इटावा लायन सफारी में शेरनी सोना द्वारा 100 घंटे के अंतराल में पांच शावकों को जन्म देने के मामले को वन विभाग केस स्टडी के रूप में ले रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब शेरनी ने पहले शावक के जन्म के 75 घंटे बाद तीन और शावकों को जन्म दिया। करीब 24 घंटे बाद फिर एक शावक को जन्म दिया। इनमें से चार शावकों की मृत्यु हो चुकी है। आमतौर पर 24 से 30 घंटे में ही शेरनी अपने सभी बच्चों को जन्म दे देती हैं। वन विभाग ने इस मामले के अध्ययन के लिए मुख्य वन संरक्षक इको विकास नीरज कुमार की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति बना दी है।
इन्हें बनाया गया समिति का सदस्य
प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव सुधीर कुमार शर्मा की ओर से जारी आदेश में मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव पश्चिमी क्षेत्र शेष नारायण मिश्रा, निदेशक इटावा लायन सफारी दीक्षा भंडारी व गोरखपुर चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह को समिति का सदस्य बनाया गया है। समिति इस घटनाक्रम को केस स्टडी के रूप में तैयार करेगी ताकि भविष्य में प्रबंधन को और सक्षम बनाया जा सके। समिति लायन सफारी में उपलब्ध शेरनी सोना के प्रसव के दौरान के वीडियो, फोटोग्राफ व अन्य अभिलेखों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
जुलाई के अंत तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का समय
समिति इसके लिए अन्य विशेषज्ञों, मुख्य रूप से गुजरात एवं भारतीय वन्यजीव संस्था देहरादून से संपर्क कर उनका मत भी प्राप्त कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। समिति को रिपोर्ट जुलाई माह के अंत तक प्रस्तुत करने का समय दिया गया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव ने सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि चूंकि यहां गुजरात से शेर आए हैं इसलिए उनसे भी इस बारे में बात की गई है। गुजरात वन विभाग ने भी जन्म अंतराल पर आश्चर्य व्यक्त किया है। उनसे भी इसके लिए विशेषज्ञ उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।
अब तक की जांच में क्या आया सामने?
वन विभाग ने एक पत्र जारी किया और कहा कि इटावा लायन सफारी में 6 जुलाई को बब्बर शेरनी सोना ने शावक को जन्म दिया था, उसके ठीक 75 घंटे बाद 9 जुलाई को शेरनी ने एक मृत शावक को जन्म दिया था उसके 10 सेकेण्ड बाद फिर एक शावक को जन्म दिया। रिपोर्ट के मुताबिक शेरनी ने मृत शावक को दो से तीन बार चाटा था और उसके पिछले हिस्से को खा लिया था। उसी दिन शाम को फेर एक शावक को जन्म दिया और अगले दिन शावक को इधर से उधर करने में शावक घायल हो गया और उसकी मृत्यु हो गयी। इस घटनाक्रम के बाद लायन सफारी के कर्मचारियों ने जीवित शावक को शेरनी से अलग किया और नियो नेटल सेंटर ले गए जिसके बाद निगरानी के दौरान 13 जुलाई को शावक की मौत हो गयी। इस तरह से शेरनी के चार शावकों की मौत हो गयी और एक शावक को बचाया गया और उसे डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।