लखनऊ में भाजपा विधायकों के अपमान का मामला विधान परिषद तक पहुंच गया। यहां MLC विधायकों ने स्पीकर से विशेषाधिकार हनन की शिकायत की। कहा, गुरुवार को काकोरी ट्रेन एक्शन दिवस के कार्यक्रम में CM योगी के बगल में अफसर खुद बैठे। जबकि विधायकों को दूसरी पंक्ति में कुर्सी मिली।
शिक्षक विधायक ध्रुव त्रिपाठी ने विधान परिषद में कहा, कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों को पीछे की ओर बैठाया। ये विशेषाधिकार का हनन है। ऐसे अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, MLC उमेश द्विवेदी ने तो यहां तक कह दिया कि मैं इससे ज्यादा अपमानित कभी नहीं हुआ। अगर यही स्थिति रहे तो हमें सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने से मना करवा दिया जाए।
विधान परिषद में गुरुवार को बतौर नेता सदन डिप्टी सीएम केशव मौर्य मौजूद थे। कैबिनेट मंत्री संजय निषाद, आशीष पटेल, पूर्व मंत्री अशोक कटारिया समेत कई माननीयों ने जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार हनन के मुद्दे का समर्थन किया।
संजय निषाद ने कहा- बुलाए ना, अगर बुलाए तो अपमानित न करें
कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने भी मामले में खुलकर समर्थन दिया। कहा कि या तो बुलाया न जाए और अगर बुलाया जाता है तो इस तरह से अपमानित न किया जाए। संबंधित सभी अफसरों को विधान परिषद में बुलाकर उन पर कार्रवाई की जाए। कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने भी विशेषाधिकार हनन के मामले का समर्थन किया। वहीं, पूर्व मंत्री अशोक कटारिया ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति के अपमान का मामला नहीं रह गया। यह सभी जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार हनन का मामला है।
शिक्षक विधायक ध्रुव त्रिपाठी ने कहा कि नियम-223 का लखनऊ के अधिकारियों ने उल्लंघन किया। इस कार्यक्रम के दौरान अफसरों ने अपनी कुर्सी सीएम योगी आदित्यनाथ के बगल में लगवा ली। जनप्रतिनिधियों को पीछे की ओर बैठाया गया।
केशव भी नाराज, बोले-जांच होगी, दोषी अफसरों पर एक्शन होगा
विधान परिषद के नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने इस मामले की जांच कराने और दोषी अफसरों पर एक्शन का आश्वासन दिया। कहा कि भविष्य में माननीय के सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए जो भी जरूरी कार्रवाई होगी। उसको किया जाएगा। इसकी जानकारी सदन को भी दी जाएगी।
विधानमंडल में भी अधिकारियों की मनमानी पर बोल चुके हैं शिवपाल...
शिवपाल बोले- मंत्रीजी फोन उठाते हैं, लेकिन प्रमुख सचिव नहीं उठाते
सिर्फ विधान परिषद में ही नहीं, इससे पहले विधानमंडल के मानसून सत्र में भी अधिकारियों की मनमानी का मुद्दा उठ चुका है। सपा नेता शिवपाल यादव ने भी विधानसभा में कहा, मंत्रीजी तो फोन उठा लेते हैं। लेकिन प्रमुख सचिव फोन ही नहीं उठाते। इसको लेकर स्पीकर सतीश महाना ने कहा कि आप जैसे वरिष्ठ का फोन अगर वह नहीं उठाते हैं, तो गलत बात है। इसके अतिरिक्त, मानसून सत्र के दूसरे दिन सपा विधायक मनोज पांडे ने भी अफसरों द्वारा जनप्रतिनिधियों का फोन न रिसीव करने का मामला उठाया था।
इसके बाद 8 अगस्त को एक आदेश जारी किया गया। इसमें साफ तौर पर लिखा गया कि अफसर जनप्रतिनिधियों का नंबर सुरक्षित करें। अगर किसी कारण फोन नहीं उठा पाते हैं तो बाद में उन्हें कॉल बैक करें। इस आदेश के जारी होने के बाद भी 10 अगस्त को लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के क्षेत्र में हुए आयोजन में कुर्सियों के गलत अरेंजमेंट के चलते घिर गए हैं।
MLC को लाइन में खड़ा किया, जूनियर डॉक्टर बर्खास्त
इधर, राम मनोहर लोहिया संस्थान में भाजपा MLC नरेंद्र भाटी को लाइन में खड़ा करने के मामले में जूनियर डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया गया है। दरअसल, वह सीने में दर्द की शिकायत पर लोहिया अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने डॉक्टर को अपना परिचय दिया। लेकिन, इसके बाद भी डॉक्टर ने उसने कहा कि पहले पर्चा बनवाकर ले आइए। इसके बाद विधायक को निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ा। MLC ने इस मामले को सदन में रखा। इसके बाद जूनियर डॉक्टर पर कार्रवाई हुई।
ब्यूरोक्रेसी की मनमानी और माननीयों से हुई खींचतान के कुछ मामले भी पढ़िए...
लखनऊ में केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के MD भवानी सिंह खंगारोत पर फोन ना उठाने का आरोप लगाया। कहा कि जब हमारा फोन नहीं उठाते तो आम जनता का क्या फोन उठाते होंगे।
2022 के ट्रांसफर सीजन के दौरान उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तबादला नीति पर सवाल खड़े किए थे। कहा था कि विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन बिना अनुमति के अफसरों के तबादले किए गए।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष एम देवराज पर भी यह आरोप लगता रहा कि अपने विभाग के मंत्री एके शर्मा का वह कभी फोन ही नहीं उठाते थे।
कन्नौज से सांसद सुब्रत पाठक और एसपी कुंवर अनुपम सिंह का विवाद भी चर्चा में रहा। सुब्रत पाठक ने कन्नौज के एसपी कुंवर अनुपम सिंह पर भी निकाय चुनाव में BSP की मदद करने का आरोप लगाया था।
लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद ने भी विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण को लेकर कई बार चीफ सेक्रेटरी और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति को शिकायत की।
1 साल पहले उन्नाव के सफीपुर विधानसभा के भाजपा विधायक बाबा लाल दिवाकर ने पत्र लिखा और अधिकारी द्वारा खुद को अपमानित किया जाने का आरोप लगाया।
राज्य के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का भी अपने विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव के साथ विवाद हो चुका है।