एयरलाइंस स्पाइसजेट को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शेयर-हस्तांतरण विवाद से संबंधित 578 करोड़ रुपये के अनुसरण में मीडिया दिग्गज कलानिधि मारन और उनके काल एयरवेज को भुगतान करने के लिए समय बढ़ाने से इनकार कर दिया। यह कहते हुए कि ये लक्जरी मुकदमे हैं। समय बढ़ाने से इनकार करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1 जून को स्पाइसजेट को 75 करोड़ रुपये तत्काल जमा करने का निर्देश दिया था, जिसे मारन और उनके काल एयरवेज को मध्यस्थ राशि पर ब्याज के रूप में भुगतान किया जाना था।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि यदि एयरलाइंस 13 मई तक मध्यस्थ पुरस्कार पर ब्याज के 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रही तो स्पाइसजेट द्वारा मारन और उनकी कंपनी को दी गई 270 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को तुरंत भुनाया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने शुक्रवार को स्पाइसजेट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी की जोरदार दलीलों को स्वीकार नहीं किया और समय बढ़ाने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि पूरी राशि अब निष्पादन योग्य हो गया है।
शुरुआत में, मारन और उनके काल एयरवेज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें ब्याज के रूप में 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहने के बाद भी कुछ भी भुगतान नहीं किया गया है और समय विस्तार के रूप में उन्हें कोई छूट नहीं दी जाएगी।