प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद मणिपुर मुद्दे पर राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं : जितेंद्र सिंह

प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद मणिपुर मुद्दे पर राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं : जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि मणिपुर में हुई शर्मनाक घटना पर कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान से इस मुद्दे पर सरकार का रुख साफ हो गया है। उन्होंने विपक्षी दलों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार से जुड़ी किसी भी चीज में खामी खोजने के अपने ‘‘एकमात्र एजेंडे’’ को छोड़ने को कहा। उन्होंने 1999 के पुलवामा आतंकवादी हमले पर कथित टिप्पणी को लेकर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, ‘‘घटना पर पाकिस्तानी रुख पर चलने वाले नेता जनता के बीच अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं जो वास्तविकता जानते हैं।’’

सिंह ने यहां एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से कहा, ‘‘संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस घटना से पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया है और किसी भी दोषी को नहीं छोड़ा जायेगा। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद इसे (मणिपुर घटना) लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान से इस मुद्दे पर सरकार का रुख साफ हो गया है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च (आदिवासी एकजुटता मार्च) के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं।

वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री सिंह ने आरोप लगाया कि विपक्ष हमेशा हत्याओं और मानवाधिकार उल्लंघन की चुनिंदा घटनाओं की निंदा करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी विपक्षी दलों ने हमेशा नरेन्द्र मोदी सरकार से संबंधित किसी भी चीज में खामी खोजने के ही एजेंडे को अपनाया है।’’ अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों के एकजुटता के प्रयासों पर सिंह ने कहा कि उनके हाथ मिलाने का मतलब है कि वे कमजोर महसूस कर रहे हैं और यह पता लगाने के लिए एक साथ आ रहे हैं कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना कैसे किया जाये।

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