टिकट दिया। कुछ ऐसी ही तस्वीर 2024 में भी नजर आ सकती हैं।
आइए जानते हैं बीजेपी के ऐसे सांसदों के बारे में, पहले वो किस दल में रहे और बीजेपी कब जॉइन की...
एसपी सिंह बघेल, सांसद आगरा
वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री हैं। सपा से 1998 में राजनीति की शुरुआत की। उसी साल से सपा ने इन्हें जलेसर से लोकसभा का चुनाव लड़ाया। उन्हें जीत मिली। 2009 में बसपा ज्वाइन की। बीएसपी ने उन्हें 2010 में राज्यसभा सांसद बनाया। बसपा के राज्यसभा के कार्यकाल को बीच में छोड़कर 2014 में बीजेपी में शामिल हुए।
उसी साल फिरोजाबाद से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े। जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2017 में टूंडला से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े। जिसमें उन्हें जीत मिली। चुनाव जीतने के बाद प्रदेश सरकार में मंत्री बने।2019 में बीजेपी ने उन्हें आगरा से टिकट दिया जिसके बाद चुनाव जीत कर वो सांसद बने, 2021 से केंद्रीय राज्यमंत्री हैं एसपी सिंह बघेल।
बीपी सरोज, सांसद मछलीशहर
2018 में बीजेपी में शामिल हुए। उससे पहले बसपा में रहे हैं। 2014 का लोकसभा चुनाव बसपा से लड़े। बीजेपी के रामचरित्र निषाद से चुनाव हारे। बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी ने अपने सांसद का टिकट काट बीपी सरोज को 2019 का चुनाव लड़ाया। वह जीते और पहली बार सांसद बने।
रमेश चंद बिंद, सांसद भदोही
बसपा से 1995 में राजनीति की शुरुआत की। पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें 2019 में पार्टी से निष्कासित कर दिया। उसके बाद उसी साल बीजेपी जॉइन की। पार्टी में आते ही टिकट मिला। 2019 में भदोही से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने।वह मिर्जापुर की मझवां सीट से तीन बार विधायक रहे।
संघमित्रा मौर्य, सांसद बदायूं
बसपा से राजनीति की शुरुआत करने वाली संघमित्रा मौर्य सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। 2014 में बसपा के टिकट पर मैनपुरी से चुनाव लड़ी। लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में अपने पिता के साथ शामिल हुई। 2019 में बीजेपी की टिकट पर पहली बार सांसद बनी।
धर्मेंद्र कश्यप, सांसद आंवला
सपा में रहे धर्मेंद्र कश्यप 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मई 2013 में बीजेपी में शामिल हुए। पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए 2014 में आंवला सीट से मैदान में उतारा। यहां से वह जीत दर्ज कर सांसद बने। 2019 में दोबारा से बीजेपी की टिकट पर सांसद हैं।
अरुण कुमार सागर, सांसद शाहजहांपुर
बसपा से 2015 में बीजेपी में आने वाले अरुण कुमार 4 बार बसपा के शाहजहांपुर के जिलाध्यक्ष व बरेली जोन के कॉर्डिनेटर रहे हैं। बीजेपी से 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने।
राजेश वर्मा, सांसद सीतापुर
1996 में बसपा से राजनीति की शुरुआत की। 1999 और 2004 में बसपा के टिकट पर सीतापुर से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। 22 साल से ज्यादा समय तक बसपा में रहे राजेश वर्मा ने दिसंबर 2013 में बीजेपी का दामन थामा। जिसके बाद 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर सीतापुर से लोकसभा सदस्य बने।
अशोक कुमार रावत, सांसद मिश्रिख 2004 और 2009 में बसपा से लोकसभा सदस्य रहे। 2014 में बसपा के टिकट पर मिश्रिख से लोकसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद वह बीजेपी में शामिल हुए। 2019 में बीजेपी के टिकट से तीसरी बार मिश्रिख से सांसद बने।
कौशल किशोर, सांसद मोहनलालगंज कौशल किशोर ने 2002 से राजनीति की शुरुआत की। 2003 में सपा में शामिल हुए। मुलायम सिंह सरकार में 2003 से 4 तक मंत्री रहे। उसके बाद पार्टी छोड़ दी। 2014 में बीजेपी में शामिल हुए। 2014 में बीजेपी के टिकट से पहली बार मोहनलालगंज सीट से सांसद बने। 2019 में दोबारा बीजेपी से सांसद बने और 2021 से केंद्रीय राज्यमंत्री हैं।
आरके सिंह पटेल, सांसद बांदा
1996 में राजनीति की शुरुआत की। समाजवादी पार्टी से विधायक और 2009 से 2014 तक बांदा से सांसद रहें। 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए। मानिकपुर से 2017 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने। उसके बाद 2019 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव पड़ा। दोबारा सांसद बने।
केसरी देवी पटेल, सांसद फूलपुर
1995- 96 में बीजेपी से राजनीति की शुरुआत की। 2000 में पार्टी छोड़कर बसपा ज्वाइन कर लिया। वह 4 बार बीएसपी से जिला पंचायत अध्यक्ष रही। 2004 में बसपा के उम्मीदवार के तौर पर फूलपुर से अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव लड़ी। जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2014 में इलाहाबाद सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। जिसमें उनकी हार हुई। 2017 में बीजेपी में शामिल हुई। 2019 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें जीत मिली। वह पहली बार बीजेपी के टिकट से सांसद बनी।
