जिलाध्यक्ष की रेस में कौन कौन , कितनी किसकी चाल , किस नेता ने किसके लिए बिछाया कैसा कैसा शतरंजी जाल

जिलाध्यक्ष की रेस में कौन कौन , कितनी किसकी चाल , किस नेता ने किसके लिए बिछाया कैसा कैसा शतरंजी जाल

बीजेपी जिलाध्यक्ष वाली रेस की कहानी जो ठंडा गयी थी कुछ आज कल आज कल के चक्कर मे , आज सुबह फिर कुछ गरमा गई । जिले के एक संगठन पदाधिकारी की एक विनम्र मुद्रा में तस्वीर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ एक तस्वीर देखी गयी जिसमे जिले के ही पार्टी कैडर के दो विधायक भी थे । अपनी ही पार्टी के नेताओं से मिलना जुलना वैसे तो अजूबा नही है पर संगठन पदाधिकारी के हाँथ में कुछ बायोडाटा टाइप दिखने और फ्रेम में दो उन विधायकों की चिर परिचित जोड़ी का होना जिनकी आम शोहरत है कि संगठन में उनकी बहुत चलती है ये कयास गर्म करा गया कि उद्देश्य इस मुलाकात का वही था जो सब समझ ही रहे होंगे । 

खंज़र सूत्र ये भी बताते हैं कि एक साधारण से कैप्शन के साथ तस्वीर वो एक न्यूज ग्रुप में डालने वाले पत्रकार के लिए तस्वीर में मौजूद सम्बंधित ने अपने स्वभाव के कुछ कम अनुरूप काला केसर टाईप शब्दों का भी उपयोग किया , जो कि खैर प्रत्याशित था , ये लिखे के साथ तस्वीर ( जो कि मंशा में नही थी शाम तक ) को भी उन्ही काला केसर टाइप शब्दों की क्रिया की एक साधारण प्रतिक्रिया माना जा सकता है । 

अब आते हैं इस जिलाध्यक्ष पद की रेस की कहानी के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर । हमारे खंज़र सूत्र कहते हैं कि जिले के एक बड़े नेता ने तीन ऐसे संगठन के पदाधिकारियों के लिए रणनीति अपनी डिजाइन की है कि ये तीन ना बनें बाकी कोई भी बन जाये । हिंट ये है ये तीनो पदाधिकारी मूल भाजपाई कैडर के हैं और वो बड़े नेता जब भाजपा में नही थे तो ज़ाहिराना तौर पर ये तीनो उनका भरपूर विरोध करते थे । तीनो फिलहाल संगठन में उपाध्यक्ष हैं और रेस में बरकरार भी सिर्फ इसलिए हैं कि उनकी खिलाफत उस बड़े नेता ने आउट ऑफ द वे तक जाकर की है ।

ख़बर ये भी है कि उस बड़े नेता के रक़ाब और रसूख के ही प्रभाव में आकर अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने ( केवल दो को छोड़कर) अपनी अपनी जाति कैटेगरी के उन्ही दोनो नामो पर अपनी सहमति दी जिनके लिए बड़े नेता ने इशारा किया था पर इनमें से एक बिरादरी वाले कैंडिडेट को ये बैकफायर कर गया और जितना प्लस था उससे ज्यादा माइनस कर गया , इसीके  चलते बड़े नेता की टीम ने रणनीति बदलते हुए कैंडिडेट बदल दिया , वो कैंडिडेट जो पैराशूट है और जिसका जिले के संगठन या सरकार के किसी भी संघर्ष काल मे योगदान नगण्य रहा , जिसका जिले से केवल उतना ही नाता है कि जिला उनका पैतृक गांव का है । ख़ैर टीम वही रही पैरवी वाली , कैंडिडेट बस बदल गया और बड़े नेता ने स्वंय को फ्रंट से हटाकर पर्दे के पीछे कर लिया । 

जिले के एक विधायक भी काफी गॉसिप्स के केंद्र बने इस जिलाध्यक्षी कार्यक्रम में , बताते हैं कि झउआ भर के नाम उन्होंने प्रस्तावित किये ताकि किसी से भी कोई बैर न हो क्योंकि किसने किसकी पैरवी की ये तो आखिर खुलना ही था , पर्यवेक्षक भेजने वाली प्रक्रिया ही काला केसर टाईप थी और थोड़ा कन्फ्यूजन भी क्रिएट हो ताकि यथास्थिति ही बना दी जाए ऐसा विधायक सांसद कहते हैं । जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए और मैं हॉकी का बहुत अच्छा प्लेयर था  जैसी इमेज उन्होंने दर्शाई इस कार्यक्रम में ऐसी शीर्ष नेताओं में चुहलबाजी चली , ऐसी भी ख़बरें आईं । 

खंजर सूत्र कहते हैं कि पार्टी के शीर्ष मुखियाओं ने ये बात स्वंय अपने मुंह से कही है कि जिले में अब बदलाव वो करना चाहते हैं , ये किसी आक्षेप या नकरात्मकत आचरण के लिए नही बस इसलिए होगा कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए कार्यकर्ता रीबूट हो जाएं , पुराने जो भी दर्द हैं वो खत्म हो जाएं , ठीक वैसा जैसा कि 4 साल पहले जो वर्तमान अध्यक्ष हैं को नियुक्त कर किया गया था । 

एक बात और जो कि तय है , पार्टी को ऐसा अध्यक्ष चाहिए जो टिकाऊ भले न हो , जिताऊ हो , जो जोशीला भी हो और सबको साथ लेकर चल पाने की योग्यता भी रखता हो , जो अड़ियल ना हो , जो सबका साथ , सबका विकास और सबका विश्वास वाली कसौटी पर खरा उतरता हो और जो किसी खेमे या व्यक्ति विशेष की कठपुतली टाईप ना हो , बायोडाटा के पन्ने बढ़ा देने , पूर्व में क्या क्या किया , कितनी बार दरी कुर्सी बिछायीं ये सब महत्व रखता है पर उतना नही जितनी कि जो जो काबिलियतें ऊपर लिखीं मैंने , अब ये वो भाजपा नही रह गयी जो लिबिर सिबिर किया करती थी ....


जहाँ श्रीकृष्ण हैं , जहां धैर्य है , जहां मूलता है , वहीं विजय है 

(अभिनव द्विवेदी )



 मुझे तो नहीं लगता कि भाजपा लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अपने जिलाध्यक्ष को बदलने की भूल करेगी। वर्तमान में जिलाध्यक्ष सौरभ मिश्रा अच्छा काम कर रहे हैं। विधानसभा में आठों सीट पर जीतना उनके कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है। मेरे ख्याल से उनका कार्यकाल बरकरार रहेगा। आमिर किरमानी
amirkirmani@gmail.com, 13 August 2023

 सौरभ मिश्रा का कार्यकाल निष्पक्ष व निर्विवादित रहा। विधान सभा की आठो सीटो पर विजय पताका फहराने में सौरभ मिश्रा का योगदान सराहनीय रहा।अन्य पदों पर भाजपा का परचम कायम किया पार्टी के विकास में भी सहयोग किया।बड़ी बात है कि उनका कार्यकाल निर्विवादित व आरोप विहीन रहा।वैसे भाजपा पार्टी में जो भी फैसला होता है वो सर्वमान्य व न्यायोचित प्रक्रिया से ही सम्पन्न होता है।।
shukla.anand65@gmail.com, 13 August 2023

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