INDIA में सबको कैसे साथ लाएंगे अखिलेश यादव, गठबंधन का खराब रहा है ट्रैक रिकार्ड

INDIA में सबको कैसे साथ लाएंगे अखिलेश यादव, गठबंधन का खराब रहा है ट्रैक रिकार्ड

लोकसभा चुनाव के करीब आते ही समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के लिए चुनौती बढ़ती जा रही है। कुछ महीनों पहले सपा प्रमुख ने गठबंधन के साथियों यानी अपना दल कमेरावादी और रालोद के साथ चुनाव लड़ने की बात कही थी। हालांकि चंद्रशेखर आजाद की पार्टी भी इसी गठबंधन का हिस्सा है। लेकिन अब INDIA गठबंधन ने अखिलेश यादव के लिए चुनौती बढ़ा दी है।

दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी वजह है। अभी सपा गठबंधन में अपना दल कमेरावादी, रालोद और आजाद समाज पार्टी शामिल हैं। अगर इंडिया का गठबंधन आगे बनता है तो कई और दल सपा गठबंधन का हिस्सा होंगे। खास तौर पर कांग्रेस और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने इसके संकेत दे दिए हैं।

वहीं, अखिलेश के लिए गठबंधन की चुनौती से पार पाना काफी मुश्किल रहा है। बीते चार चुनावों में अखिलेश यादव के चार प्रयोग इसे साबित करने के लिए काफी है।

समझिए अखिलेश के लिए गठबंधन की राह क्यों मुश्किल रही है...

अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। हालांकि इस गठबंधन की बुरी हार हुई थी। तब सपा गठबंधन को केवल 54 सीटों पर जीत मिली थी। अकेले सपा 47 सीट जीत सकी थी। चुनाव के बाद ये गठबंधन टूट गया था।

निषाद पार्टी के साथ लंबे समय तक नहीं चल पाया सपा का गठबंधन

2018 में सपा ने फिर निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया। तब राज्य में सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर सीट पर उपचुनाव होने वाले थे। इस चुनाव के रिजल्ट ने बीजेपी को चौंका दिया। पार्टी की दोनों सीटों पर हार हुई। अखिलेश यादव का प्रयोग इस बार सफल जरूर हुआ, लेकिन निषाद पार्टी के साथ गठबंधन लंबा नहीं चला।

निषाद पार्टी, बीएसपी और सपा का गठबंधन होने के बाद अलग हुई थी। बीएसपी और सपा का गठबंधन 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था। हालांकि चुनाव का रिजल्ट आया तो इस गठबंधन को भी बड़ा झटका लगा। लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि सपा और बीएसपी का गठबंधन केवल 15 सीटों पर जीत दर्ज कर सकता था, इसमें सपा केवल पांच सीटें ही जीत पाई थी।

2022 में भी किया था प्रयोग

लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के कुछ दिन बात ही बीएसपी और सपा के रास्ते अलग हो गए। 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए सपा ने बीजेपी के खिलाफ कई पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन बनाया था। इस गठबंधन में सपा के साथ रालोद, अपना दल कमेरावादी, प्रसपा, महान दल और सुभासपा शामिल थी। हालांकि इस चुनाव में सपा गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इस बार सपा ने 111 सीटों पर जीत दर्ज की और गठबंधन केवल 125 सीटें ही जीत सका।

चुनाव का रिजल्ट आने के कुछ दिन बाद ही ये गठबंधन फिर से टूट गया। पहले प्रसपा और सुभासपा इस गठबंधन से अलग हुए। इसके बाद महान दल ने भी सपा से अलग होने का ऐलान कर दिया। हालांकि बीते साल दिसंबर में प्रसपा का सपा में विलय हो गया। लेकिन अब सपा के साथ केवल दो पार्टी यानी रालोद और अपना दल कमेरावादी का गठबंधन है। जबकि चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने भी सपा गठबंधन में रहने की बात कही है।

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