New Delhi: EC का असम के लिए परिसीमन आदेश जारी, विधानसभा और लोकसभा सीटों में बदलाव नहीं, लेकिन बोडोलैंड जिलों में...

New Delhi: EC का असम के लिए परिसीमन आदेश जारी, विधानसभा और लोकसभा सीटों में बदलाव नहीं, लेकिन बोडोलैंड जिलों में...

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने शुक्रवार को असम के लिए परिसीमन आदेश जारी कर दिया है. इसके मुताबिक असम में विधानसभा  और लोकसभा सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया है. राज्य में पहले की तरह ही 126 विधानसभा और 14 लोकसभा की सीटें बरकरार रहेंगी. इसके साथ ही परिसीमन के बाद विधानसभा की 19 सीटें और लोकसभा की 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई है, जबकि 9 विधानसभा की सीट और 1 लोकसभा की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए आयोग ने एक संसदीय और 19 विधानसभा क्षेत्रों के नाम में बदलाव किया है. इसमें कहा गया कि रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले 1,200 से अधिक अभ्यावेदन पर विचार किया गया. आयोग को प्राप्त सुझावों और आपत्तियों में से 45 प्रतिशत का अंतिम आदेश में समाधान किया गया.

राज्य के सभी विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया. उसने कहा, ‘जनगणना आयुक्त द्वारा प्रकाशित 2001 की जनगणना के आंकड़ों पर ही इस उद्देश्य के लिए विचार किया गया है.’ निर्वाचन आयोग ने कहा कि जनता की मांग को देखते हुए एक संसदीय और कुछ विधानसभा क्षेत्रों को ‘युग्मित नाम’ दिए गए हैं, जैसे दरांग-उदलगिरि, हाजो-सुआलकुची, बोको-चायगांव, नागांव-बताद्रबा, भवानीपुर-सोरभोग, अल्गापुर-कतलीचेरा.

अंतिम रिपोर्ट की कुछ मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करते हुए, निर्वाचन आयोग (ईसी) ने कहा कि सबसे निचली प्रशासनिक इकाई को ग्रामीण क्षेत्रों में ‘गांव’ और शहरी क्षेत्रों में ‘वार्ड’ के रूप में लिया गया है. इसके अनुसार गांव और वार्ड को यथावत रखा गया है और प्रदेश में कहीं भी इसे तोड़ा नहीं गया है. परिसीमन के बाद एससी विधानसभा सीट आठ से बढ़कर नौ हो गई हैं, और एसटी विधानसभा सीट की संख्या 16 से बढ़कर 19 हो गई है. बोडोलैंड जिलों में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी 11 से बढ़कर 15 हो गई है.

निर्वाचन आयोग ने जुलाई में गुवाहाटी में आयोजित सार्वजनिक बैठकों के दौरान मसौदा परिसीमन प्रस्ताव पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिक संगठनों और आम जनता के विचारों को सुना. इसका आयोजन लोगों, जन प्रतिनिधियों, राजनीतिक नेताओं और अन्य हितधारकों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर देने के लिये किया गया था.

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