नई दिल्ली: 15 करोड़ की कीमत के एक हीरे की लूट के मामले में कोलकाता की जिला अदालत में 21 साल मुकदमा चला. पुलिस आरोपियों को पकड़ने में भी कामयाब रही लेकिन कीमती हीरा कभी बरामद नहीं हुआ. 21 साल बाद जिस नाटकीय अंदाज में यह हीरा मिला, उसे देखकर जज भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया देने से खुद को रोक नहीं पाए. डायमंड को वापस लौटाते हुए उन्होंने इस पूरे प्रकरण की तुलना सत्यजीत रे की फेलुदा क्लासिक फिल्म ‘जॉय बाबा फेलुनाथ’ से की.
फिल्म में कीमती चीज को आरोपी ने दुर्गा मां की मूर्ति में उनके शेर के अंदर छुपा दिया था. लूट की इस घटना में आरोपियों ने डायमेंड को अपने घर पर सीढ़ियों के नीचे मीटर के अंदर छुपाया था. यह वारदात साउथ कोलकाता में साल 2002 में हुई थी. 32 कैरट का गोलकुंडा डायमंड को उसके मालिक प्रणव कुमार रॉय बेचना चाहते थे, जिसके लिए वो खरीदार ढूंढ रहे थे. उसी साल जून में डायमंड ब्रोकर इंदरजीत तपाड़िया एक पार्टी लेकर उनके पास पहुंचा. रॉय का कहना था कि जिस तरह से दोनों डायमंड को देख रहे थे, उससे उन्हें शक पैदा हुआ. उन्होंने डायमंड लौटाने को कहा.
गन प्वाइंट पर लूटा हीरो
रॉय के मुताबिक, तुरंत ही इंदरजीत ने गन निकाल ली और डायमंड को उसके साथ आए अन्य शख्स को सौंप दिया. रॉय की इंदरजीत के साथ हाथापाई हुई. आरोपी के साथ आए शख्स ने रॉय को जमीन पर गिरा दिया, जिसके बाद दोनों वहां से भाग निकले. मामले की जांच कर रही पुलिस आरोपियों को पकड़ने में सफल रही लेकिन डायमंड उनके पास से नहीं मिला. कई बार उसके घर की पुलिस ने तलाशी ली लेकिन हर प्रयास बेकार साबित हुए. हालांकि, पुलिस का यह मानना था कि यह डायमंड इसी घर में मौजूद है लेकिन वो उसे तलाश नहीं पा रहे हैं.
बिजली के मीटर में मिला हीरा
इतने साल की तफ्तीश और अदालती मुकदमे के बाद एक बार फिर पुलिस ने आरोपी के घर की जांच की. इस बार निर्णय लिया गया कि अलग पैटर्न से तलाशी ली जाएगी, जिसमें यह डायमेंड घर की सीढ़ी के नीचे लगे बिजली के मीटर के अंदर मिला. जज आनंद शंकर मुखोपाद्याय ने इस पूरे प्रकरण की तुलना सत्यजीत रे की फिल्म ‘जॉय बाबा फेलुनाथ’ से करते हुए डायमंड को व्यापारी को लौटा दिया.