आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उन आरोपों को पूरी तरह से निराधार कहकर खारिज कर दिया कि उन्होंने बिना सहमति के दिल्ली सेवा विधेयक पर संसद सदस्यों (सांसदों) के नामों को चयन समिति में शामिल करने का प्रस्ताव करते समय उनके जाली हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में कार्य संचालन के नियम ऐसे पैनल के लिए सांसदों के नाम का प्रस्ताव करते समय उनके हस्ताक्षर लेने की आवश्यकता को अनिवार्य नहीं करते हैं। चड्ढा ने कहा कि उन्होंने कोई हस्ताक्षर नहीं लिया और न ही जमा किया। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह उनकी आवाज को ‘‘दबाने’’ की कोशिश कर रही है।
मीडिया से अनुरोध
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि मैं मीडिया से अनुरोध करता हूं कि वे सच्चाई दिखाएं। मीडिया का एक छोटा वर्ग मेरे खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा था और मुझे उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करानी होगी। उन्होंने कहा कि मुझे उन सांसदों के खिलाफ भी कोर्ट और विशेषाधिकार समिति में शिकायत दर्ज करानी होगी जिन्होंने दावा किया था कि फर्जी हस्ताक्षर थे। उन्होंने कहा कि नियम पुस्तिका में कहा गया है कि कोई भी सांसद किसी भी समिति के गठन के लिए नाम प्रस्तावित कर सकता है और जिसका नाम प्रस्तावित किया गया है उसके न तो हस्ताक्षर की आवश्यकता है और न ही लिखित सहमति की। लेकिन झूठ फैलाया गया कि फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं।