लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तमाम दल अब गठबंधन के मोहरे सेट करने में लगे हैं। इसी कड़ी में INDIA गठबंधन में शामिल जनता दल (यू) इस बार बिहार के साथ UP में भी चुनाव लड़ना चाहती है। नीतीश कुमार की JDU बाहुबली धनंजय सिंह पर दांव लगाकर अपना खाता खोलना चाहती है।
1999, 2004 व 2009 का चुनाव जेडीयू ने बीजेपी के साथ मिलकर यूपी में लड़ा था। 2004 में जदयू के उम्मीदवार कुंवर सर्वराज सिंह ने बरेली के आंवला सीट से जीत दर्ज की थी। जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह वर्तमान में जनता दल(यू) के राष्ट्रीय महासचिव हैं। यूपी में जदयू 2004 के बाद कोई भी लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं जीत सकी है। ऐसे में 2009 के बाद लोकसभा चुनाव जीतने का सपना संजोए धनंजय सिंह और जदयू को उम्मीद है कि INDIA गठबंधन में उन्हें भी जगह मिलेगी।
धनंजय पर है 24 से ज्यादा केस
धनंजय सिंह का जन्म कोलकाता में हुआ। लेकिन, उनकी पहचान जौनपुर से है। धनंजय जब 10वीं क्लास में थे, तब उन पर पहला आपराधिक मामला हत्या का दर्ज हुआ। 12वीं क्लास में उन पर फिर से एक युवक की हत्या का आरोप लगा।
इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ठेकेदारी और रंगदारी में भी नाम आने लगा। धीरे-धीरे रेलवे में ठेकेदारी और उगाही से रसूख बनाते हुए अरबों की संपत्ति अर्जित की। धनंजय सिंह पर 24 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिन पर अभी भी न्यायालय में कई मामले लंबित चल रहे हैं।
1998 में एक आपराधिक मामले में फरार चल रहे धनंजय सिंह को भदोही पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराने की बात कही थी। लेकिन, 4 महीने बाद धनंजय सिंह सब के सामने आ गए। जिसके बाद कई पुलिस वाले सस्पेंड भी हुए।
धनंजय सिंह को सीट मिलती है तो मुझे प्रसन्नता होगी
जदयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि यूपी में हम एनडीए के साथ चुनाव लड़ते रहे हैं। ये पहला अवसर है। INDIA गठबंधन में हैं। हम यूपी की बड़ी पार्टी सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात करेंगे। धनंजय सिंह के चुनाव लड़ने पर केसी त्यागी कहते हैं कि धनंजय सिंह विधायक रह चुके हैं। सांसद रह चुके हैं। एनडीए के समय हमारे विधायक रहे हैं। हमे प्रसन्नता होगी, अगर गठबंधन में उन्हें भी सीट मिलती है।
अपराध के बाद राजनीतिक सफर की शुरुआत
धनंजय सिंह ने 2002 में पहली बार बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जौनपुर की मल्हनी सीट से मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। इसके बाद 2007 के चुनाव में जदयू के टिकट पर मल्हनी सीट से जीत दर्ज की। 2009 आते-आते उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया।
2009 में पहली बार बसपा के टिकट पर जौनपुर से लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वो लगातार अपनी सियासी जमीन तलाश रहे हैं।
जदयू ने दिया अहम पद
जदयू ने केसी त्यागी जैसे दिग्गज नेता को यूपी में दरकिनार करते हुए धनंजय सिंह को राष्ट्रीय महासचिव बनाया। जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। धनंजय सिंह ठाकुर बिरादरी से आते हैं। पूर्वांचल में उनकी बाहुबली की छवि है। ऐसे में चर्चा है जनता दल(यू) आगामी लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह व नीतीश कुमार के सहारे सामान्य व पिछड़ी जातियों के मत को कब्जे में करने की कोशिश करेगी।
फिलहाल, जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने धनंजय सिंह के लिए सीट की चाहत जता कर यूपी में जदयू के लोकसभा चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया है। चर्चा नीतीश कुमार के फूलपुर सीट से चुनाव लड़ने की जोरों पर है। शायद यही वजह है कि धनंजय सिंह को जेडीयू ने यूपी में बड़ी जिम्मेदारी दी है।
क्योंकि, बाहुबल के साथ-साथ धनंजय सिंह धनबल से भी मजबूत हैं। ऐसे में अगर नीतीश कुमार यूपी से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे तो उसका सारा मैनेजमेंट धनंजय सिंह करेंगे। इन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देने के पीछे एक मकसद यह भी हो सकता है।