अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा को लेकर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा। इसके साथ ही उन्होंने पीएम से सवाल किया, उन्हें जवाब देना चाहिए कि वह मणिपुर क्यों नहीं गए। कांग्रेस सांसद ने कहा कि पूरा देश जानता है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने मणिपुर के दो टुकड़े कर दिए हैं और उनकी विफलता के कारण आज मणिपुर में महिलाओं पर अत्याचार हुए है और बच्चे राहत शिविरों में हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इतना सब होने के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री को क्लीन चिट दी। सभी देशवासियों की मांग है कि मुख्यमंत्री को बर्खास्त करो।
मुख्यमंत्री को हटाने का आग्रह
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा को लेकर लोकसभा में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का बचाव करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि गृह विभाग और सीएम में अपनी गलती स्वीकार करने का साहस नहीं है। उन्होंने कहा, 60,000 लोग आश्रय शिविरों में रह रहे हैं और वे (केंद्र) कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या मणिपुर के मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र को इसी तरह का सहयोग दिया जा रहा है, जहां पुलिस स्टेशनों से हथियार लूटे गए हैं? इस तरह का सहयोग नहीं चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर के मुख्यमंत्री को नैतिक आधार पर हटाने का आग्रह किया।
अमित शाह ने क्या कहा था
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि मणिपुर की घटना शर्मनाक है, लेकिन उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है, सरकार की मंशा वहां जनसांख्यिकी में बदलाव करने की कतई नहीं है, ऐसे में सभी पक्षों को मिलकर उस राज्य में शांति बहाली की अपील करनी चाहिए। लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर से जुड़े घटनाक्रम का ब्यौरा दिया और सरकार द्वारा वहां शांति स्थापित करने की दिशा में उठाये गए कदमों की जानकारी दी। गृह मंत्री ने मणिपुर में सभी पक्षों से हिंसा छोड़ने की अपील की और कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। शाह ने कहा कि इससे पहले मणिपुर में हिंसा का इतिहास रहा हैऔर कांग्रेस की सरकारों के समय भी वहां नस्लीय हिंसा की घटनाएं होती रहीं, लेकिन कभी कोई गृह मंत्री राज्य में नहीं गया और उनके समय भी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने संसद में इस मामले पर उत्तर नहीं दिया।