रीता बहुगुणा जोशी, सांसद इलाहाबाद
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी 1995 में कांग्रेस के टिकट से इलाहाबाद की मेयर बनीं। 2014 में कांग्रेस से लखनऊ लोकसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2016 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुई। 2017 में लखनऊ कैंट से विधानसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई। उसके बाद वह राज्य सरकार में मंत्री बनी।
2019 में बीजेपी के टिकट पर पहली बार इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ी। जिसमें उन्हें जीत मिली। वह भाजपा से सांसद बनी।
कीर्ति वर्धन सिंह, सांसद गोंडा
समाजवादी पार्टी से राजनीति की शुरुआत की। 1998 में गोंडा से सपा के टिकट पर सांसद बने। 2004 में दोबारा सपा के टिकट पर संसद पंहुचे। मोदी लहर में सपा छोड़कर मार्च 2014 में बीजेपी में शामिल हुए। 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद हैं।
जगदंबिका पाल, सांसद डुमरियागंज
कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे। 1998 में सूबे के एक दिन के मुख्यमंत्री रहे। प्रदेश सरकार में मंत्री व कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे। 2009 में कांग्रेस के टिकट से लोकसभा सांसद बने। मार्च 2014 में बीजेपी में शामिल होकर 2014 व 2019 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़कर सांसद हैं।
प्रवीण निषाद, सांसद संतकबीरनगर
निषाद पार्टी प्रमुख डॉ संजय निषाद के बेटे हैं। 2017 में सपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा छोड़ी गई गोरखपुर लोकसभा से पहली बार उपचुनाव जीतकर सांसद बने। 2019 में बीजेपी में शामिल होकर बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़कर संतकबीरनगर से सांसद हैं।
रवि किशन, सांसद गोरखपुर
भोजपुरी और बॉलीवुड अभिनेता हैं। 2014 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार जौनपुर से चुनाव लड़ा। जहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए। 2019 में बीजेपी ने गोरखपुर से उम्मीदवार बनाया। यहां से उन्होंने जीत दर्ज की। वह पहली बार सांसद बने हैं।
प्रदीप चौधरी, सांसद कैराना
रालोद और कांग्रेस में रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर विधायक भी रहे हैं। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए। 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2019 में बीजेपी ने कैराना से लोकसभा का टिकट दिया। यहां से उन्हें जीत मिली और वह सांसद बने।
बीजेपी के ऐसे सांसद जो पार्टी में दोबारा वापस आए
विजय कुमार दुबे, सांसद कुशीनगर 2001 से हिंदु युवा वाहिनी में रहे। 2010 में बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर खड्डा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें जीत मिली। वह विधायक बने। 2016 में बीजेपी में दोबारा शामिल हुए। 2019 में चुनाव जीतकर पहली बार कुशीनगर से सांसद बने।
राजकुमार चाहर, सांसद फतेहपुर सीकरी 2002 में बीजेपी के टिकट पर फतेहपुर सीकरी से विधानसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2007 में भी हार हुई। 2012 में बीजेपी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। उसमें भी हार हुई। बीजेपी में दोबारा शामिल हुए। 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीतकर पहली बार सांसद बने।
घनश्याम लोधी, सांसद रामपुर
बीजेपी से राजनीति की शुरुआत की। 2004 में कल्याण सिंह के साथ उनकी पार्टी में शामिल होकर एमएलसी बने। उसके बाद 2010 में सपा में शामिल हुए। 2022 में सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए। रामपुर में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की। उसके बाद सांसद बने।
जयप्रकाश रावत, सांसद हरदोई
बीजेपी से 1990 में राजनीति की शुरुआत की। 1991 में पहली बार बीजेपी से मोहनलालगंज से सांसद बने। बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए। 2004 में सपा से सांसद बने। 2010 में सपा छोड़कर बसपा में आए। वहां से राज्यसभा सांसद बने। 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी में शामिल होकर विधायक बने। उसके बाद 2019 में सांसद बने।
साक्षी महाराज, सांसद उन्नाव
बीजेपी से 1990 में राजनीति की शुरुआत की। 1991 में मथुरा और 1996 व 1998 में फर्रुखाबाद से सांसद बने। 1999 में टिकट कटने के बाद समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। बाद में 2000 में सपा से राज्यसभा सांसद बने। 2012 में दोबारा से बीजेपी में शामिल होकर 2014 व 2019 में बीजेपी के टिकट से उन्नाव से सांसद हुए।
बृजभूषण शरण सिंह, सांसद कैसरगंज
बीजेपी से 1990 में राजनीति की शुरुआत की। 1991 में गोंडा से सांसद बने। 2008 में अविश्वास प्रस्ताव में क्रॉस वोटिंग के चलते बीजेपी ने पार्टी से निकाला। 2008 में सपा में शामिल हुए। 2009 का कैसरगंज से लोकसभा का चुनाव लड़ा। 2014 में आम चुनाव से पहले दोबारा बीजेपी में शामिल हुए। 2014 व 2019 में बीजेपी के टिकट पर सांसद है।